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उत्तर प्रदेश के मेरठ में न्यूज़ एजेंसी एएनआई (एशियन न्यूज़ इंटरनेशनल) के काम करने वाले पत्रकार रवि गुप्ता रोज की तरह सोमवार, 11 दिसंबर को भी ख़बर के सिलसिले में जिले के एसएसपी और जिलाधिकारी के कार्यालय जा रहे थे. रास्ते में मेरठ विकास प्राधिकरण (एमडीए) का दफ्तर हैं. वहां उन्हें भीड़ किसी को मारती नजर आई.
यह भीड़ एमडीए के कमर्चारियों की थी. रवि ने स्कूटी रोकी और मारपीट का वीडियो बनाने लगे. अचानक से भीड़ ने रवि पर हमला कर दिया. वो कहते रहे कि मैं पत्रकार हूं. मैं अपना काम कर रहा हूं लेकिन भीड़ में मौजूद लोग उनपर हमला करते रहे. इस बीच उनका फोन भी छीनकर तोड़ दिया गया.
बीते आठ सालों से एनएनआई के लिए मेरठ से रिपोर्ट करने वाले रवि बताते हैं, ‘‘वो लोग बुरी तरह से मार रहे थे. कह रहे थे तेरी पत्रकारिता निकालते हैं. हर जगह पहुंच जाते हो. इत्तेफाक से उस वक़्त एमडीए के सूचना विभाग के कुछ अधिकारी आ गए. वो मुझे जानते थे. उन्होंने ही इस भीड़ को रोका नहीं तो मैं अभी आपसे बात नहीं कर रहा होता, अस्पताल में भर्ती होता.’’
जिस युवक को एमडीए के अधिकार मार रहे थे, उसे आप जानते हैं? इस सवाल पर रवि कहते है कि नहीं मैं उसे नहीं जानता था. मैं तो स्टोरी के सिलसिले में रुका था. हालात यह हुए कि वो उसे छोड़कर मुझपे ही टूट पड़े. उन्होंने मेरा फोन छीन लिया और जमीन पर फेंकर उसे तोड़ दिया. मेरे पास आईफोन था जिस वजह से उसमें बना वीडियो आई क्लाउड से मिल गया लेकिन मेरा फोन तो बेकाम हो गया है.
इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ है.
Caught on cam: Meerut Municipal Corporation employees thrash journalist pic.twitter.com/qeqsWxkHj4
— The Times Of India (@timesofindia) December 12, 2023
एफआईआर दर्ज
इस मामले में रवि गुप्ता की शिकायत के आधार पर देर रात मेरठ पुलिस ने मामला दर्ज किया. इसमें एमडीए के पांच कर्मचारी- हुकुम सिंह, महाराज सिंह, अनिल, पंकज, बलराज और अन्य दस अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया है. यह सभी एमडीए के कर्मचारी हैं.
इन सभी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 147 (उपद्रव करना ), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) , 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना) और 506 (धमकी देना) के तहत मेरठ के सिविल लाइंस थाने में मामला दर्ज किया गया है.
एफआईआर में रवि ने लिखा है कि एमडीए के कुछ कर्मचारियों के सहयोग से मेरी जान तो बच गई लेकिन मोबाइल वापस करते हुए फिर धमकी दी गई कि अगर फिर कभी एमडीए परिसर गया तो मुझे जान से मार देंगे.
क्या आप मारपीट करने वाले कमर्चारियों में से किसी को जानते थे? इस सवाल का जवाब रवि ना में देते हैं. वह कहते हैं, ‘‘पुलिस ने हल्की धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है. मेरा फोन छिना गया, यानी लूट हुई. फोन तोड़ा गया यानि साक्ष्य मिटाने की कोशिश की गई. लेकिन एफआईआर में लूट और साक्ष्य मिटाने की धारा ही नहीं जोड़ी गई है. वहीं अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. गिरफ्तार करने या कार्रवाई करने की जगह प्रशासन समझौता कराने की कोशिश कर रहा है.”
इस मामले पर सिविल लाइन्स थाने के एसएचओ महेश राठौड़ ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि मामला दर्ज कर हम गंभीरता से इसकी जांच कर रहे हैं. मारपीट क्यों की गई इसपर अभी कोई जवाब नहीं दे सकते हैं.’’
वहीं, जिले के सूचना अधिकारी सुमित यादव ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि यह मामला उनके संज्ञान में हैं. उन्होंने इसको लेकर रवि गुप्ता की जिलाधिकारी से बात कराई थी.
इस बारे में मेरठ के जिलाधिकारी दीपक मीणा के कार्यालय ने बताया कि मामले की जानकारी उन्हें (जिलाधिकारी को) है. साथ ही इस बारे में उचित कार्रवाई का आदेश दिए हैं.
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