न्यूज़लॉन्ड्री हिंदी के ‘राउंड टेबल शो’ इस बार अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर हिंदी अखबारों की कवरेज पर विस्तार से चर्चा हुई.
इस दौरान अधूरे राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करने जैसे तमाम विवादों के बीच 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नरेंद्र मोदी द्वारा मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा किए जाने को लेकर भी बातचीत हुई.
साथ ही उद्घाटन कार्यक्रम को लेकर पिछले एक महीने से हिंदी अख़बारों द्वारा मंदिर निर्माण को लेकर की जा रही एकतरफा और अतिरेकी कवरेज पर भी बात हुई. इस दौरान अखबारों द्वारा तथ्यों की अनदेखी के साथ-साथ बदलती शब्दावली और भाषा को लेकर भी खुलकर चर्चा की गई.
इस चर्चा में द वायर की सलाहकार संपादक मीतू जैन, पत्रकार एवं लेखक दयाशंकर मिश्रा और 1992 में बाबरी विध्वंस को कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार अनिल यादव शामिल हुए. वहीं, इस बातचीत का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के प्रबंध संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
बातचीत के प्रमुख विषय राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर लगातार एक महीने अख़बारों में प्रकाशित होने वाली ख़बरों को लेकर अतुल सवाल करते हैं, “आज पत्रकारिता का बड़ा दायरा इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल की तरफ चला गया है अख़बारों पर बहुत ज्यादा बात नहीं हो रही है लेकिन फिर भी बड़ी संख्या में पाठकों के होने बावजूद अख़बार अभी जो कर रहे हैं और तब जो किया था. ये उस समय के मुकाबले बढ़ा है या घटा है या उस समय जो रवैया आपने देखा था और आज जो रवैया है उसमें कितना बदलाव है?”
इसके जवाब में अनिल यादव कहते हैं, “अख़बारों में अयोध्या के बारे में गप, कहानी और अंधविश्वास एक एजेंडे के तहत तब भी प्रकाशित किया जा रहा था. ये 1990 से पहले भी हो रहा था. फर्क ये आया है कि अब उसका दायरा बहुत बढ़ गया है. पहले पत्रकारों का एक छोटा सा हिस्सा किसी न किसी तरीके से इसका विरोध करता था. लेकिन अब लोग खुलकर एकतरफा हो गए हैं. ”
देखिए पूरी बातचीत -
Newslaundry is a reader-supported, ad-free, independent news outlet based out of New Delhi. Support their journalism, here.