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आदित्य वड्डेपल्ली

मुर्शिदाबाद हिंसा: कश्मीरी पंडितों से तुलना और बांग्लादेशी साजिश का इशारा करता टीवी मीडिया

पिछले हफ़्ते विवादों में रहे वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर हिंसक हो गए विरोध-प्रदर्शनों की चपेट में आने के बाद पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद धीरे-धीरे सामान्य स्थिति की ओर लौट रहा है. तीन लोगों की जान लेने वाली हिंसा के लिए अब तक 200 से ज़्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

इस पूरे घटनाक्रम के बीच अगर मेन स्ट्रीम मीडिया के न्यूज़ चैनलों देखें तो लगता है कि पूर्वी पश्चिम बंगाल का यह जिला "आतंकवाद" का गढ़ बन गया है, जहां सरकारी अधिकारियों की अनदेखी के चलते "हिंदुओं का पलायन" जारी है.

हिंसा से बचने के लिए सैकड़ों लोगों के अपने घरों से भाग जाने की खबरें मिली हैं. लेकिन, सांप्रदायिक पहचान को आधार बनाकर इतने बड़े पैमाने पर व्यवस्थित तरीके से निशाना बनाए जाने की पुष्टि करने वाला कोई पुख्ता सबूत अब तक सामने नहीं आया है. हिंदुओं को ख़ास तौर पर पीड़ित किए जाने का कथानक (नैरेटिव) मुख्य तौर पर हिंदुत्व से जुड़े स्रोतों और राजनीतिक हस्तियों, प्रमुख रूप से भाजपा खेमे की ओर से आया है.

पश्चिम बंगाल सरकार और राज्य की पुलिस ने मुर्शिदाबाद से हिंदुओं को "भागने" के लिए मजबूर किए जाने के दावों के बारे में अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार से स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

पारंपरिक अखबारों ने हिंसा की कवरेज काफी हद तक प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के दिशा-निर्देशों के अनुरूप ही करी है, जिसके अनुसार, भड़काऊ भाषा से बचना चाहिए और पीड़ितों की सांप्रदायिक पहचान पर रिपोर्टिंग करनी चाहिए ताकि आगे के विभाजन को रोका जा सके. लेकिन न्यूज़ चैनलों ने सभी नियमों को दरकिनार कर दिया और हिंदुओं के "अपने ही देश में शरणार्थी" बनने जैसे बुनियादी दावे किए.

कुछ ने कश्मीरी पंडितों की दुर्दशा का हवाला दिया, कुछ ने हिंसा के लिए "आतंकवादी" लिंक होने का दावा किया, जबकि कुछ ने बांग्लादेश से कोई संबंध होने का आरोप लगाया.

टाइम्स नाउ नवभारत

एंकर सुशांत सिन्हा ने टाइम्स नाउ नवभारत पर अपने शो, न्यूज़ की पाठशाला की शुरुआत इस दावे से की कि एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी बंगाल में हुई हिंसा पर चुप हैं.

सिन्हा ने कहा, "ऐसे तो छाती पीट लेते हैं. 'एक और मस्जिद शहीद नहीं होने दूंगा.' और हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा है तो 'बंगाल सरकार के प्रवक्ता नहीं हैं.' एक बार ओवैसी को सुनिए." शो में ओवैसी के मीडिया से बातचीत करते हुए एक क्लिप दिखाई गई.

क्लिप की शुरुआत ओवैसी के इस बयान से होती है कि वो बंगाल सरकार या किसी अन्य सरकार के प्रवक्ता नहीं हैं. एआईएमआईएम प्रमुख ने कहा, "पश्चिम बंगाल में सक्षम लोग हैं जो आपके सवाल का बेहतर जवाब दे सकते हैं."

लेकिन टाइम्स नाउ नवभारत क्लिप में ओवैसी के जवाब से पहले रिपोर्टर के सवाल को हटा दिया गया. एएनआई द्वारा जारी पूरी क्लिप में पता चलता है ओवैसी से पूछा गया था कि क्या बंगाल सरकार नए वक्फ अधिनियम को लागू करेगी, जैसा कि पहले पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा था कि वह अपने राज्य में कानून लागू नहीं करेंगी? उसी बातचीत के दौरान बंगाल हिंसा पर एक अगले सवाल पर ओवैसी ने जवाब दिया कि “उनकी पार्टी ने हमेशा हिंसा की निंदा की है, और ऐसा करती रहेगी. विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण होना चाहिए. किसी भी तरह की हिंसा निंदनीय है.”

