दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद और मानवाधिकार कार्यकर्ता आकार पटेल ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा मार्ग पर धार्मिक नाम प्लेटों के उपयोग के खिलाफ आवाज उठाई है. लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार इस याचिका में दावा किया गया है कि इन नेम प्लेटों का उपयोग सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने और धार्मिक भेदभाव को बढ़ावा देने वाला है.
अपूर्वानंद और आकार पटेल का दावा है कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर धार्मिक नेम प्लेटों का उपयोग विभिन्न समुदायों के बीच सांप्रदायिक तनाव को बढ़ा सकता है.
याचिका में तर्क दिया गया है कि इन नेम प्लेटों का उपयोग संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन है, जो सभी नागरिकों के लिए समानता, भेदभाव से मुक्ति और स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है. इस तरह मुसलमानों को काम से हटाने को उन्होंने अनुच्छेद 19(1)(g) का उल्लंघन बताया है.
इससे पहले भी विपक्ष के साथ-साथ बीजेपी के सहयोगी दलों ने भी इस फैसले का विरोध किया था, और सरकार से इसे वापिस लेने की मांग की थी.
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