Get all your news in one place.
100’s of premium titles.
One app.
Start reading
Newslaundry
Newslaundry
बसंत कुमार

बीपीएससी: बिहार के युवा सड़कों पर क्यों हैं?

बिहार की राजधानी पटना की सड़कों पर छात्रों का आंदोलन चल रहा है. रविवार शाम को पुलिस ने छात्रों पर पानी की बौछारें की और लाठीचार्ज किया. भीषण ठंड के बीच छात्रों पर पानी की बौछारें डालने और बुरी तरह पीटे जाने के बाद बिहार सरकार आलोचनाओं का सामना कर रही है.

पिछले 35 सालों से बिहार की राजनीति दो प्रमुख शख्सियतों के इर्द-गिर्द घूम रही है. लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार. दोनों ही छात्र आंदोलनों से उभरे हैं. 2005 से बिहार में विपक्ष बदलता रहता है लेकिन सत्ता के शीर्ष पर नीतीश कुमार मौजूद हैं.

हालांकि, उनके नेतृत्व में बिहार के छात्र लगातार सड़कों पर हैं. चाहे पेपर लीक, परीक्षा संचालन, चयन में पारदर्शिता या भर्ती आयोगों में भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे हों, छात्र आए दिन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. हर बार उन्हें कार्रवाई का वादा और पुलिस की लाठियां मिलती हैं.

बीपीएससी के खिलाफ क्यों हो रहा विरोध?

अभी चल रहा विरोध प्रदर्शन बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 13 दिसंबर को आयोजित 70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा को लेकर है. परीक्षा के तुरंत बाद ही विवाद शुरू हो गया, खासकर पटना के बापू परीक्षा केंद्र को लेकर. अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि यहां प्रश्नपत्र वितरित होने में देरी हुई.

2031 पदों पर भर्ती के लिए आयोजित इस परीक्षा में 4 लाख 83 हजार अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, जिसमें से 3 लाख 25 हजार ने 912 केंद्रों पर परीक्षा दी. बापू धाम केंद्र पर 12 हजार छात्रों ने पेपर दिया था. यहीं से पेपर में अनियमितता को लेकर आंदोलन शुरू हुआ.

छात्रों ने दावा किया कि परीक्षा में प्रश्न, विशेष रूप से बापू धाम केंद्र पर, कुछ कोचिंग केंद्रों द्वारा प्रदान किए गए मॉडल प्रश्नपत्रों के समान थे. कई केंद्रों में सीसीटीवी कैमरे नहीं थे, जिससे परीक्षा प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठता है. इन आरोपों के साथ 18 दिसंबर से पटना के गर्दनीबाग में विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ.

छात्रों की मुख्य मांग है कि 13 दिसंबर की हुई परीक्षा रद्द कर दी जाए और इसे पुनःर्निर्धारित किया जाए. वे सामान्यीकरण प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता और पेपर लीक के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. वे छात्रों के खिलाफ पुलिस द्वारा बल प्रयोग के लिए जवाबदेही की भी मांग कर रहे हैं.

गर्दनीबाग में 10 दिनों तक विरोध प्रदर्शन करने के बाद छात्रों ने रविवार को ऐतिहासिक गांधी मैदान में 'छात्र संसद' आयोजित करने की योजना बनाई. हालांकि, प्रशासन ने इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया. इसके बावजूद छात्रों ने अपनी योजना पर आगे बढ़ने का फैसला किया और गांधी मैदान की ओर बढ़ गए. इन्हें रोकने के प्रयास में प्रशासन ने मैदान की ओर जाने वाले सभी प्रमुख द्वार बंद कर दिए.

हाथों में ‘‘युवाओं की मेहनत हो रही बेकार, पेपर लीक ने छिना अधिकार’’ ‘गवर्नमेंट वीक, पेपर लीक’ ‘पेपर लीक से जो बचाएगा, नया बिहार वही बनाएगा’ और ‘ब्रिटिश पब्लिक सर्विस कमीशन’ का पोस्टर लिए छात्र आगे बढ़ने लगे. यहां इन्हें जनसुराज के प्रमुख प्रशांत किशोर का साथ मिला. हालांकि, किशोर और उनकी टीम वहां से चली गई. इससे विचलित हुए बिना छात्रों ने अपना विरोध जारी रखा और मार्च निकालते हुए मुख्यमंत्री हाउस का घेराव करने के मकसद के लिए निकल गए. इस बीच पुलिस ने उन पर पानी की बौछार और लाठीचार्ज किया.

दरअसल, अभ्यर्थियों के पेपर लीक के आरोपों को ख़ारिज करते हुए बीपीएसी ने उन्हें मुख्य परीक्षा की तैयारी करने के लिए कहा था. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, बीपीएससी के सचिव सह परीक्षा नियंत्रक सत्य प्रकाश शर्मा ने इस आंदोलन पर कुछ कोचिंग सेंटर की मिलीभगत का आरोप लगाया. उनका कहना है कि आयोग छात्रहित का ध्यान रखता है, लेकिन कुछ उपद्रवी तत्व कोचिंग संचालकों के साथ मिलीभगत करके बिना किसी तथ्य के परीक्षा पर बेवजह विवाद खड़ा कर रहे हैं.

पटना पुलिस ने बिना अनुमति के भीड़ इकट्ठा करने, लोगों को भड़काने और कानून व्यवस्था बिगाड़ने के आरोप में छात्रों और जनसुराज नेताओं समेत 21 लोगों के साथ ही 600 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.

प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी के नेताओं के अलावा जिन लोगों को नामजद किया गया है, उनमें कोचिंग संचालक रामान्शु मिश्रा, सुजीत कुमार और छात्र सुभाष कुमार ठाकुर, निखिल मणि तिवारी, शुभम स्नेहिल, विष्णु कुमार आदि शामिल हैं. 

