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Newslaundry (हिंदी)
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सुमेधा मित्तल

दिल्ली के एलजी या भाजपा के स्टार प्रचारक !

12 जनवरी को डॉ. विनय सहस्रबुद्धे ने पॉडकास्ट शो, ‘अपनी दिल्ली अपनी बात’ लॉन्च किया. इससे पहले इसके टीज़र में सांसद मनोज तिवारी और बांसुरी स्वराज, कैबिनेट मंत्री हरदीप सिंह पुरी, आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व सदस्य और अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उम्मीदवार कैलाश गहलोत और दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) विनय कुमार सक्सेना सहित प्रमुख भाजपा नेताओं के आगामी इंटरव्यू के अंश दिखाए गए.

सहस्रबुद्धे राज्यसभा के पूर्व सदस्य हैं; 2014 से 2020 के बीच वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष; और एक गैर-सरकारी संगठन रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी के उपाध्यक्ष रहे, जो सरकारी अधिकारियों को प्रशिक्षित करता है और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा हुआ है. 

उनकी यह सीरीज महज 14,000 सब्सक्राइबर वाले यूट्यूब चैनल पर होस्ट की गई है. इसमें दिल्ली के मतदाताओं को चुनाव के लिए “सही फैसला” लेने के लिए “सशक्त” बनाने का दावा किया गया है. सक्सेना, ‘अपनी दिल्ली, अपनी बात’ पॉडकास्ट में अब तक शामिल होने वाले एकमात्र सरकारी अधिकारी हैं. 

एक्स पर सहस्रबुद्धे ने पहले इंटरव्यू की एक झलक शेयर की, साथ ही एलजी को एक किताब (द आर्ट ऑफ इम्प्लीमेंटेशन: हाउ मोदी की गारंटी इज डिलीवर्ड) भेंट करते हुए अपनी एक तस्वीर भी शेयर की. सहस्रबुद्धे और जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा सहित 15 लोगों द्वारा सह-लिखित यह किताब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपलब्धियों के बारे में है.

सक्सेना कॉरपोरेट बैकग्राउंड से आने वाले पहले व्यक्ति हैं, जिन्हें राज्यपाल पद के लिए चुना गया है. दिल्ली के एलजी के साथ सहस्रबुद्धे का इंटरव्यू, 5 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव से तीन सप्ताह पहले 12 जनवरी को यूट्यूब पर आया.

नीली नेहरू जैकेट पहने और दिल्ली के एलजी के आधिकारिक निवास राज निवास में बैठे सहस्रबुद्धे ने सक्सेना के साथ साक्षात्कार शुरू करते हुए कहा, “इस इंटरव्यू में हम चाहते हैं कि दूध का दूध पानी का पानी हो जाए, जो भी तथ्य हो लोगों के सामने आए."

उनका पहला हमला: “वे [आप सरकार] केंद्र सरकार पर उन्हें काम नहीं करने देने का आरोप लगाते हैं, जबकि दूसरी ओर, उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं.”

सक्सेना ने मुस्कराते हुए कहा, "ऐसे आरोपों से पता चलता है कि वे बहाने ढूंढ रहे हैं क्योंकि वे लोगों से किए गए अपने वादों को पूरा करने में विफल रहे हैं." उन्होंने टूटी सड़कें, वायु प्रदूषण, यमुना का जल प्रदूषण और कूड़े के पहाड़ जैसे लंबे वक्त से चले आ रहे मुद्दों को गिनाने से ये बातें कहीं.

इंटरव्यू में सक्सेना की टिप्पणियों में ‘आप’ सरकार और उसके मुख्यमंत्री के खिलाफ कई आरोप और व्यक्तिगत टिप्पणियां शामिल थीं. जिनमें से कई भाजपा नेताओं की ओर से अतीत में दिए गए बयानों से मेल खाती थीं. इनमें इस तरह के दावे शामिल थे, "दिल्ली के सीएम के घर में जो सामान है वो आपको किसी और सीएम के घर में नहीं मिलेगा. दुनिया की सबसे आलीशान चीजें यहीं हैं" और "उन्होंने उन्हीं गरीब लोगों को धोखा दिया है जिनके बारे में वह बात करते हैं".

पूरे इंटरव्यू के दौरान सहस्रबुद्धे ने बार-बार इस बात पर जोर दिया कि वह “एलजी के कार्यालय की गरिमा का अनादर नहीं करना चाहते”. इस पर सक्सेना ने कहा, “मैं अपनी पीड़ा किससे कहूं?”

