प्रतिबंध के बावजूद इस साल दिवाली की रात दिल्ली में लोगों ने जमकर पटाखे फोड़े. जिसके बाद दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 328 दर्ज किया गया. यानि बहुत ही गंभीर श्रेणी में पहुंच गया. पिछले तीन सालों में दिवाली के बाद यह सबसे खराब वायु गुणवत्ता है.
सिर्फ हवा की स्थिति ही खराब नहीं हुई बल्कि दिल्ली अग्निशमन विभाग के मुताबिक, इस बार आग से संबंधित घटनाओं की भी सबसे ज्यादा, 318 कॉल आईं.
सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के पालन को लेकर दिल्ली पुलिस ने पटाखे न फोड़े जाएं यह सुनिश्चित करने के लिए पुलिस टीमें भी गठित कीं. दावा किया गया कि पटाखे जलाने वालों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस ) के तहत मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
न्यूज़लॉन्ड्री ने सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) के जरिए दिल्ली पुलिस से जानकारी मांगी तो सामने आया कि दिवाली में पटाखे जलाने के 423 मामले दर्ज हुए. इनमें से ज्यादातर 31 अक्टूबर (दिवाली की रात) और अगले दिन यानि एक नवंबर को दर्ज हुए.
हमने आरटीआई के जरिए, 30 अक्टूबर से 2 नवम्बर के बीच दिल्ली पुलिस द्वारा पटाखे जलाने को लेकर दर्ज एफआईआर की जानकारी मांगी. जिसकी प्रतिक्रिया में हमें अलग-अलग जिला पुलिस की ओर से जवाब मिला.
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, शाहदरा जिले में 50, उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 41, पूर्वी दिल्ली में 40, द्वारिका जिले में 26, दक्षिणी दिल्ली में 31, दक्षिणी-पूर्वी में 14, सेंट्रल दिल्ली में 45, नार्थ-ईस्ट दिल्ली में 33, पश्चिमी दिल्ली जिले में 60, दक्षिण-पूर्वी दिल्ली में 30 और रोहिणी जिले में 53 मामले दर्ज हुए हैं. इसके अलावा नई दिल्ली, उत्तरी दिल्ली, बाहरी दिल्ली और बाह्य-उत्तरी दिल्ली के जिलों ने जानकारी साझा नहीं की.
ये सभी मामले बीएनएस की धारा 223 (ए) के तहत दर्ज हुए हैं. इसके मुताबिक, जब कोई शख्स जानबूझकर लोक सेवक द्वारा जारी किए गए वैध आदेश का पालन नहीं करता और इससे किसी अन्य व्यक्ति को परेशानी होती है तो ऐसे मामले में व्यक्ति को अधिकतम 6 महीने तक की जेल की सजा हो सकती है.
हमने जब ये जानना चाहा कि पुलिस द्वारा दर्ज मामलों में क्या कार्रवाई हुई तो ज्यादातर का जवाब था कि जांच चल रही है, वहीं कुछ ने जानकारी साझा नहीं की.
कार्रवाई या दिखावा?
प्रतिबंध के बावजूद पटाखा जलाने के मामलों में दर्ज एफआईआर और पुलिस की कार्रवाई को देखें तो लगता है कि एक्शन कम और दिखावा ज्यादा हो रहा है.
पूर्वी दिल्ली के एडिशनल डिप्टी कमिश्नर विनीत कुमार के दफ्तर ने आरटीआई के जवाब में बताया कि उनके जिले में पटाखा जलाने के 40 मामले दर्ज हुए. जब थोड़ा पड़ताल की तो पता लगा कि पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार, लक्ष्मी नगर और पांडव नगर थाने में इस संबंध में एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ है.
हालांकि, उस रोज इन इलाकों में जमकर पटाखे फोड़े गए. पांडव नगर के रहने वाले पिंटू शाह बताते हैं, ‘‘दिवाली से पहले से ही यहां लोगों ने पटाखे जलाना शुरू कर दिया था और देर रात तक जलाते रहे. हमारी बिल्डिंग में रहने वाले कई लड़के 5-5 हजार रुपये के पटाखे खरीद कर लाए. पुलिस वाले निगरानी के लिए घूम तो रहे थे लेकिन किसी को रोक नहीं रहे थे. लड़के पुलिस वालों को देखकर भी नहीं डर रहे थे.’’
