मुंबई प्रेस क्लब ने मंगलवार को एक्स पर एक पोस्ट करके, द हिंदू से 2014 के मानहानि के मुकदमे में पत्रकार राहुल पंडिता का साथ "नहीं छोड़ने" को कहा. क्लब ने कहा, अगर पत्रकारों को इसी तरह लाखों रुपए के जुर्माने का सामना करना पड़ता है, तो क्या इसका निष्पक्ष और स्वतंत्र पत्रकारिता पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा?
वरिष्ठ पत्रकार राहुल पंडिता के खिलाफ मोहाली की एक अदालत में दायर मानहानि के एक मामले में 75 लाख रुपए के हर्जाने का आदेश पारित किया था. दरअसल, पंडिता ने द हिंदू के लिए 13 दिसंबर, 2014 को एक फ्रंट-पेज स्टोरी की थी, जिसमें छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए एक असफल ऑपरेशन का ज़्रिक किया गया था, जब सेना की नाकामी के कारण नक्सली हमले में 14 सीआरपीएफ जवान मारे गए थे.
शुरूआत में पुलिस महानिरीक्षक हरप्रीत सिद्धू ने पत्रकार और अख़बार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की थी, शुरूआत में द हिंदू ने पंडिता का बचाव भी किया था. हालांकि, बाद में एक नाटकीय बदलाव में अखबार एक समझौते पर पहुंचा और पंडिता को केस का सामना करने के लिए अकेला छोड़ दिया.
फिलहाल मई 2024 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पंडिता के खिलाफ हर्जाने के आदेश पर रोक लगा दी है.
अब सवाल है कि क्या उचित सत्यापन के बाद प्रकाशित हुई कहानियों के लिए एक समाचार संगठन का कर्तव्य नहीं है कि वह अपनी टीम के सदस्यों का बचाव करे?
अगर पत्रकारों को इसी तरह लाखों रुपए के जुर्माने का सामना करना पड़ता है, तो क्या इसका निष्पक्ष और स्वतंत्र पत्रकारिता पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा?
द हिंदू ग्रुप के संपादक और प्रकाशक को पत्र लिखते हुए मुंबई प्रेस क्लब ने उनसे कहा है कि वे राहुल पंडित को कानूनी लड़ाई में अकेला न छोड़ें और सच्ची पत्रकारिता के लिए संगठनात्मक बचाव करें.
मीडिया के बारे में शिकायत करना आसान है, क्या आप इसे बेहतर बनाने के लिए कुछ करते हैं? स्वतंत्र मीडिया का समर्थन करें और आज ही न्यूज़लॉन्ड्री की सदस्यता लें.
Newslaundry is a reader-supported, ad-free, independent news outlet based out of New Delhi. Support their journalism, here.