55 मिनट के इंटरव्यू का समापन सहस्रबुद्धे द्वारा भाजपा के पक्ष में वोट करने के हल्के इशारे के साथ हुआ: "मैं मानता हूं कि दर्शकों को बहुत सी बातें समझ में आई होंगी. One can read the lines, and one can read the lines in between as well. एलजी साहब ने इतने स्पष्ट तरीके से जो तथ्यपरक बातें आपके सामने रखी हैं. मैं मानता हूं जो आंकलन हमारा बनना चाहिए वो निश्चित रूप से बनेगा."

हालांकि, यूट्यूब पर इस इंटरव्यू को सिर्फ़ 10,000 व्यूज मिले हैं, लेकिन पॉडकास्ट के क्लिप मेनस्ट्रीम मीडिया और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर काफ़ी शेयर हुए हैं. इसे सक्सेना द्वारा आप सरकार का “बड़ा पर्दाफाश” करार दिया गया है. मनोज तिवारी सहित दिल्ली भाजपा इकाई के नेताओं ने एक्स पर अपने फॉलोअर्स से एलजी के इस पॉडकास्ट को देखने की अपील की और इसे सीधे तौर पर आप सरकार की आलोचना बताया.

यह पहला मामला नहीं है जब एलजी के तौर पर सक्सेना भाजपा के एजेंडे से जुड़ते नजर आए हों. हमने जो पाया, वह इस प्रकार है.

भाजपा की बयानबाजी से तालमेल?

दिल्ली में पार्टी के चुनाव अभियान की शुरुआत करने के लिए भाजपा द्वारा इस्तेमाल किया गया पहला कार्यक्रम सक्सेना के कार्यालय द्वारा आयोजित उद्घाटन समारोह था. 3 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के अशोक विहार में झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों के लिए 1,675 नवनिर्मित फ्लैटों का उद्घाटन किया. भाजपा की दिल्ली इकाई ने इसे विधानसभा चुनाव से पहले दिल्लीवासियों के लिए पीएम मोदी का “गिफ्ट” बताया.

इस कार्यक्रम के लिए प्रेस आमंत्रण भाजपा की दिल्ली इकाई द्वारा भेजा गया था. एलजी के कार्यालय ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि वह “कभी भी” प्रेस आमंत्रण नहीं भेजता है. दिल्ली भाजपा के मीडिया सेल के प्रमुख विक्रम मित्तल ने कहा कि प्रेस आमंत्रण “इसलिए भेजा गया क्योंकि हमारे अध्यक्ष इसमें शामिल थे. हम उन सभी कार्यक्रमों के लिए प्रेस आमंत्रण भेजते हैं जिनमें वह शामिल होते हैं.”

ये फ्लैट दिल्ली विकास प्राधिकरण की झुग्गी पुनर्वास परियोजना के तहत बनाए गए हैं- जिसके लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से फंड मुहैया कराए गए हैं. एलजी के नेतृत्व वाली डीडीए केंद्र सरकार के अधीन काम करती है और परियोजना की कार्यान्वयन एजेंसी थी.

प्रधानमंत्री ने केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘मैंने अपने लिए कोई शीशमहल नहीं बनवाया बल्कि गरीबों के लिए चार करोड़ घर बनवाए हैं.’ वहीं सक्सेना ने फ्लैटों के लिए प्रधानमंत्री को श्रेय दिया. उन्होंने कहा कि फ्लैटों का निर्माण प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप किया गया है और उन्होंने एलजी के आधिकारिक अकाउंट से एक्स पर लाभार्थियों की कहानियां भी शेयर कीं.

सक्सेना ने ट्वीट किया, ''सिर्फ वादे नहीं, इरादे भी पूरे होते हैं. सबका साथ, सबका विश्वास, सबका सम्मान. जहां झुग्गी, वहीं मकान.”

तीन दिन बाद, 6 जनवरी को गुरु गोबिंद सिंह जयंती की पूर्व संध्या पर, सक्सेना ने “विधवा कॉलोनी” का नाम बदलकर माता गुजरी (सिख गुरु की मां) के नाम पर रखने की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा किया और पश्चिमी दिल्ली के तिलक विहार में सिख दंगा पीड़ितों को 47 नियुक्ति पत्र वितरित किए. यह कॉलोनी 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान सबसे अधिक प्रभावित हुई थी और इसका नाम “विधवा” पड़ा, क्योंकि यहां रहने वाली अधिकतर महिलाएं कांग्रेस सरकार में भड़की हिंसा के दौरान मारे गए पुरुषों की विधवाएं थीं.