इन तीन थानों में तो कोई मामला दर्ज नहीं हुआ. वहीं मधु विहार, कल्याणपुरी, नंदनगरी में छह-छह, गाजीपुर में तीन, मंडावली, प्रीत विहार और शकरपुर में पांच-पांच, जगत पुरी में तीन और अशोक नगर में चार मामले दर्ज हुए.
न्यूज़लॉन्ड्री ने शकरपुर, मंडावली और प्रीत विहार में दर्ज एफआईआर की कॉपी पढ़ी है.
प्रीत विहार में दर्ज पांच एफआईआर में किसी भी मामले में कोई भी व्यक्ति पटाखे फोड़ते हुए पुलिस को नहीं मिला. सभी एफआईआर में पुलिस ने एक जैसी ही बात दोहराई है. सबमें लिखा है, ‘‘पटाखे चलने की तेज आवाज़ आ रही थी. मौके पर पुलिस पार्टी को देखकर पटाखे जलाने वाले भाग गए. जिनकी अभी तक पहचान नहीं हो पाई है. जो इन लोगों ने तेज आवाज में पटाखे चला कर ध्वनि व वायु प्रदुषण करके नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और माननीय सुप्रीम कोर्ट के पटाखों के बारे में आदेशों का उल्लंघन कर जुर्म U/S 223 (a) किया है.’’
पांचों एफआईआर में शब्दशः यही लिखा हुआ है. इसमें से एक एफआईआर 30 अक्टूबर को, दो 31 अक्टूबर और बचे दो एक नवम्बर को दर्ज की गईं. अलग-अलग दिन पर अलग-अलग पुलिस अधिकारियों ने मामला दर्ज कराया. लेकिन भाषा सबकी एक ही है.
एक नवम्बर को दो एफआईआर, संख्या 336/24 और 335/24 दर्ज हुई. दोनों एफआईआर एक ही समय में दर्ज हुई हैं. रात में ग्यारह बजकर 20 मिनट पर. दोनों मामले अलग-अलग इलाके के हैं. दोनों में स्थानीय निवासियों ने फोन कर सूचना दी कि उनके यहां पटाखे फोड़े जा रहे हैं.
ऐसा ही शकरपुर थाने में दर्ज मामलों में देखने को मिला. यहां भी पांच एफआईआर दर्ज हुई हैं. यहां एक मामला तो दिवाली की रात को दर्ज हुआ वहीं बाकी चार अगले दिन एक नवम्बर को.
न्यूज़लॉन्ड्री ने पाया कि एक नवम्बर को जो चार मामले दर्ज हुए, उसमें से तीन में घटना 31 अक्टूबर को ही घटित हुई. यहां भी शिकायत दर्ज कराने वाले पुलिस अधिकारी हैं.
एक मामला दिवाली की रात में दर्ज हुआ और बाकी मामले अगले दिन दर्ज हुए हैं. इसमें से दो मामले में नामजद आरोपी बनाया गया और बाकी तीन में आरोपी अज्ञात हैं और लिखा है- ‘‘‘पटाखे चलने की तेज आवाज़ आ रही थी. मौके पर पुलिस पार्टी को देखकर पटाखे जलाने वाले भाग गए. जिनकी अभी तक पहचान नहीं हो पाई है. जो इन लोगों ने तेज आवाज में पटाखे चला कर ध्वनि व वायु प्रदुषण करके नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और माननीय सुप्रीम कोर्ट के पटाखों के बारे में आदेशों का उल्लंधन कर जुर्म U/S 223 (a) किया है.’’
दिवाली की शाम दर्ज मामले में शकरपुर के डी ब्लाक के रहने वाले 58 वर्षीय विजय कुमार बग्गा को आरोपी बनाया है. क्योंकि वो खुले में पटाखे फोड़ रहे थे. वहीं एक नवम्बर को दर्ज एफआईआर में एक पटाखा विक्रेता रोहिल खान को आरोपी बनाया है. उसके पास से पुलिस को 10 चक्री और 40 छुरछुरी पटाखे मिले.
