लोकसभा चुनाव अब आखिरी चरण की तरफ बढ़ रहा है. हरियाणा में 25 मई को मतदान होना है. यहां देशभर के नेताओं का जमवाड़ा बढ़ गया है.
हरियाणा का कुरुक्षेत्र एक वीआईपी सीट बन चुका है. जहां से हाल तक सांसद रहे नायब सिंह सैनी अब प्रदेश के मुख्यमंत्री बन चुके हैं. वहीं, अपनी पूरी राजनीति बीजेपी के खिलाफ करने वाले मशहूर व्यापारी नवीन जिंदल अब बीजेपी के सांसद उम्मीदवार हैं. इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के प्रमुख अभय चौटाला भी यहीं से मैदान में हैं.
वहीं, इंडिया गठबंधन में हरियाणा की 10 सीटों में से एक सीट, कुरुक्षेत्र आम आदमी पार्टी को मिली है. बाकी पर कांग्रेस मैदान में है. आप ने यहां से अपने पूर्व राज्यसभा सांसद सुशील गुप्ता को मैदान में उतारा है. न्यूज़लॉन्ड्री ने गुप्ता से बात की.
चुनाव में अब कुछ ही दिन बचे हैं. क्या माहौल है? इस सवाल के जवाब में गुप्ता कहते हैं, ‘‘हर जगह इंडिया गठबंधन का माहौल है, खासकर गांव में लोग परिवर्तन चाह रहे हैं. बीजेपी ने लोगों पर जो जुल्म किया है, किसानों के ऊपर, बहन-बेटियों के ऊपर बीजेपी ने जो अत्याचार किए हैं उसके खिलाफ लोग वोट दे रहे हैं.’’
आपने कहा कि गांवों में लोग बदलाव चाह रहे हैं. क्या शहरों में आपकी स्थिति मज़बूत नहीं है? इस सवाल पर गुप्ता कहते हैं, "नहीं शहरों में भी मज़बूत है. शहरों में मुकाबला जबरदस्त है परन्तु गांवों में एकतरफा माहौल है."
यहां चुनाव त्रिकोणीय है? इस सवाल के जवाब में गुप्ता कहते हैं, ‘‘अभय चौटाला कहीं नहीं हैं. वह बीजेपी द्वारा प्रायोजित उम्मीदवार हैं ताकि कुछ वोट काट सकें. बीजेपी से नवीन जिंदल हैं. वो 10 साल से इस क्षेत्र में कभी नहीं आए. बाढ़ में नहीं आए, कोरोना में नहीं आए. किसी की खुशी में नहीं आए और न मृत्यु में आए. अचानक 10 मिनट पहले बीजेपी ज्वाइन करते हैं और उन्हें टिकट मिल जाता है. बीजेपी का कार्यकर्ता भी खुद उनसे नाराज है.’’
किसान और महिला पहलवानों के आंदोलन को गुप्ता सबसे बड़ा मुद्दा मानते हैं. वह कहते हैं, “हरियाणा मूलतः किसानी वाला प्रदेश है. हर गांव में किसान ही रहता है. शहर के अंदर के 50 प्रतिशत जो लोग रहते हैं, उनका किसानी से सीधे-सीधे संबंध है. किसानों को जितना परेशान बीजेपी ने किया शायद ही इतिहास में कभी और किसी ने किया होगा. 750 किसानों ने शहादत दी. तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मांफी मांगते हुए तीन कृषि कानूनों को वापस लिया. किसानों को खालिस्तानी, आतंकवादी और नक्सलवादी कहा गया. किसानों ने किसी के साथ कुछ नहीं किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानून वापस लेते हुए एमएसपी की गारंटी का कानून बनाने की बात कही थी. जब यह नहीं हुआ तो किसान फिर दिल्ली की तरफ चले लेकिन उन्हें आंसू गैस के गोले दागकर रोक दिया गया. ऐसे में यह यहां बड़ा मुद्दा है.”
गुप्ता आगे कहते हैं, "दूसरी तरफ, महिला पहलवानों की बात है, इसका भी असर गांव-गांव दिख रहा है. इन महिला पहलवानों को एफआईआर दर्ज कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा. एफआईआर तो हुई लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हुई. और अब आरोपी बृजभूषण सिंह के बेटे को टिकट दे दिया गया. बीजेपी ने कहा कि भाई बहुत अच्छा काम किया था, तुम सांसद बनो."
आपकी पार्टी भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से निकलकर आई है? लेकिन आज आपकी पार्टी के शीर्ष नेता जेल में हैं. पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल जमानत पर बाहर हैं. भले पार्टी कहती हो कि बीजेपी फर्जी आरोप लगा रही है लेकिन जनता को कैसे जवाब देंगे? इस पर गुप्ता कहते हैं, ‘‘तीन हज़ार अधिकारी, हज़ारों जगह रेड कर चुके हैं. दो साल से केस चल रहा है. आज तक तो 25 पैसे कहीं मिले नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि कोई मनी ट्रेल नहीं है. झूठ के पैर नहीं होते. संजय सिंह को इन्हें छोड़ना पड़ा. अरविंद केजरीवाल को जमानत देनी पड़ी.’’
ऐसे ही स्वाति मालीवाल के आरोप, आप और कांग्रेस गठबंधन की जमीनी हकीकत समेत कई अन्य सवाल हमने सुशील गुप्ता से किए. पूरा इंटरव्यू देखें-
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