इस कार्यक्रम का प्रेस आमंत्रण भी भाजपा की दिल्ली इकाई द्वारा शेयर किया गया था. इस अवसर पर सक्सेना ने कहा कि 40 साल की उपेक्षा के बाद अंततः प्रभावित लोगों को न्याय की भावना प्रदान करना “संतोषजनक” है. कार्यक्रम में मौजूद भाजपा दिल्ली अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि पीड़ितों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया है.

उसी दिन गृहमंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में गुरुद्वारा श्री रकाब गंज में श्रद्धांजलि अर्पित की. अतीत में शाह ने इन पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए लड़ाई लड़ने का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को दिया था.

दिल्ली की आबादी में सिखों की हिस्सेदारी करीब पांच फीसदी है, राष्ट्रीय राजधानी में करीब 8 लाख सिख मतदाता हैं और राजौरी गार्डन और तिलक नगर (तिलक विहार तिलक नगर में है) जैसी विधानसभाओं में उनकी संख्या सबसे ज्यादा है. भाजपा ने 1984 के दंगों और उसके पीड़ितों के मुद्दे को अभियान के तौर पर उठाकर बार-बार उन पर निशाना साधा है.

एक छोटा लेकिन मददगार हाथ

हर साल, दिल्ली सरकार छत्रसाल स्टेडियम में स्वतंत्रता दिवस समारोह आयोजित करती है, जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं. चूंकि दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े एक कथित घोटाला मामले में 2024 में गिरफ्तार होने के बाद केजरीवाल जेल में थे, इसलिए उन्होंने एलजी को एक पत्र लिखकर कहा कि कैबिनेट मंत्री आतिशी मार्लेना को उनकी जगह राष्ट्रीय ध्वज फहराना चाहिए. 

केजरीवाल का यह प्रस्ताव भाजपा दिल्ली अध्यक्ष सचदेवा को पसंद नहीं आया और उन्होंने इस मामले पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. सचदेवा ने कहा, "राष्ट्रीय ध्वज प्रोटोकॉल के अनुसार, राज्यों में केवल मुख्यमंत्री को ही ध्वज फहराने की अनुमति है. अगर वह ऐसा करने में असमर्थ हैं, तो परंपरागत रूप से दिल्ली के उपराज्यपाल ध्वज फहराएंगे." उन्होंने आगे कहा, "अगर वह [केजरीवाल] चाहते हैं कि उनकी मंत्री आतिशी झंडा फहराएं, तो उन्हें उन पर भरोसा करना चाहिए और इस्तीफा दे देना चाहिए, ताकि वह मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले सकें."

तीन दिन बाद एलजी कार्यालय ने गृह मंत्रालय को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सीएम की “अनुपलब्धता की विशेष परिस्थितियों के कारण पैदा हुए मौजूदा गतिरोध” के बारे में लिखा. गृह मंत्रालय ने सक्सेना को दिल्ली सरकार के किसी भी मंत्री को झंडा फहराने के लिए नामित करने का अधिकार दिया.

एलजी की पसंद आतिशी नहीं, बल्कि आप के कैलाश गहलोत थे, जो उस समय प्रशासनिक सुधार मंत्री थे (कुछ महीने बाद नवंबर में, गहलोत ने अपने मंत्री पद और आप से इस्तीफा दे दिया और नजफगढ़ से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में पार्टी में शामिल हो गए). सचदेवा ने एलजी के फैसले का तुरंत स्वागत किया.

राष्ट्रीय ध्वज कौन फहराएगा, यह फैसला किसी राजनीतिक दल को सीधे तौर पर प्रभावित नहीं करता है, लेकिन यह उन अनेक अपेक्षाकृत छोटी घटनाओं में से एक है, जो भाजपा की मांगों और उपराज्यपाल के निर्णय लेने के बीच समानता को दर्शाती है. 

अक्टूबर 2024 से जनवरी 2025 के बीच ऐसे कई मौके आए, जब भाजपा की दिल्ली इकाई ने पार्टी के लिए रणनीतिक रूप से मददगार मुद्दों पर एलजी के समक्ष मांगें रखीं और सक्सेना ने भाजपा के एजेंडे के अनुरूप निर्णय लिए हैं.