बाकी जो तीन एफआईआर हैं. वो एक ही पुलिस अधिकारी- रिंकू कुमार ने दर्ज करवाई हैं. 383/24, 384/24 और 385/24 संख्या से दर्ज ये एफआईआर एक नवम्बर की सुबह क्रमशः 6 बजकर 20 मिनट, 6 बजकर 30 मिनट और 6 बजकर 40 मिनट पर दर्ज हुई हैं. यह तीनों मामले बीती रात में हुई घटनाओं को लेकर दर्ज हुए हैं. अलग-अलग इलाकों में हुई घटनाओं को लेकर दर्ज एफआईआर में कहानी वही है और शब्द भी वैसे ही दोहराए जा रहे हैं.
मंडावली थाने में स्थिति थोड़ी अलग है. यहां दर्ज पांचों एफआईआर में आरोपी बनाए गए हैं. यहां दो मामले 31 अक्टूबर को और बाकी तीन एक नवम्बर को दर्ज हुए हैं. जिसमें से दो मामलों में आरोपी मोहम्मद सलमान, शोएब चौधरी हैं. वहीं तीन एफआईआर में कमलेश कुमार, रविंदर गौतम और डॉक्टर राजेश प्रसाद और दीपक गुप्ता को आरोपी बनाया गया है.
क्या किसी मामले में गिरफ्तारी हुई? इसको लेकर मंडावली थाने के एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि उन्हें पुलिस ने बाउंड डाउन करके यानि एक तरह की शर्तिया जमानत पर छोड़ दिया है.
हमने पूछा इसका क्या मतलब तो उन्होंने कहा, “ऐसे मामलों में गिरफ्तारी नहीं होती है. हम आरोपी की सारी डीटेल्स लेकर उसे इस शर्त पर छोड़ देते हैं कि जब जरूरत होगी तो उसे कोर्ट के सामने हाजिर होना होगा. वैसे भी ऐसे मामलों में सजा कम ही होती है. लोक अदालत में थोड़ा बहुत जुर्माना लगाकर मामला खत्म कर दिया जाता है. ’’
आगे अधिकारी एक सवाल के जवाब में हमें कहते हैं, ‘‘आप जितना बड़ा मामला इसे समझ रहे हैं, यह उतना बड़ा मामला नहीं है. 500-1000 रुपये के जुर्माने के बाद मैजिस्ट्रेट ही छोड़ देते हैं.’’
‘‘पुलिस को देखते ही पटाखे को छिन्न भिन्न कर दिया’’
जहां पूर्वी दिल्ली में पुलिस को आरोपी नहीं मिले. वहीं रोहिणी इलाके में पुलिल पटाखे जब्त नहीं कर पाई. पुलिस को देखते ही लोगों ने पटाखे फोड़ दिए, जिसके चलते उन्हें कब्जे में नहीं लिया जा सका.
न्यूज़लॉन्ड्री ने रोहिणी जिले में दर्ज कुछ एफआईआर की पड़ताल की. आरटीआई से मिली सूचना के मुताबिक, रोहिणी के अलग-अलग थानों में दिवाली के दौरान 53 मामले दर्ज हुए हैं. इसमें से सबसे ज़्यादा 9 मामले अमन विहार थाने में दर्ज हुए हैं.
न्यूज़लॉन्ड्री ने अमन विहार में दर्ज हुई 9 एफआईआर की कॉपी हासिल की. इन सभी में आरोपी का नाम दर्ज है. पुलिस दस्तावेज के मुताबिक, ये सभी मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं यानि ट्रायल पेंडिंग है.
अमन विहार में पुलिस ने बीएनएस की 223 (बी) के तहत मामला दर्ज किया है. इसके मुताबिक, यदि कोई व्यक्ति लोक सेवक के आदेश का पालन नहीं करता है, जिससे किसी को कोई परेशानी या बाधा होती है तो उसे छह महीने तक की सजा या 2,500 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. कभी-कभी दोनों से दंडित किया जा सकता है.
