सर्दियां आ चुकी थी. हस्तिनापुर के बाग-बगीचों में धुंध, कोहरा, प्रदूषण और शीतलहर का मिक्सचर फैला हुआ था. लाल ऊनी स्वेटर और उसके ऊपर ऊंट के चमड़े से बनी जैकेट पहन कर धृतराष्ट्र गौने के दुल्हा लग रहे थे. हालांकि, जाड़े के असर से धृतराष्ट्र की देह अकड़ी हुई थी. लेकिन उन्हें संजय की आवाज़ में गर्मजोशी का अंदाजा मिल गया था.
संजय ने धृतराष्ट्र को बताया कि डंकापति ने आर्यावर्त की वैचारिक स्टेयरिंग को उल्टी दिशा में घुमा दिया है. पूरा यू-टर्न ले चुके हैं. परिवारवाद उनके लिए अब कोई मुद्दा नहीं रहा, लव जिहाद को उनकी हरी झंडी मिल गई है. और लगे हाथ संविधान की रक्षा की शपथ भी उन्होंने ले ली है. इन्हीं विषयों पर हस्तिनापुर दरबार में धृतराष्ट्र और संजय की बातचीत हुई.
ढर्रे पर लौटना सबसे आसान होता है. उसी तरह सुधीर चौधरी के लिए भी कम्युनल, नफरती, सांप्रदायिक ढर्रे पर वापस लौटना आसान था. सो व लौट आए. बीते पूरे हफ्ते अलग-अलग तरीकों से उन्होंने मुसलमानों के प्रति अपनी घृण और कुंठा का प्रदर्शन किया.
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