![](https://media.assettype.com/newslaundry/2025-01-16/lmvgowx3/hindi-auto.jpg)
दिल्ली में चुनाव आते ही ऑटो चालकों के प्रति तमाम राजनीतिक दलों का प्रेम उमड़ने लगता है. इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि 7 जनवरी को आरएसएस से जुड़े ऑटो रिक्शा संघ ने रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव को एक पत्र लिखा. पत्र में मांग की गई थी कि दिल्ली के अलग-अलग रेलवे स्टेशन पर ऑटो वालों से 700 रुपये पार्किंग के लिए जाते हैं. इसे हटाएं. इसके अलावा कई और मांग थीं.
उसी दिन खबर आई कि रेल मंत्री ने इसमें से एक बात मान ली है. अब ऑटो वालों को 700 की जगह 200 रुपये पार्किंग के देने होंगे.
बीजेपी ने अपना घोषणा पत्र तो जारी नहीं किया लेकिन ऑटो वालों की कुछ मांग मान ली है. जिसे वादे के तौर पर देखा जा रहा है. वहीं, आम आदमी पार्टी ने तो ऑटो वालों के लिए वादों की झड़ी लगा दी है.
कोई ऑटो चालकों की बेटियों की शादी में पैसे देने का वादा कर रहा है तो कोई उन्हें घर देने का वादा कर रहा है. आखिर ऑटो वाले पार्टियों के लिए इतने खास क्यों हो जाते हैं दिल्ली के चुनाव में? दरअसल, ऑटो चालक एक वोट बैंक तो है ही इसके साथ ही चुनाव के दौरान फीडबैक उपलब्ध कराने और प्रचार करने में अहम भूमिका निभाते हैं.
साल 2013, 2015 या 2020 का चुनाव हो. ऑटो वालों ने खुलकर आम आदमी पार्टी का साथ दिया. तब केजरीवाल भी सत्ता में आते ही धड़ाधड़ ऑटो वालों के पक्ष में फैसला लेते दिखे.
लेकिन 2025 के चुनाव में दिल्ली के ऑटो वालों के मन में क्या है? ये जानने के लिए हमने कुछ से बात की. देखिए ये वीडियो रिपोर्ट.
Newslaundry is a reader-supported, ad-free, independent news outlet based out of New Delhi. Support their journalism, here.