हालांकि, अमन विहार में दर्ज एफआईआर को पढ़ने पर भी हमें 9 में से सात मामलों में एक समानता नजर आई. दरअसल एफआईआर में लिखा है,‘‘गश्त के दौरान हमने देखा कि एक शख्स घर के बाहर पटाखे जला रहा था. पुलिस को आता देखकर हाथ में लिए पटाखे में आग लगा दी. जिससे पटाखा फटकर छिन्न-भिन्न हो गया. जिस कारण पटाखे को पुलिस कब्ज़ा में नहीं लिया जा सका.’’
कुछ शब्दों के बदलाव के साथ सातों एफआईआर में लगभग यही कहानी है. जबकि सभी के शिकायकर्ता पुलिस अधिकारी अलग-अलग हैं.
आखिर यह इतेफाक कैसे हुआ? दिल्ली पुलिस के एक सीनियर अधिकारी बताते हैं, ‘‘ऐसा लिखने के पीछे कारण है कि पुलिस के पास कोई सीजर नहीं मतलब जब्ती नहीं है. जब कुछ जब्त नहीं हुआ होगा तो केस कमज़ोर होगा. आरोपी के वकील को आसानी होगी. दस मामलों में से सात में ऐसा हुआ है तो यह जानबूझकर न किया गया हो ऐसे हो नहीं हो सकता है.’’
क्या दिल्ली पुलिस सिर्फ दिखावे के लिए कार्रवाई कर रही है?
न्यूज़लॉन्ड्री ने पाया कि दिल्ली पुलिस पटाखों पर लगे प्रतिबंध को लेकर जो कार्रवाई कर रही है, वो ज्यादातर दिखावा ही नजर आ रही है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली सरकार ने 14 अक्टूबर 2024 से 1 जनवरी 2025 पटाखे जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया. कोर्ट ने ‘साफ हवा में सांस लेना मौलिक अधिकार’ है ये कहते हुए इस आदेश का सख्ती से पालन करने की हिदायत दी थी. हालांकि, दिवाली की दरम्यानी रात जमकर पटाखे फोड़े गए.
गत 11 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर हुई सुनवाई में जस्टिस अभय एस. ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह वाली पीठ ने दिल्ली पुलिस को जमकर फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि प्रतिबंध के आदेश का दिल्ली पुलिस ने ठीक से पालन नहीं किया, महज दिखावा किया. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को इस बारे में एक स्पेशल सेल बनाने का भी निर्देश दिया. हमें मिली जानकारी के मुताबिक, अभी तक कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हुआ है.
वहीं, बीते हफ्ते हुई सुनवाई में दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया, “राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से पूरे वर्ष के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में सभी प्रकार के पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री, ऑनलाइन मार्केटिंग प्लेटफार्मों के माध्यम से वितरण और फोड़े जाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है.”
गौरतलब है कि इससे पहले कोर्ट ने अपनी सुनवाई में यह भी कहा था कि पुलिस कमिश्नर तय करें कि पटाखों पर बैन पूरे साल लागू करने के लिए सभी लोकल पुलिस स्टेशनों के थाना प्रभारी जिम्मेदार होंगे.
वहीं, हमारी पड़ताल में यह भी सामने आया कि भले ही दिवाली की दरम्यानी रात दिल्ली में खूब पटाखे जलाए गए लेकिन कई जगह पुलिस ने कोई मामला दर्ज ही नहीं किया जैसे- मयूर विहार और लक्ष्मी नगर थाना इलाका.
लक्ष्मी नगर थाने के एसएचओ सुरेंद्र शर्मा से जब हमने सवाल किया कि क्या दिवाली की रात पटाखे नहीं फोड़े गए? तो उन्होंने माना कि पटाखे फोड़े गए. साथ ही दावा किया कि उन्होंने पटाखे भी जब्त किए हैं. जब हमने इन मामलों की एफआईआर के बारे में पूछा तो उन्होंने ‘व्यस्तता’ का हवाला देकर फोन काट दिया.
फिलहाल, हमने दिल्ली पुलिस के पीआरओ जगप्रीत सिंह को अपनी पड़ताल पर कुछ सवाल भेजे हैं. अगर उनका कोई जवाब आता है तो उसे इस रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा.
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