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अंग्रेजी दैनिक ‘द हिंदू’ के पत्रकार महेश लांगा के खिलाफ लगातार दूसरी एफआईआर दर्ज होने के बाद पत्रकारों में रोष है. आज कई वरिष्ठ पत्रकारों और लांगा के सहयोगियों ने इस कार्रवाई की निंदा की. साथ ही कहा कि पत्रकारों का काम ‘गोपनीय और संवेदनशील जानकारी एवं दस्तावेजों’ से दिनभर पड़ता है. ऐसे में उन्हें इसके लिए निशाना बनाना सही नहीं है.
गौरतलब है कि सबसे पहले लांगा के खिलाफ कथित जीएसटी धोखाधड़ी के लिए मामला दर्ज किया गया. इस मामले में वह 8 अक्टूबर से न्यायिक हिरासत में हैं. इस बीच 22 अक्टूबर को एक और एफआईआर दर्ज की गई. यह एफआईआर गांधीनगर के सेक्टर-7 पुलिस स्टेशन में गुजरात मैरीटाइम बोर्ड से जुड़े गोपनीय दस्तावेजों को रखने के लिए दर्ज की गई.
Support a journalist’s right to obtain and process a confidential or ‘sensitive’ official document in the line of his or her work. Condemn the Gujarat police’s charges on this count against The Hindu’s Gujarat-based senior journalist, Mahesh Langa. If journalists are imprisoned… https://t.co/SS7VZSMJwk
— N. Ram (@nramind) October 26, 2024
‘द हिंदू’ अखबार के प्रधान संपादक एन. राम ने भी आज लांगा के खिलाफ की गई इस कार्रवाई की निंदा की. साथ ही गोपनीय दस्तावेज हासिल करने के “पत्रकार के अधिकार” के लिए समर्थन की अपील की. उन्होंने कहा कि “यदि पत्रकारों को ऐसे दस्तावेजों को हासिल करने और उनका विश्लेषण करने के लिए जेल में डाल दिया जाता है या अन्यथा दंडित किया जाता है, तो खोजी रिपोर्टिंग का अधिकांश हिस्सा खत्म हो जाएगा!”
द हिंदू के एक और वरिष्ठ पत्रकार सुरेश नंबथ ने कहा कि वह इसे लेकर बहुत चिंतित हैं. उन्होंने कहा, "हम यह दोहराना चाहेंगे कि पत्रकारों को अपने काम के दौरान गोपनीय प्रकृति के दस्तावेजों सहित अन्य दस्तावेजों को हासिल करना आवश्यक है. वे आधिकारिक या गोपनीय दस्तावेजों को पढ़ने में व्यापक जनहित को ध्यान में रखते हुए काम करते हैं." नंबथ ने कहा कि यह "पूरी तरह से अस्वीकार्य" है कि पुलिस ने ऑनलाइन एफआईआर को भी संवेदनशील श्रेणी में डाल दिया है, जिसके चलते उसे भी हासिल करना मुश्किल हो रहा है.
No journalist should be arrested unless they are involved in anti-national activities or monetising their information by blackmailing others with such information
— Sridhar Ramachandran (@sridharr1964) October 26, 2024
उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह एफआईआर दर्ज करना "उनके पत्रकारिता के काम और उनके मौलिक अधिकारों को कमजोर करना और जनहित को नुकसान पहुंचाना है. हम गुजरात पुलिस से महेश के खिलाफ वर्गीकृत दस्तावेजों के कब्जे से संबंधित आरोपों को हटाने का आग्रह करते हैं."
Condemning on X isn't going to help him, the Hindu has to fight it out legally. Of course, there would be a lot of support in spirit.
— Deepan Joshi (@JoshiDeepan) October 26, 2024
इसके अलावा भी कई लोगों ने लांगा के खिलाफ आरोपों की निंदा की. जबकि कुछ ने यह भी कहा कि ‘द हिंदू’ को इस कानूनी लड़ाई में पत्रकार का साथ देना चाहिए.
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