22 मार्च को 21 साल के रविंद्र सैनी को अपने छोटे से पत्रकारिता/यूट्यूबर्स के करियर में बहुत कड़वा अनुभव झेलना पड़ा. उन्हें रहरा थाने के एसओ ने थाने में बुलाया और उनसे एक माफीनामे पर दस्तखत करवा लिया. यह उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में पड़ता है. दरअसल सैनी पिछले डेढ़ साल से जनहित क्रांति 24 नाम से एक स्थानीय यूट्यूब चैनल चलाते हैं. इसके करीब 7 हजार सब्सक्राइबर्स हैं.
सैनी के ऊपर आरोप था कि इन्होंने अपने यूट्यूब चैनल पर भाजपा प्रत्याशी कंवर सिंह तंवर की छवि धूमिल कर मतदाताओं को भ्रमित करने का काम किया. यह आदर्श आचार संहिता के नियमों के प्रतिकूल है. चुनाव आयोग ने यह नोटिस अमरोहा के स्थानीय पुलिस प्रशासन को भेजा था. जिसमें आईटी एक्ट की धारा 67 एवं अन्य सुसंगत धाराओं के अंतर्गत एफआईआर दर्ज करने को कहा गया है.
रविंद्र सैनी हमें बताते हैं, “प्रत्याशी (तंवर) के खिलाफ गांव में विरोध और नारेबाजी हुई थी. हमने अपनी खबर में वही चलाया था. इसी पर हमें नोटिस भेज दिया. हालांकि, कोई कार्रवाई नहीं हुई है. प्रशासन के आगे हमें झुकना पड़ा. हमारी आवाज दबाई जा रही है. यह वीडियो हमने प्राइवेट कर लिया है.”
वो आगे कहते हैं, “मुझे रहरा थाने के एसओ ने बुलवाया था. मुझसे माफीनामा लिखवाया गया है कि आगे से ऐसी गलती नहीं होगी. अब मैं इस चुनाव को कवर ही नहीं कर रहा हूं. मुझे डर है कि कहीं फंस न जाऊं.”
इस मामले पर सीओ, हसनपुर दीप कुमार पंत कहते हैं कि ऐसे एफआईआर नहीं होती है. पहले शिकायत की जांच होती है तब उपयुक्त पाए जाने पर एफआईआर दर्ज होती है. हम यूट्यूबर को बुलाकर पूछताछ कर लेंगे.
हमने पाया कि अमरोहा जिले में यह कोई इकलौता मामला नहीं है. इसके अलावा भी कई अन्य यूट्यूबर्स को इसी तरह का नोटिस भेजा गया है.
लोकसभा चुनाव अपने चरम पर है. पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होना है. मुख्यधारा के मीडिया के साथ ही बड़ी संख्या में यूट्यूबर्स भी इस समर में कूद पड़े हैं. चुनावों को लोकतंत्र का पर्व कहते हैं, कुछ लोग इसे कर्मकांड भी कहते हैं. बहरहाल अमरोहा जिले के यूट्यूबर्स के लिए यह त्योहार या खुशी का मौका नहीं है. यहां कई यूट्यूबर्स इस डर में हैं कि अगर वो कवरेज करेंगे तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली जाएगी.
दरअसल, अमरोहा के निर्वाचन अधिकारी की तरफ पुलिस क्षेत्राधिकारी यानी सीओ को कुछ पत्र भेजे गए हैं. इन पत्रों में कुछ यूट्यूबर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को कहा गया है. न्यूज़लॉन्ड्री के पास ऐसे पांच नोटिस मौजूद हैंं.
जिला निर्वाचन अधिकारी की ओर से इसी तरह का नोटिस राजीव कुमार को भी भेजा गया है. वह Pratham TV News India नाम से यूट्यूब चैनल चलाते हैं. इसके करीब 7 हजार सब्सक्राइबर्स हैं. उन्हें दो नोटिस भेजे गए हैं. इनमें एक 28 मार्च और दूसरा 5 अप्रैल को भेजा गया है. दोनों ही नोटिस का आधार जैसा है.
राजीव कहते हैं, “यह नोटिस मुझे लेखपाल के माध्यम से मिला है. जिस ख़बर के लिए मुझे नोटिस मिला है मैं उसे 20-25 बार देख चुका हूं और लोगों को दिखा चुका हूं लेकिन मुझे अभी तक समझ नहीं आ रहा है कि इसमें क्या गलत है. मैंने कहीं कोई ऐसा क्लेम नहीं किया है जिससे किसी को आपत्ति हो.”
