उत्तर प्रदेश के कौशांबी में शुक्रवार यानी 15 सितंबर की सुबह लोग नींद के आगोश से बाहर भी नहीं निकले थे कि बड़ी वारदात हो गई. जमीनी विवाद को लेकर हुए इस तिहरे हत्याकांड में एक गर्भवती महिला समेत तीन दलितों की बेरहमी से हत्या कर दी गई. इस वारदात से नाराज दलितों ने आगजनी कर दी. साथ ही दोनों ओर से हुई फायरिंग में दो लोग घायल भी हुए हैं.
यह घटना संदीपन घाट थाना क्षेत्र के मोहिउद्दीनपुर गांव की है. जहां खेत में झोपड़ी बनाकर सो रहे पिता, उसकी गर्भवती बेटी और दामाद की गोली मारकर हत्या कर दी गई. घटना सुबह साढ़े पांच बजे की बताई जा रही है.
भारी बवाल की सूचना पर तीन थानों की पुलिस आलाधिकारियों के साथ मौके पर पहुंची. घटनास्थल पर मौजूद कौशांबी पुलिस अधीक्षक ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हमें सुबह 6:15 बजे सूचना मिली थी कि गांव में तिहरा हत्याकांड हुआ है. मृतकों में ससुर, बेटी और दामाद थे जो कि घर के बाहर सो रहे थे. घटना में चार लोगों के शामिल होने की जानकारी मिली है, उनको नामज़द कर रहे हैं. वो फरार हैं और हमारी टीमें उनकी गिरफ्तारी के लिए लगी हुई हैं.”
वह आगे कहते हैं, “कुछ दिनों पहले ही इनकी जमीन की पैमाइश हुई थी. उसी को लेकर कुछ विवाद था, हम उसकी पड़ताल कर रहे हैं. शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा जा रहा है. पीड़ित पक्ष ने हमला करने वालों के घरों में आग लगाई थी. आग पर काबू पा लिया गया है और फिलहाल स्थिति सामान्य है. आगे की कार्रवाई की जी रही है.”
इस वारदात पर भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर रावण ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर लिखा, “यूपी में मुख्यमंत्री जी की विज्ञापन वाली कानून व्यवस्था जनता के लिए विषकाल बन चुकी है. यूपी मे लाचार कानून व्यवस्था की बानगी, फिर से बीती रात कौशांबी जिले में देखने को मिली. जहां झोपड़ी में सो रहे दलित होरीलाल, उनकी गर्भवती बेटी और दामाद की गोली मार के निर्मम हत्या कर दी गई. हमेशा की तरह पुलिस असहाय और मूकदर्शक. हमारी मुख्यमंत्री जी से मांग है कि हत्यारों की तत्काल गिरफ्तारी कर सख्त कार्यवाही करें और पीड़ित परिवारों की हर सम्भव मदद करे.”
घटना के बाद मौके पर पहुंचे अमर उजाला के पत्रकार आर्दश श्रीवास्तव न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं, “यह घटना सुबह 5:30 बजे की है. उसके बाद गांव के एक व्यक्ति ने मृतकों के रिश्तेदारों को सूचना दी कि यहां पर आपके रिश्तेदारों को मार दिया गया है. इसके बाद आसपास के गांवों के दलित लोग इक्ट्ठा हो गए. आरोपियों के घरों में आगजनी और बाद में दोनों और से फायरिंग शुरू हो गई. जो रुक-रुककर करीब एक घंटे तक जारी रही. इसें दो लोग घायल भी हुए हैं. पीड़ित पक्ष दलित (पासी) जबकि आरोपी यादव और चौहान हैं. गांव के बाहर नई बस्ती बनी है. इसमें ज्यादातर लोग यादव और चौहान हैं.”
जमीनी विवाद
आदर्श आगे कहते हैं, “गांव में लालचंद निर्मल (दलित) को 20 साल पहले एक पट्टा मिला था लेकिन आरोपियों ने उस पर कब्जा नहीं मिलने दिया. इससे परेशान होकर इस पट्टे को लालचंद ने 55 वर्षीय मृतक होरीलाल के दामाद 28 वर्षीय शिवशरण को दे दिया था. इनका कुछ एग्रीमेंट भी हुआ था. लेकिन आरोपी दबंगों ने इन्हें भी कब्जा नहीं मिलने दिया. इसमें एक वाद भी दायर किया हुआ है.”
“कब्जा नहीं मिलता देख मृतक शिवशरण इसी पट्टे की जमीन पर एक कोने में झोपड़ी बनाकर रहने लगा. इसी झोपड़ी के बाहर तीनों सो रहे थे. जहां घटना को अंजाम दिया गया. आरोपियों को झोपड़ी बनाकर रहना काफी दिनों से अखर रहा था. इसी के चलते यह घटना हुई है. इस जमीन पर अभी भी आरोपियों का ही कब्जा है.” उन्होंने कहा.
वह आगे जोड़ते हैं कि मृतक शिवशरण की पत्नी 25 वर्षीय बृज रानी छह महीने की गर्भवती थीं. दोनों ओर से की गई फायरिंग में अनूप चौहान और एक अन्य घायल हो गए हैं. फिलहाल गांव में तनाव की स्थिति है और आरोपी पक्ष गांव से फरार है.
कौशांबी पुलिस अधीक्षक ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव के पीआरओ ने देर शाम न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि छह लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की गई है. जिनमें से दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है. उनके मुताबिक ये जमीनी विवाद था. तीनों को गोली से मारा गया है. अभी स्थिति सामान्य है.
उन्होंने बताया कि सुबह आक्रोशित भीड़ ने एक दुकान के बाहर मढैया में आगजनी कर दी थी. लेकिन अभी ऐसा कुछ नहीं है.
पड़ोसियों के मुताबिक, मृतक की बेटी और दामाद दो दिन पहले ही घर आए थे. आरोपियों ने पिता पर हमला किया तो बेटी और दामाद बचाने आए, जिसमें आरोपियों ने पिता के साथ साथ इन दोनों को भी मौत के घाट उतार दिया. तीनों की मौके पर ही मौत हो गई.
वारदात की सूचना मिलने पर पुलिस कप्तान और जिला अधिकारी तमाम फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे. आगजनी पर काबू पाने के लिए फायर ब्रिगेड की गाड़ियां मौके बुलाई गईं.
कौशांबी में ट्रिपल मर्डर मामले में मौके पर पहुंचे एडीजी भानु भास्कर ने मीडिया को बताया कि आरोपियों की तलाश में आठ टीमें लगाई गई हैं.
इस घटना पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट कर लिखा कि भाजपा काल में दलित-उत्पीड़न बढ़ने के कारणों की भी गहरी जांच-पड़ताल होनी चाहिए.
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