Get all your news in one place.
100’s of premium titles.
One app.
Start reading
Newslaundry
Newslaundry
बसंत कुमार

‘मस्जिद का निर्माण होगा भी नहीं’, आखिर इतने नाउम्मीद क्यों हैं अयोध्या के मुसलमान ?

अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में  22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा होनी है. इसे लेकर दिन-रात तैयारी चल रही है. मंदिर ही नहीं वहां जाने का मुख्यद्वार हो या यहां की सड़कें सब अधूरी हैं और उसे पूरा करने के लिए चौबीसों घंटे काम चल रहा है. सफाई के लिए लखनऊ से निगम कर्मियों को बुलाया गया है. वहीं, दूसरी तरफ जहां मस्जिद का निर्माण होना है उस जमीन पर बकरियां चरती नजर आती हैं. 

2019 में सुप्रीम कोर्ट ने जब राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसला सुनाया तो जिस जमीन पर विवाद था उसे हिंदू पक्ष को दे दिया गया. वहीं, कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सरकार मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में पांच एकड़ जमीन मस्जिद बनाने के लिए दे. फैसले के बाद यूपी सरकार ने अयोध्या से करीब 25 किलोमीटर दूर धन्नीपुर में मस्जिद बनाने के लिए जमीन उपलब्ध करा दी लेकिन अब तक वहां कुछ भी नहीं हुआ है. 

शुक्रवार, 12 जनवरी को न्यूज़लॉन्ड्री की टीम धन्नीपुर पहुंची. जिस जगह पर मस्जिद निर्माण के लिए जमीन दी गई वहां एक पुराना मजार है. जिसकी यहां के हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों में मान्यता है. उसके सामने कुछ बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे. वहीं, मोहम्मद जिलाम खान, खाट पर बैठे हुए थे और आसपास उनकी बकरियां चर रही थी. यह पूछने पर कि यहां मस्जिद निर्माण के लिए अब तक क्या हुआ वो एक बोर्ड की तरह इशारा करते हुए कहते हैं, बस ये लगा है. 

यह बोर्ड इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन का है. यह फाउंडेशन, मस्जिद के निर्माण के लिए बना है. बोर्ड पर फाउंडेशन के नाम के साथ एक नक्शा बना हुआ है, जिसमें बताया गया है कि मस्जिद का निर्माण किस तरह का होगा. हालांकि, अब मस्जिद का वो भी नक्शा बदल गया है. नया नक्शा मज़ार की दीवार पर बना हुआ है. अगर कोई बताये नहीं तो आप समझ नहीं पाएंगे कि यह कोई नक्शा है. 

थाना रौनाही से पांच सौ मीटर दूर आने पर मस्जिद की जमीन है. इसके सामने ही कुछ घर है, जिसमें किराने की दुकान बनी हुई है. यहीं पर खड़े एक युवक (जो नहीं चाहता कि उसका नाम आये) कहते हैं, ‘‘मस्जिद नहीं बनेगा आप लिखकर रख लीजिए.’’ ऐसा क्यों, इसपर वो कहता है कि मस्जिद बनाने का इरादा ही नहीं है किसी का. पांच एकड़ जमीन लॉलीपॉप है, जो पकड़ा दिया गया है.

ऐसा कहने वाला यह इकलौता शख्स नहीं है. यहां हमारी जिससे भी मुलाकात होती है वो नाउम्मीदी में ही बातें करता है. मजार से थोड़ा आगे बढ़ने पर हमारी मुलाकात मोहम्मद वासिद खान और अनीस खान से हुई. अनीस खान कहते हैं, ‘‘मैं इसपर बात नहीं करना चाहता हूं. हर रोज मीडिया वाले आते हैं. सवाल करते हैं और चले जाते हैं. यहां कुछ हो नहीं रहा है. जब से सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है तब से चल रहा है कि मस्जिद बनने जा रहा है. कुछ हो रहा है क्या वहां. नहीं न. ऐसे में हम क्या बताएं आपको. हम नाउम्मीद हैं.’’

वासिद खान भी नाउम्मीद के साथ ही अपनी बात रखते हैं. वो कहते हैं, अरे एक ईंट गड़ी हो तब न हम बताएं कि यहां मस्जिद बनेगी या नहीं. अभी तक तो सिर्फ जमीन की पैमाइश हुई है. अभी तक यहां कुछ हुआ नहीं है. हो जाए तो अच्छी बात है.’’

