
उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन जिले में इन दिनों कुछ पत्रकारों और बेसिक शिक्षा विभाग के बीच खूब तनातनी देखने के मिल रही है. पत्रकार विभाग के खिलाफ ख़बरबाजी में जुटे हैं तो दूसरी ओर एक शिक्षिका ने इन्हें मुकदमेबाजी में घसीट लिया है. अब पत्रकार सड़क पर उतर कर जनता से नैतिक समर्थन के नाम पर ‘भीख मांग’ रहे हैं.
पत्रकारों का कहना है कि उन्होंने ‘पढ़ाना छोड़ कथा बांचने वाली शिक्षिका रागिनी मिश्रा’ की खबर दिखाई. बीएसए का भ्रष्टाचार उजागर किया. लेकिन शिक्षिका पर एक्शन की बजाए उनके खिलाफ ही मुकदमा दर्ज कर लिया गया. उन्होंने बीएसए के अधिकारियों पर मिलीभगत और सांठगांठ के आरोप लगाए.
दरअसल, कंपोजिट प्राथमिक विद्यालय, रणवीरपुर में शिक्षिका रागिनी मिश्रा की शिकायत पर पत्रकार राहुल सिंह, अभिषेक सिंह, अमित सिंह चौहान, संजय यादव, राजीव शर्मा और विनय ज्ञानचंद के खिलाफ मामला दर्ज हुआ. शिक्षिका ने इन पर 10 हजार रुपये महीना रंगदारी मांगने और चरित्र हनन के आरोप लगाए. जिसके बाद पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की 79, 308(2), 352, 351(2) और सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम, 2008 की धारा 67 के तहत एफआईआर दर्ज कर ली.
मुकदमे के बाद पत्रकार जनता से नैतिक समर्थन की मांग लेकर भीख मांगने सड़कों पर उतर गए और शिक्षिका ने खुद को बेकसूर बताते हुए उत्तर प्रदेश महिला आयोग तक गुहार लगाई है.

दरअसल, 9 दिसंबर को अभिषेक सिंह के नाम से पत्रिका के पोर्टल पर रागिनी मिश्रा को लेकर एक ख़बर प्रकाशित हुई. इसके पहले पत्रकार स्कूल में भी पहुंचे और वहां से एक वीडियो रिपोर्ट की. इस रिपोर्ट में शिक्षिका पर स्कूल न जाकर कथावाचन करने और एक साथ बीते दिनों की हाजिरी भरने जैसे आरोपों का जिक्र था. स्थानीय पत्रकारों ने यह भी आरोप लगाया कि जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी और वहां मौजूद बाबू की सांठगांठ से यह चल रहा है.
इसके बाद रागिनी मिश्रा ने 12 दिसंबर को थाने में शिकायत दी. जिस पर 16 दिसंबर को पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया.
आरोपों पर पत्रकारों की सफाई?
अभिषेक सिंह पत्रिका के डिजिटल पोर्टल में स्ट्रिंगर हैं और द ख़बरिया के नाम से यूट्यूब चैनल भी चलाते हैं. आरोपों को लेकर वह कहते हैं, “हमने तथ्यों के साथ खबर प्रकाशित की. हमारे खिलाफ कोई भी तथ्य नहीं है. एकदम झूठा मुकदमा लिखवाया गया है. प्रशासन हमारे खिलाफ कुछ खोज नहीं पा रहा है वरना अब तक तो हमें गिरफ्तार कर लिया जाता.”
मामले में नामजद एक अन्य पत्रकार राहुल सिंह कहते हैं, “इस खबर को करने के लिए जब हम स्कूल पहुंचे तो अलग-अलग क्लास के बच्चों और प्रिंसिपल से बात की. इसलिए मेरा नाम भी एफआईआर में शामिल है.” राहुल एबीपी गंगा के स्ट्रिंगर हैं.
मऊ तक नाम से यूट्यूब चैनल चलाने वाले पत्रकार संजय यादव कहते हैं, “वे इस मामले में बीएसए का बयान लेने के लिए उनके दफ्तर गए थे. इसके बाद ये खबर उन्होंने प्रकाशित की थी. बाद में पता चला कि एफआईआर में उनका नाम भी शामिल है.”
क्या कहती हैं कथावाचक शिक्षिका?
पत्रकारों द्वारा लगाए गए तमाम आरोपों को लेकर कथावाचक शिक्षिका रागिनी मिश्रा कहती हैं, "ये सब पूरी प्लानिंग के साथ किया गया. मैं उस दिन मेडिकल लीव पर थी. मेरा नाम केंद्र में रखकर वीडियो बनाए गए. मुझे टारगेट करके स्कूल में सबसे सवाल पूछ गए. स्कूल से रजिस्टर लिया और एडिट करके उसकी तस्वीरें वायरल की गईं. मेरे व्यक्तिगत जीवन पर भी सवाल उठा रहे हैं. इन्हें मेरे व्यक्तिगत जीवन से क्या मतलब? मैं नेपाल जा रही हूं या काठमांडू, ये मेरा निजी मामला है."
रागिनी ने दावा किया कि वे स्कूल के बाद ही कथावाचन करती हैं. साथ ही कहती हैं कि अगर वह दोषी पाई गईं तो हर सजा भुगतने, यहां तक कि नौकरी भी छोड़ने के लिए तैयार हैं.
क्या कहते हैं बेसिक शिक्षा अधिकारी?
पत्रकारों ने बेसिक शिक्षा अधिकारी संतोष कुमार उपाध्याय पर भी रागिनी मिश्रा से सांठगांठ करने और ढिलाई बरतने के आरोप लगाए हैं. इन आरोपों पर संतोष उपाध्याय कहते हैं, "रागिनी के स्कूल में जाकर पत्रकारों ने तीन घंटे तक पूछताछ की. फिर सोशल मीडिया पर मेरे और रागिनी के बारे में टिप्पणियां की. कभी लिख रहे हैं "सैंया भए कोतवाल अब डर काहे का!" तो कभी "साहेब की चहेती" जैसी उपमाएं दे रहे हैं. जैसे मुझसे कोई निजी लड़ाई हो. इन लोगों ने मेरे व्यक्तिगत जीवन पर ही आक्षेप लगा दिया. सवाल उठा रहे हैं कि मैंने उनके साथ जन्मदिन का केक काटा. तो उस दिन मैं अकेला नहीं था, मेरी पत्नी भी मेरे साथ थीं. अब वो इन लोगों पर अवमानना का केस करने जा रही हैं. इन्हें कोर्ट में जवाब देना पड़ेगा. मैं खुद भी मुकदमा करूंगा. किसी के चरित्र पर ऐसे उंगली नहीं उठानी चाहिए."
बीते दिनों की हाजिरी के आरोपों पर वो रागिनी को क्लीन चिट देते हैं और कहते हैं, “मेरी जांच में सब कुछ ठीक पाया गया है. रागिनी स्कूल टाइम में कथावाचन नहीं करती हैं बल्कि स्कूल के बाद शाम में करती हैं."
पुलिस की जांच, क्या बोले अधिकारी
पत्रकारों के खिलाफ मामले को लेकर सरायलखंसी थाना प्रभारी राजकुमार सिंह कहते हैं, “हमने मामला दर्ज कर लिया है. अभी तक किसी से न कोई पूछताछ की है और न ही किसी को हिरासत में लिया है. विवेचना के बाद या तो चार्जशीट या फिर फाइनल रिपोर्ट कोर्ट में चली जाएगी.”
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