
कर्नाटक हाईकोर्ट ने पत्रकार राहुल शिवशंकर द्वारा दायर की गयी याचिका को मंज़ूर करते हुए उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने का आदेश दिया है.
मालूम हो कि यह पूरा विवाद उनकी एक X पोस्ट (पूर्व में ट्वीटर) से शुरू हुआ. इस पोस्ट में उन्होंने राज्य सरकार द्वारा धार्मिक अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए बजट आवंटन पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, “राज्य सरकार, जो कि मंदिरों से बड़ी मात्रा में राजस्व प्राप्त करती है, उन्हें बजट में कोई धनराशि क्यों नहीं दी, जबकि अन्य धार्मिक स्थलों को बड़ी राशि दी गई है.”
शिवशंकर के पोस्ट पर कोलार के काउंसलर एन. अंबरेश ने विरोध जताया. साथ ही उनके खिलाफ शिकायत भी दर्ज की. शिकायत के बाद पुलिस ने उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 153A और 505 के तहत एफआईआर दर्ज की. जिसके बाद शिवशंकर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया जिसे आज सुनाया गया.
बता दे कि अंबरेश ने अपनी शिकायत में आरोप लगाते हुए कहा कि शिवशंकर की यह टिप्पणी धार्मिक समूहों के बीच नफरत पैदा करने की प्रवृत्ति रखती है. जिसके चलते अपने बचाव में शिवशंकर ने अपनी याचिका में कहा कि उनके विवादित ट्वीट में केवल तीन तथ्यात्मक बातें बताई गई थीं और एफआईआर का यह दावा कि वह गलत जानकारी फैला रहे हैं, पूरी तरह से गलत है.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने यह पाया कि शिवशंकर ने अपने ट्वीट में कोई गलत जानकारी नहीं फैलाई. न ही उनका उद्देश्य धार्मिक समूह के बीच द्वेष पैदा करने का था. इसके साथ ही कोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया.
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