ओवैसी की शांति की मांग और हिंसा की निंदा को चैनल ने सुविधाजनक रूप से नहीं दिखाया.

सिन्हा ने फिर कश्मीरी पंडितों की दुर्दशा का जिक्र करते हुए मुर्शिदाबाद में अपने घरों से भागकर मालदा जाने वाले परिवारों की बात की. उन्होंने कहा कि 100 करोड़ से ज्यादा हिंदुओं के देश में एक ऐसी जगह भी मौजूद है, जहां उन्हें “अपना बैग उठाकर चले जाने” के लिए मजबूर किया गया है.

सिन्हा कहते हैं: "1990 के दशक में, जब कश्मीरी पंडितों को मारा गया, काटा गया, भगाया गया, तब भी उस समय की जनगणना के हिसाब से 70 करोड़ हिंदू थे. और आज की तारीख पर, 100 करोड़ हिंदू के देश में लेकिन ऐसी जगह है जिसमें हिंदू बैग उठाके जा रहा है.” 

आज तक

आज तक के प्राइम टाइम शो ‘ब्लैक एंड व्हाइट’ का थंबनेल देखिए. मुर्शिदाबाद हिंसा पर आधारित एपिसोड के थंबनेल में लिखा था, “वक्फ कानून ने हिंदुओं के घर कैसे छीन लिए?”

शो की एंकर अंजना ओम कश्यप ने दावा किया कि बंगाल में वक्फ कानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे कुछ लोगों ने कहा कि वे भारत के संविधान में विश्वास नहीं करते. एंकर ने अपने दावों के समर्थन में कोई सबूत नहीं दिया.

इसके बाद उन्होंने एक असत्यापित दावे को दोहराया कि कई बांग्लादेशी मुस्लिम बंगाल में घुस आए और मुर्शिदाबाद में मुस्लिम आबादी बढ़ा दी, जिससे वहां हिंदू अल्पसंख्यक हो गए. इसके बाद उन्होंने बताया कि नए वक्फ कानून को लेकर हिंसा का पहला मामला मुर्शिदाबाद से सामने आया था.

उन्होंने बंगाल के विरोध प्रदर्शनों की तुलना इटली में यूरोपीय संघ के हथियार एजेंडे के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन से की और कहा कि “आज भारत के लोग चाहें तो वो इटली के लोगों से काफी कुछ सीख सकते हैं.” इसके बाद उन्होंने शो खत्म करने से पहले बांग्लादेश में इजरायल विरोधी प्रदर्शनों और भारत में वक्फ विरोधी भावनाओं के बीच एक बेतरतीब सा निष्कर्ष निकाला. अंजना ने कहा, “भारत में जो लोग वक्त कानून का समर्थन करने वालों के साथ हिंसा कर रहे हैं या जो लोग बांग्लादेश में इजरायल का समर्थन करने के खिलाफ दंगे कर रहे हैं उनकी मानसिकता में कोई अंतर नहीं.

ज़ी न्यूज़

ज़ी न्यूज़ पर डिबेट शो ताल ठोक के  में एक से एक भड़काऊ टिकर चलाए गए.  एक टिकर पर लिखा था, "मोहल्ले-मोहल्ला दंगाई… हिंदुओं में खौफ हैाई!"

शो के दौरान ऐसे ही कई और भड़काऊ टिकर संदेश चले. 

“दंगे का कहर… पानी में जहर… हिंदू जाए किधर?”

"#हिन्दूऑनटार्गेट"

“दंगे का मुसलमान फैक्टर… हिंदू विरोधी चरित्र?”

"'भाईजान' का भड़काऊ प्लान"

#वक़्फ़परदंगामॉडल”

विरोध कैसे शुरू हुआ इस पर कोई आधिकारिक रिपोर्ट न आने के बावजूद, चैनल ने आरोप लगाया कि मुर्शिदाबाद में विरोध प्रदर्शन का आतंकवादी संबंध था. स्क्रीन के बीच में बड़े बोल्ड शब्दों में चैनल ने दिखाया, "मुर्शिदाबाद हिंसा का टेरर कनेक्शन! हिंसा के पीछे बांग्लादेशी आतंकी संगठन."