उदाहरण के लिए, 17 अक्टूबर 2024 को दिल्ली विकास प्राधिकरण ने प्राधिकरण के अंतर्गत आने वाले खेल परिसरों में आजीवन सदस्यता के लिए शुल्क बढ़ा दिया. सचदेवा और विधायक ओम प्रकाश शर्मा ने एलजी को पत्र लिखकर शुल्क वृद्धि को वापस लेने का अनुरोध किया. दो सप्ताह बाद एलजी ने इस संबंध में एक आदेश जारी किया, जिसकी घोषणा भी एक्स पर की गई: "डीडीए खेल परिसरों के सदस्यों और जन प्रतिनिधियों के प्रतिनिधित्व के बाद, माननीय उपराज्यपाल ने डीडीए को खेल परिसरों में सदस्यता और अन्य शुल्क बढ़ाने वाले परिपत्र को वापस लेने की सलाह दी है. खेलेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया!"

दिल्ली भाजपा इकाई ने कहा कि यह दिल्ली के लाखों खेल प्रेमियों के लिए दिवाली गिफ्ट है. साथ ही कहा कि इस फैसले से विशेष रूप से निम्न-मध्यम वर्ग के महत्वाकांक्षी खिलाड़ियों को लाभ होगा. 

छोटे-मोटे फायदे

1 नवंबर 2024 को एएनआई ने अपने एक्स हैंडल पर एलजी द्वारा दिल्ली की सीएम आतिशी को लिखा गया पत्र अपलोड किया, इस पत्र में एलजी ने छठ पर्व के एक दिन को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने का आग्रह किया था. इससे पहले, अक्टूबर 2024 में सक्सेना ने एलजी के आधिकारिक हैंडल से यमुना नदी में प्रदूषण की स्थिति के बारे में ट्वीट किया था, जहां पारंपरिक रूप से छठ के दौरान पूजा की जाती है.

अपने पत्र में सक्सेना ने लिखा, "इस वर्ष 07 नवंबर को पड़ने वाला यह दिन पहले से ही रिस्ट्रिक्टेड अवकाश के रूप में घोषित है. मेरा आग्रह है कि सरकार 07 नवंबर, 2024 (गुरुवार) को पूर्णकालिक अवकाश के रूप में घोषित करे और इससे संबंधित फाइल शीघ्रातिशीघ्र प्रेषित की जाए." 

एलजी के पत्र से यह आभास मिलता है कि दिल्ली की मुख्यमंत्री छठ के संबंध में या तो लापरवाह हैं या इसे भूल गई हैं. बता दें कि छठ पूर्वांचली समुदाय का एक प्रमुख धार्मिक त्यौहार है.

उसी दिन दिल्ली भाजपा ने भी आप सरकार से छठ पूजा पर सार्वजनिक अवकाश घोषित करने की मांग की थी. दिल्ली भाजपा ने भी सक्सेना के पत्र को शेयर करते हुए उनका आभार जताया.  

दिल्ली के मतदाताओं में पूर्वांचलियों की संख्या 40 से 42 प्रतिशत है और वे इस तरह फैले हुए हैं कि राष्ट्रीय राजधानी के लगभग आधे निर्वाचन क्षेत्रों पर उनका प्रभाव है. आप और भाजपा दोनों ही इस समुदाय का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं. भाजपा ने अपने पूर्वांचल मोर्चा में एक समर्पित विंग की स्थापना की है.

एलजी के पत्र के सार्वजनिक होने के कुछ ही घंटों के भीतर आतिशी ने 7 नवंबर को छठ के अवसर पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की. इसे भुनाने के प्रयास में, भाजपा ने राजधानी भर में बैनर लगाए, जिसमें छठ पर सार्वजनिक अवकाश घोषित करने के लिए एलजी का आभार जताया गया.

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छठ पर सार्वजनिक अवकाश घोषित करने को लेकर एलजी का आभार व्यक्त करता बीजेपी का एक बैनर

रोहिंग्या विरोधी अभियान में एलजी भी भाजपा के सहयोगी साबित हुए हैं. सचदेवा और दिल्ली की भाजपा इकाई के अन्य नेताओं ने रोहिंग्या शरणार्थियों पर उंगली उठाई और दावा किया कि वे अवैध प्रवासी हैं और सड़कों और फुटपाथों पर अतिक्रमण के साथ-साथ छोटे-मोटे अपराधों में बढ़ोतरी के लिए भी जिम्मेदार हैं. भाजपा ने आप पर दिल्ली की मतदाता सूचियों में रोहिंग्या के नाम जोड़ने का भी आरोप लगाया है, जिससे उनका मतदाता आधार बढ़ गया है और शहर की जनसांख्यिकी बदल गई है. आप ने शुरू में इन आरोपों से इनकार किया, लेकिन बाद में दिल्ली में अवैध प्रवासियों की संख्या में वृद्धि के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को दोषी ठहराया.