28 मार्च के नोटिस के मुताबिक राजीव पर आरोप लगाया गया है कि इन्होंने गठबंधन के प्रत्याशी दानिश अली की छवि धूमिल करने और मतदाताओं को भ्रमित करने का प्रयास किया है. वहीं, 5 अप्रैल को बसपा प्रत्याशी के दौरे की खबर पर नोटिस भेजा गया है.
जिन ख़बरों पर नोटिस भेजा गया है उनके शीर्षक कुछ यूं हैं-
1- “तूफानी दौरों के साथ चल रहा है बसपा प्रत्याशी डॉक्टर चौधरी मुजाहिद हुसैन का कारवां “
2- “नौगांवा विधान सभा से बसपा प्रत्याशी को मिला मुस्लिम बुजुर्गों का आशीर्वाद दिया जीत का भरोसा”
इन थंबनेल के साथ राजीव ने दो अलग-अलग वीडियो पब्लिश किए थे. जिनके लिए इनको यह नोटिस भेजा गया है.
नोटिस में कहा गया है कि पत्रकार द्वारा केवल डॉ. चौधरी मुजाहिद के पक्ष को मजबूत बनाने एवं अन्य प्रत्याशी की छवि धूमिल करने के उद्देश्य से वीडियो का प्रसारण करके मतदाताओं को भ्रमित करने का प्रयास किया जा रहा है. जो कि आदर्श आचार संहिता व भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशों के प्रतिकूल है.
जिला निर्वाचन अधिकारी ने आईटी एक्ट की धारा 67 समेत अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज करने की अपील की है.
राजीव कहते हैं, “हम लोग काफी डरे हुए हैं. अब हम चुनाव नहीं कवर रहे हैं. डर है कि कहीं कोई मुकदमा न हो जाए.”
इन नोटिसों पर धनौरा सीओ स्वेता भास्कर ने बताया कि अभी उस शिकायत पर कार्रवाई नहींं हुई है. नोटिस में कोई क्लैरिटी नहीं है. उन्होंने क्लैरिटी मांगी है कि इसमें वादी कौन रहेगा. जांच के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा.
5 अप्रैल को ही अमरोहा से आशेकीन कुरैशी और हसनपुर से इस्तेखार को भी नोटिस भेजा गया है.
आशेकीन कुरैशी JPN7 News के नाम से यूट्यूब चैनल चलाते हैं. इसके करीब 11 हजार सब्सक्राइबर्स हैं.
कुरैशी पर भी प्रत्याशियों की छवि धूमिल करने और मतदाताओं को भ्रमित करने का आरोप है. निर्वाचन अधिकारी ने सीओ से आईटी एक्ट और अन्य धाराओं में मुकदमा करने की गुजारिश की है.
आशेकीन कुरैशी कहते हैं कि उन्हें जानकारी ही नहीं है कि इस तरह का कोई नोटिस उनके खिलाफ आया है. वहीं, इस्तेखार पहले तो मना कर देते हैं कि उन्हें कोई नोटिस मिला है लेकिन बाद में दबी आवाज में वह कहते हैं कि क्या करें अब. वह किसी पचड़े में नहीं फंसना चाहते हैं.
इस्तेखार, मुंसिफ टीवी अमरोहा में रिपोर्टर हैं. आरोप है कि इन्होंने मुंसिफ टीवी अमरोहा के व्हाट्सएप ग्रुप में 3 मार्च को पोस्ट की थी. यह पोस्ट बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार चौधरी मुजाहिद हुसैन से संबंधित थी. इसमें कहा गया था कि मुजाहिद हुसैन ने कई गांवों का तूफानी दौरा किया. इस दौरान लोगों ने बहनजी जिंदाबाद, सर्व समाज जिंदाबाद के नारे लगाए. इसके चलते ही उन पर निर्वाचन अधिकारी ने एफआईआर दर्ज करने की मांग की है.
इस्तेखार कहते हैं, “मैं सिर्फ उस व्हाट्सएप ग्रुप का एडमिन हूं. यह पोस्ट किसी और ने की थी. इसमें गलत क्या है. मैंने तो यह ख़बर चैनल पर भी नहीं चलाई है. बावजूद इसके नोटिस भेज दिया. मैं अब पत्रकारिता ही नहीं कर रहा हूं. चुनाव बाद देखेंगे क्या करना है.”
सब नोटिस कुछ इस तरह से जारी हुए हैं कि अगर किसी प्रत्याशी ने क्षेत्र का दौरा किया है तो उसकी कवरेज पर भी नोटिस भेज दिया गया है. वहीं, अगर किसी प्रत्याशी का क्षेत्र में विरोध हुआ है तो उसकी कवरेज पर भी नोटिस भेजा गया है.