न्यूज़18 इंडिया

अमिश देवगन ने शो आर पार पर कहा, “ज़िंदा शरीर जला दिए हैं बंगाल के अंदर. और ये तालिबानीकरण की इनसाइड स्टोरी है”. एक टिकर में दावा किया कि आठ लोगों को जिंदा जला दिया गया. जबकि कुल तीन लोगों के हताहत होने की आधिकारियों द्वारा पुष्टि की गई और किसी को भी जिंदा जलाए जाने का जिक्र नहीं है.  

बंगाली मीडिया ने हिंसा को कैसे कवर किया

एबीपी आनंदा (आनंद बाजार पत्रिका समूह के बांग्ला टीवी चैनल) ने बताया कि कैसे पुलिस कथित तौर पर समसेरगंज में घटना के चार घंटे बाद पहुंची, जहां शनिवार को एक बाप-बेटे, हरगोबिंदो दास (72) और चंदन दास (40) की हत्या कर दी गई थी. परिवार ने दावा किया कि उन्होंने बार-बार पुलिस को फोन किया, लेकिन जब तक मदद पहुंची तब तक सब खत्म हो चुका था.

हालांकि, एबीपी आनंदा ने भी कुछ और रिपोर्ट्स में हिंदुओं के अपने ही देश में शरणार्थी बनने वाले नैरेटिव पर ज्यादा जोर दिया.  

एक खंड में एंकर ने कहा, "विभाजन का दर्द फिर से उभर आया है. वक्फ मुद्दे को लेकर फैली अशांति से मुर्शिदाबाद में हिंसा की लपटें भड़क उठी हैं, लोगों ने रातों-रात अपने घर छोड़ दिए हैं. बदमाशों के लगातार अत्याचारों को सहन करने में असमर्थ, बेदबोना गांव के परिवार एक के बाद एक नदी पार करके मालदा के बैष्णबनगर में शरण लेने को मजबूर हैं… विस्थापितों में ब्राह्मण परिवार भी शामिल हैं जिन्होंने यहां शरण ली है."

एबीपी आनंदा ने मुर्शिदाबाद से भागकर मालदा में बसने वाले निवासियों पर भी कुछ अंश प्रसारित किए.

रिपब्लिक बांग्ला

रिपब्लिक बांग्ला ने कहा कि दो पीड़ितों पर इसलिए हमला किया गया क्योंकि वे हिंदू थे.

एंकर संतू पान ने कहा, “मुर्शिदाबाद का जाफराबाद, हमारे बंगाल, हमारे भारत का एक हिस्सा – उस हिस्से में, एक पिता और बेटे को सिर्फ सनातनी हिंदू होने और गले में पवित्र माला पहनने की वजह से बेरहमी से मार डाला गया… स्थानीय लोगों ने कहा है कि उन्हें पुलिस पर भरोसा नहीं है, सिर्फ़ केंद्रीय बल ही हमारी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं.”

TV9 बांग्ला

टीवी9 बांग्ला ने बिना किसी ठोस सबूत के, सीमा पार हुई बैठकों और घुसपैठ की एक जटिल कहानी बुनते हुए अंतरराष्ट्रीय साजिश की ख्याली पुलाव पकाए.  

चैनल ने इस शीर्षक के साथ एक खंड चलाया: বাংলাদেশিদের বৈঠকে হামলার ব্লুপ্রিন্ট তৈরি? - जिसका अनुवाद है "क्या एक बांग्लादेशी बैठक में हमलों का खाका तैयार किया गया था?"

एंकर ने कहा, "इस अशांति में बांग्लादेशी बदमाशों का हाथ है. बीएसएफ को शक है कि बांग्लादेश के नवाबगंज के रसूखदार लोगों ने इन बदमाशों को दोनों जिलों के बीच बिना पहरे वाले इलाकों से घुसने दिया होगा. उनका अनुमान है कि ये बांग्लादेशी बदमाश भारतीय क्षेत्र में घुस आए हैं. बांग्लादेश में लूटपाट और पुलिस पर हमले का पैटर्न यहां भी उसी तरह दोहराया जा रहा है. बदमाशों ने बिना पहरे वाले सीमावर्ती इलाकों में बांग्लादेश के प्रभावशाली लोगों के साथ बैठकें की हैं, और इन्हीं बैठकों से ये अशांति भड़काई व बढ़ाई गई है."

मूल रूप से अंग्रेजी में प्रकाशित ख़बर को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

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