भारत सरकार के अनुसार, अनुमानतः 40,000 रोहिंग्याओं ने भारत में शरण ली है, जिनमें से लगभग 4,000 दिल्ली में हैं.

15 नवंबर 2024 को उपराज्यपाल ने मुख्य सचिव, दिल्ली पुलिस आयुक्त, जिलाधिकारियों और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को दिल्ली में अवैध प्रवासियों की पहचान करने के निर्देश जारी किए. अपने पत्र में सक्सेना ने उन्हीं चिंताओं को उजागर किया, जिन्हें भाजपा ने बार-बार उठाया है: "उपराज्यपाल का ध्यान सोशल मीडिया और अन्य विश्वसनीय स्रोतों पर आई उन रिपोर्टों की ओर गया है, जिनमें कहा गया है कि दिल्ली में अवैध अप्रवासियों की संख्या में अचानक वृद्धि हुई है. सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों, पार्कों आदि पर ऐसे लोगों द्वारा अतिक्रमण में भी वृद्धि हुई है."

उपराज्यपाल के पत्र में विशेष रूप से उल्लेख किया गया है कि अवैध प्रवासियों को आधार और वोटर कार्ड जैसे पहचान पत्र देने के लिए “एक चालाकीपूर्ण प्रक्रिया” का इस्तेमाल किया जा रहा है. एलजी के पत्र में कहा गया है, "अगर अवैध अप्रवासियों को चुनाव पहचान पत्र जारी किया जाता है, तो इससे उन्हें लोकतंत्र का सबसे शक्तिशाली अधिकार यानी हमारे देश में वोट देने का अधिकार मिल जाएगा. अवैध अप्रवासियों को ऐसे अधिकार देना किसी भी भारतीय नागरिक को स्वीकार नहीं होगा और इस तरह के कदम राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी हानिकारक हो सकते हैं."

आश्चर्य की बात नहीं है कि एलजी के आदेश का सचदेवा ने स्वागत किया और इस संबंध में एक बयान जारी किया. आरएसएस से जुड़ी विश्व हिंदू परिषद ने भी एलजी को पत्र लिखकर “अवैध अप्रवासियों” का पता लगाने में पुलिस की सहायता करने की अनुमति मांगी. दिसंबर तक, अवैध अप्रवासियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की खबरें आने लगीं.

पूर्व लोकसभा महासचिव पीडीटी आचार्य ने एलजी और दिल्ली की चुनी हुई सरकार के बीच टकराव की ओर इशारा करते हुए कहा, "वह [सक्सेना] उस सरकार के खिलाफ नहीं बोल सकते जो संविधान के तहत उनकी सरकार है. इसलिए, अगर वह अपनी सरकार की आलोचना करते हैं, तो इसका मतलब है कि वह खुद की आलोचना कर रहे हैं क्योंकि सभी फैसले उनकी निगरानी में और उनके हस्ताक्षर के तहत लिए जाते हैं."

आचार्य ने आगे कहा: "राज्यपाल के रूप में, वह केंद्र शासित प्रदेश के संवैधानिक प्रमुख हैं. उन्हें राजनीति से ऊपर रहना चाहिए. संविधान ने उन्हें एक निश्चित कार्य दिया है जो मंत्रिपरिषद की सलाह पर केंद्र शासित प्रदेश का प्रशासन करना है. आप राजनीति में शामिल नहीं हो सकते और न ही किसी खास पार्टी के लिए वोट मांग सकते हैं."

न्यूज़लॉन्ड्री की ओर से संपर्क किए जाने पर एलजी के कार्यालय के एक अधिकारी ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. हमने सक्सेना के कार्यालय को एक प्रश्नावली भी ईमेल की है; अगर हमें कोई जवाब मिलता है तो इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.

इस विधानसभा चुनाव का असर सिर्फ़ दिल्ली पर ही नहीं बल्कि पूरे भारत पर भी पड़ेगा. यही वजह है कि हमारे रिपोर्टर राजधानी में फैल गए हैं और श्रीनिवासन जैन इस चुनावी मौसम में बड़े नेताओं के साथ इंटरव्यू करेंगे. हमारे रिपोर्टिंग में योगदान देने और उसे आगे बढ़ाने के लिए यहां क्लिक करें.

अनुवाद- चंदन सिंह राजपूत

मूल रूप से अंग्रेजी में प्रकाशित ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

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