इस पूरे मामले पर न्यूज़लॉन्ड्री ने अमरोहा के निर्वाचन अधिकारी सुभाष सिंह से भी बात की.
आप कैसे मॉनिटर कर रहे हैं और किसी यूट्यूबर पर कार्रवाई करने का क्या पैमाना है? इस पर सिंह कहते हैं, “भ्रामक और आपत्तिजनक ख़बर चलाना आचार संहिता का उल्लंघन है. इन्होंने सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक, यूट्यूब और व्हाट्सएप ग्रुपों में ऐसी वीडियो डाली हैं. मतदाताओं को भ्रमित करने और प्रत्याशियों की छवि धूमिल करने का प्रयास किया गया है. इसीलिए नोटिस जारी किया गया है.”
इस बारे में हमने अमरोहा के एडीएम चंद्रकांता से भी बात की. सवाल सुनने के बाद वह कहते हैं कि मैं अभी व्यस्त हूं और इस बारे में निर्वाचन अधिकारी से बात कीजिए. फिर उनसे बात नहींं हो पाती.
अमरोहा के वरिष्ठ पत्रकार डॉ. तारिक अजीम कहते हैं कि वे 20 साल से पत्रकारिता कर रहे हैं. लेकिन पत्रकारों और यूट्यूबर्स को नोटिस भेजने का मामला पहली बार देख रहे हैं.
वह कहते हैं, “कवरेज करने पर एफआईआर पहली बार देख रहा हूं. यह भी पहली बार हो रहा है कि चुनाव कवरेज में न किसी प्रत्याशी की अच्छाई दिखा सकते हैं और न ही किसी की कोई आलोचना दिखा सकते हैं. अगर यह पाबंदिया लागू होंगी तो फिर संविधान के अनुच्छेद-19 का क्या मतलब रह जाएगा. मैंने कभी इस तरह से पत्रकारिता की आवाजों को दबते हुए नहीं देखा है.”
जिले के ही निवासी पत्रकार कपिल चावला यूपी समाचार लाइव चैनल चलाते हैं. कपिल कहते हैं कि जिले के पत्रकार मुकदमों से डरे हुए हैं. वह खुद भी चुनाव कवर करने से परहेज कर रहे हैं. उन्हें डर है कि अगर चुनाव कवर करेंगे तो उन पर मुकदमा किया जा सकता है.
वह कहते हैं, “पक्ष, विपक्ष और निष्पक्ष किसी भी तरह की ख़बर चलाने से डर लग रहा है. अगर हमने किसी प्रत्याशी के जनसंपर्क की खबर भी चला दी तो कहते हैं कि हम वोटरों को लुभा रहे हैं. अगर क्षेत्र में किसी प्रत्याशी के खिलाफ हाय-हाय के नारे लगते हैं और हम वह दिखा देते हैं तो कहते हैं कि प्रत्याशी की छवि खराब कर रहे हैं. ऐसे में हम करें तो क्या करें. क्या ख़बर चलाएं. किसी पत्रकार के लिए ग्राउंड पर जो स्थिति होती है वही तो ख़बर होती है. लेकिन हमें ऐसी ख़बरें भी नहीं चलाने दी जा रही हैं.”
वहीं, एक अन्य यूट्यूबर पत्रकार नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं, “हम इतने डरे हुए हैं कि अब पत्रकारिता करने का मन ही नहीं कर रहा है. एक-एक शब्द पर नजर है. ऐसे कैसे पत्रकारिता होगी?”
क्या है नियम
निर्वाचन अधिकारी अपने नोटिस में जिस आईटी एक्ट की धारा 67 का जिक्र कर रहे हैं, उसके तहत इंटरनेट पर कोई आपत्तिजनक वीडियो पोस्ट करने पर कार्रवाई करने का प्रावधान है. इस धारा के अंतर्गत तीन साल तक की सज़ा और जुर्माने का भी प्रावधान है, यह सज़ा बढ़ाई भी जा सकती है.
आईटी एक्ट की धारा 67 की आड़ में निर्वाचन अधिकारी ने यूट्यूबर पत्रकारों को नोटिस तो भेज दिए लेकिन कहीं भी स्पष्ट नहीं किया है कि इसमें आपत्तिजनक क्या है. लेकिन निर्वाचन अधिकारी के इस रवैये से बड़ी संख्या में पत्रकारों के बीच भय की लहर पैदा हो गई है जिसके चलते वो अपना काम छोड़कर चुनावों के मौसम में घर पर बैठ गए हैं.
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