सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकारों के डिजिटल उपकरणों को जब्त करने से पहले और उसके दौरान जांच एजेंसियों के लिए नियम और दिशानिर्देश बनाने को कहा है. साथ ही केंद्र को इस बारे में सुझाव देने के लिए एक महीने का समय दिया है कि क्या-कुछ दिशा निर्देश लागू किए जा सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल्स द्वारा ऐसे दिशा-निर्देशों की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी. यह याचिका पांच शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं के एक समूह ने दायर की है.
बार और बेंच के मुताबिक, “सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से यह दोहराते हुए कि “गोपनीयता एक मौलिक अधिकार है”, कहा इसलिए वह व्यक्तियों, विशेष रूप से पत्रकारों के उपकरणों की जब्ती को नियंत्रित करने के लिए "बेहतर दिशा निर्देश" लेकर आएं.”
“यह एक गंभीर मामला है. ये पत्रकार हैं जिनके पास अपने स्रोत और अन्य चीजें होंगी. कुछ दिशा निर्देश होने चाहिए. यदि आप सब कुछ छीन लेते हैं, तो एक समस्या है. आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कुछ दिशा निर्देश हों'', न्यायमूर्ति एस के कौल ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू से कहा.
पीठ में न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया भी शामिल थे. उन्होंने कहा, "उन्हें आपको (जब्त डिवाइस का) हैश मूल्य देना होगा."
हालांकि, राजू ने कहा कि सरकार को ऐसे उपकरणों की जांच करने से नहीं रोका जा सकता है और मीडिया कानून से ऊपर नहीं हो सकता.”
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिशा निर्देशों के अभाव में सरकार को अत्यधिक शक्तियां सौंपना खतरनाक होगा.
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