इस पूरे मामले पर राजनीतिक दलों के बयान आ रहे हैं. प्रदेश के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने छात्रों पर पानी की बौछार एवं लाठीचार्ज की निंदा की और कहा ‘‘छात्रों की पिटाई का वीडियो देखकर कलेजा दहल गया. क्या किसी अधिकारी या नेता के बेटे होते तो पुलिस इस तरह से उनकी पिटाई करती? मुख्यमंत्री जी के इशारे पर छात्रों की पिटाई की गई. यह आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा था, उसकी ताकत कुछ और थी. इस आंदोलन को कुछ लोगों ने गुमराह करने की कोशिश की है.’’ तेजस्वी का इशारा प्रशांत किशोर की तरफ था. 

वहीं, सोमवार देर शाम पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने छात्रों के प्रतिनिधिमंडल के साथ मुख्य सचिव परमार रवि मनुभाई से मुलाकात की. जिसके बाद ट्वीट कर बताया, ‘‘हमारी पहली प्राथमिकता है 70वीं BPSC परीक्षा पूरी तरह रद्द कर पुनः एग्जाम हो. दूसरी प्राथमिकता किसी भी छात्र पर कोई केस न हो!’’

पटना के जाने माने कोचिंग संचालक और दारोगा गुरु के नाम से चर्चित गुरु रहमान को बिहार पुलिस ने 3 जनवरी 2025 तक के लिए इस मामले से दूर रहने को कहा है. दरअसल, गुरु रहमान ने 6 दिसंबर को पटना में हुए नॉर्मलाइजेशन के आंदोलन का नेतृत्व किया था. 

अभी बीपीएसी के आंदोलन को लेकर गुरु रहमान बताते हैं, ‘‘यह पूरी तरह से बीपीएसी के अध्यक्ष, सचिव और परीक्षा नियंत्रक के जिद का प्रतिफल है. दरअसल, हुआ ये कि 6 दिसंबर को नॉर्मलाइजेशन को लेकर आंदोलन किया. जिसके बाद आयोग ने नोटिस निकाला कि नॉर्मलाइजेशन नहीं करेंगे और एक ही बैठक में परीक्षा लेंगे. उसके बाद 13 दिसंबर को परीक्षा हुई. पेपर बेहद आसान आया था. रेलवे के गनमैन के स्तर का सवाल आया था. उसके बाद बापू धाम केंद्र पर12 हजार छात्रों ने पेपर दिया. वहां पर काफी अव्यस्था हुई. किसी को 20 मिनट बाद प्रश्नपत्र मिला तो किसी को मिला ही नहीं. कुछ मामलों में छात्र प्रश्नपत्र लेकर बाहर चले गए. कुछ प्रश्नपत्रों की सील टूटी हुई थी.’’

गुरु रहमान आगे कहते हैं, ‘‘इस अव्यस्था के खिलाफ छात्रों ने आंदोलन शुरू कर दिया. आपने देखा होगा कि आंदोलन कर रहे एक छात्र को पटना के जिलाधिकारी ने थप्पड़ भी मार दिया था. उसके बाद छात्रों के आरोप पर जांच हुई तो अव्यस्था सामने आई. आयोग ने बापू परीक्षा परिसर में पेपर देने वाले 12 हजार छात्रों का पेपर रद्द कर दिया. लेकिन बाकी सेंटर का पेपर रद्द तो नहीं हुआ. अब आयोग पर सवाल उठता है कि वो नॉर्मलाइजेशन नहीं करेंगे और एक ही बैठक में पेपर होगा. लेकिन यहां तो दो बार पेपर होगा. पहले वाला प्रश्न पत्र तो देंगे नहीं. अगर कठिन देते हैं तो दोबारा पेपर देने वाले छात्रों के साथ गलत होगा. अगर पेपर हो गया तो रिजल्ट किस आधार पर देंगे? ये बीपीएससी को बताना चाहिए. या तो नॉर्मलाइजेशन ही हो या फिर आयोग दोबारा पेपर करवाए. छात्रों की मांग जायज है.’’     

31 दिसंबर को छात्रों के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बैठक हुई. गुरु रहमान को यक़ीन है कि बैठक से कुछ सकारात्मक परिणाम निकलेंगे.  

छात्रों ने एक बार फिर गर्दनीबाग में आंदोलन में शुरू कर दिया है. यहां आंदोलन कर रहे छात्र विवेक कुमार का कहना है, ‘‘सरकार जिद कर रही है. एक तो यहां वैकेंसी नहीं आती और अगर आती तो सरकार परीक्षा ठीक से नहीं करा पाती है. परीक्षा की प्रक्रिया में आंदोलन और लाठी खाना भी जुड़ गया है. परीक्षा और नतीजे का इंतज़ार करते-करते उम्र निकल जा रही है. अधिकारी हम पर लाठीचार्ज करने और थप्पड़ मारने की बजाय पेपर ठीक तरह से कराने पर ध्यान दें तो हमें सड़क पर उतरने की ज़रूरत नहीं है.’’

विरोध प्रदर्शनों की यह ताजा लहर बिहार के युवाओं की गहरी निराशा की तरफ इशारा करती है, जो राज्य की भर्ती प्रणाली में न्याय, पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग कर रहे हैं.

Newslaundry is a reader-supported, ad-free, independent news outlet based out of New Delhi. Support their journalism, here.

Sign up to read this article
Read news from 100’s of titles, curated specifically for you.
Already a member? Sign in here
Related Stories
Top stories on inkl right now
Our Picks
Fourteen days free
Download the app
One app. One membership.
100+ trusted global sources.