आखिर मस्जिद के निर्माण में देरी क्यों हो रही है? फाउंडेशन से जुड़े सदस्य इसके पीछे दो कारण बताते हैं. पहला ये कि अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) देने में सरकार की तरफ से देरी की गई और दूसरा पैसों की कमी.

एनओसी देने में हुई देरी

धन्नीपुर के रहने वाले सोहराब खान मस्जिद निर्माण में हो रही देरी के पीछे एनओसी मिलने में हुई देरी को जिम्मेदार मानते हैं. 

न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए वो कहते हैं, ‘‘मस्जिद निर्माण के लेटलतीफी के पीछे प्रशासन की भूमिका और कुछ प्रक्रियाएं हैं. जब जमीन मिली उसके बाद मस्जिद का नक्शा पास हुआ. यह नक्शा प्राधिकरण में गया तो उन्होंने पंद्रह एनओसी मांगी. एनओसी बनवाने में समय लगा. उसके बाद कहा गया कि यह कृषि जमीन है, इसे आवासीय करवाना होगा. उसमें भी समय गया. इसके बाद अवाम की मांग थी कि जो नक्शा बना है, उसमें जो मस्जिद है, वो मस्जिद जैसी नहीं लग रही है. उस पर ट्रस्ट के लोगों ने विचार विमर्श किया और अभी दो महीना पहले ही नया नक्शा आया है.’’

खान बताते हैं कि अभी ट्रस्ट के पास पांच एकड़ जमीन है. छह एकड़ और जमीन की मांग चल रही है. ग्यारह एकड़ में ही पूरा प्रोजेक्ट तैयार होगा क्योंकि मस्जिद के साथ ही एक कैंसर अस्पताल, एक लॉ कॉलेज, एक मेडिकल कॉलेज और एक कम्युनिटी किचन बनेगा. इसीलिए और जमीन की मांग की जा रही है.’’

इसके अलावा पैसों की कमी भी एक बड़ी वजह है. खान कहते हैं कि रामजन्भूमि का चंदा तो बीते 35 सालों से बटोरा जा रहा था. मस्जिद के लिए तो अभी चंदा लेना शुरू किया गया है. ऐसे में पैसा भी एक बड़ी वजह है इसके निर्माण में हो रही देरी के पीछे.

पैसों की कमी वजह है, इसकी तस्दीक फाउंडेशन के सदस्य और प्रवक्ता अतहर हुसैन भी करते हैं. न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए हुसैन कहते हैं, ‘‘अभी यही मुख्य वजह है. अभी उतना चंदा नहीं आया कि हम अस्पताल, मस्जिद और एक आर्काइव (1875 में अवध में जिस तरह हिंदू-मुस्लिम में साथ मिलकर लड़ा उसे दिखाने के लिए) जो बनाना चाहते हैं, उस पर काम शुरू कर सकें. जो ज़्यादा खर्च आ रहा वो अस्पताल और आर्काइव आदि के निर्माण पर आ रहा है. इस पर काम हम तब शुरू कर सकते हैं जब हमारे पास पैसे हों.’’

एनओसी मिलने में देरी के सवाल पर हुसैन कहते हैं, ‘‘उसकी बात नहीं है. अगर सारे क्लियरेंस हो भी जाएंगे तो भी हमें अयोध्या विकास प्राधिकरण को एक मोटी रकम डेवलेपमेंट चार्ज के रूप में जमा करानी पड़ेगी. यह सब तभी हो पायेगा जब हमारे पास पैसे हों. तभी हम यह भी बता सकते हैं कि कब तक मस्जिद का निर्माण होगा.’’

यहां देखें पूरा वीडियो-    

Newslaundry is a reader-supported, ad-free, independent news outlet based out of New Delhi. Support their journalism, here.

Sign up to read this article
Read news from 100’s of titles, curated specifically for you.
Already a member? Sign in here
Related Stories
Top stories on inkl right now
One subscription that gives you access to news from hundreds of sites
Already a member? Sign in here
Our Picks
Fourteen days free
Download the app
One app. One membership.
100+ trusted global sources.