
दिल्ली के कानून मंत्री बने हुए अभी कुछ ही हफ्ते हुए हैं और भाजपा के कपिल मिश्रा के लिए मुसीबतें खड़ी हो गई हैं. आज सुबह, दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने आदेश दिया कि मिश्रा और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए और 2020 के दिल्ली दंगों में उनकी भूमिका पर “जांच आगे बढ़ाई” जाए.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया ने कहा कि ‘पहली नजर’ में मिश्रा के खिलाफ ‘संज्ञेय अपराध’ के सबूत हैं और ‘यह स्पष्ट है कि कथित अपराध के समय मिश्रा इलाके में थे’. अदालत का फैसला भाजपा के तीन नेताओं सहित पांच अन्य पर भी लागू होता है. इनमें मुस्तफाबाद के विधायक मोहन सिंह बिष्ट और पूर्व विधायक जगदीश प्रधान और सतपाल सांसद शामिल हैं.
यमुना विहार के रहने वाले मोहम्मद इलियास की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने ये आदेश दिए. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, इलियास ने दावा किया कि उसने दंगों के दौरान मिश्रा और अन्य लोगों को सड़क अवरुद्ध करते और गाड़ियों को ‘नष्ट’ करते देखा था. दिल्ली पुलिस ने इस बात पर जोर दिया कि उसकी जांच में दंगों के मामले में मिश्रा को फंसाने की ‘साजिश’ रची गई लेकिन अदालत ने एफआईआर दर्ज कर मिश्रा की भूमिका की जांच करने का फैसला सुनाया.
न्यूज़लॉन्ड्री ने दिल्ली दंगों और उसके बाद की घटनाओं पर कई खोजी रिपोर्ट की हैं. मिश्रा का नाम तब नफरती भाषण देने वाले उनकी पार्टी के अन्य राजनेताओं जैसे अनुराग ठाकुर, योगी आदित्यनाथ और संबित पात्रा के साथ आ रहा था.
दंगों के महीनों बाद, मिश्रा ने सोशल मीडिया पर लोगों से अपनी ‘हिंदू इकोसिस्टम’ टीम में शामिल होने का आह्वान किया. हमारे रिपोर्टर्स ने टेलीग्राम ग्रुप में उनके नफरती कंटेंट की जांच की. इस बारे में ज्यादा जानने के लिए यह रिपोर्ट पढ़िए.
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