मध्य प्रदेश सरकार में पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया का एक आपत्तिजनक वीडियो वायरल हुआ था. उस वीडियो के आधार पर खबर लिखने वाले एक स्थानीय पत्रकार जालम सिंह के ऊपर अब सिलसिलेवार 11 मुकदमें दर्ज किए गए हैं. चार दिनों के भीतर ये सारी एफआईआर दर्ज हुई हैं.
जिन लोगों की शिकायतों पर यह मुकदमे दर्ज हुए हैं उनमें से कई ने न्यूज़लॉन्ड्री से कहा कि वो पत्रकार को जानते तक नहीं हैं. एक शिकायतकर्ता जिसके कहने पर एफआईआर दर्ज हुई, उनका कहना है कि वो ‘लाडली बहना योजना’ के रुपए लेने के लिए थाने गई थीं. वहां उन लोगों ने कुछ कागजों पर हस्ताक्षर कराए थे लेकिन उन्हें नहीं पता कि पत्रकार कौन है और एफआईआर किसने दर्ज कराई.
सभी एफआईआर में भारतीय जनता पार्टी और मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया की छवि धूमिल करने और अवैध वसूली का आरोप लगाया गया है.
पत्रकार जालम सिंह गुना में दैनिक खुलासा ऑनलाइन अख़बार के क्राइम रिपोर्टर हैं. दैनिक खुलासा के ऑनलाइन एडिशन में सात सितंबर को सिंह की बाइलाइन के साथ कथित आपत्तिजनक वीडियो पर खबर प्रकाशित हुई. ख़बर का शीर्षक है- ‘एमपी के अतरंगी माननीय, वीडियो मैसेज आए सामने!’
खबर में क्या है
खबर में प्रदेश के एक माननीय के वीडियो और मैसेज सामने आने की बात कही गई है. सूत्रों के हवाले से लिखा गया है कि यह वीडियो आलाकमान तक पहुंच गया है, जिसके बाद माननीय का टिकट कटना भी तय माना जा रहा है. साथ ही यह भी लिखा है कि माननीय दल बदलकर आए थे.
यह खबर गुना के लोकल ग्रुप्स में वायरल है.
हमने जालम सिंह की पत्नी सुमन किरार से बात की. वह बताती हैं कि अभी तक 11 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं. जमानत की कोशिश जारी है लेकिन पैसों के चलते वह अटकी हुई है.
सुमन सिसोदिया का नाम लेकर कहती हैं, “उनके बारे में ख़बर छपी थी, लेकिन खब़र में उनके नाम का कोई जिक्र नहीं है. इसके बाद मंत्री ने एक महिला के द्वारा एफआईआर दर्ज करवाई. हम उस महिला को जानते भी नहीं हैं. एफआईआर म्याना थाने में दर्ज हुई है. इसके बाद पुलिस हमारे घर आई थी. ये कुछ दिन के लिए घर से बाहर चले गए थे. इसके बाद ये जितने दिन भी बाहर रहे लगातार इनके खिलाफ गुना और शिवपुरी जिले के अलग-अलग थानों में एफआईआर दर्ज होती रहीं. जब तक गिरफ्तारी हुई तब तक 11 एफआईआर दर्ज हो चुकी थीं. इन्हें कोटा से गिरफ्तार किया गया है. कोटा में एक रिश्तेदारी में रह रहे थे.”
वह आगे कहती हैं कि मंत्री सिसोदिया हमारे इलाके के ही हैं, उनका एक वीडियो वायरल हुआ है जो इस क्षेत्र के ज्यादातर सभी लोगों के पास है, उसी को लेकर जालम सिंह ने खबर लिखी थी.
सुमन कहती हैं, “खबर पब्लिश होने के चलते मंत्री दुश्मनी निकाल रहा है. पहले सब पत्रकार एक थे लेकिन अब सारे पत्रकार भी मंत्री की ही सुन रहे हैं. यहां के लोकल पत्रकार भी अब मंत्री के दबाव में हमारे ही खिलाफ खबरें छाप रहे हैं. हम लोग बहुत परेशान हैं. सबको डर है कि अगर मंत्री के खिलाफ जाएंगे तो उनके साथ भी वही होगा जो जालम सिंह के साथ हो रहा है.”
ये 11 एफआईआर दर्ज कराने वाले कौन लोग हैं? इस सवाल पर वह कहती हैं, ”यह सभी भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता हैं. अगर हमें कुछ होता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? हमें टॉर्चर किया जा रहा है.”
मालूम हो कि मध्य प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया गुना की बमोरी विधानसभा सीट से विधायक हैं. उन्हें केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का करीबी माना जाता है. जब सिंधिया भाजपा में शामिल हुए थे तब सिसोदिया भी कांग्रेस छोड़ उनके साथ बीजेपी में आ गए थे.
एफआईआर कराने वाले कौन
एफआईआर कराने वाले कौन लोग हैं हमने यह भी जानने की कोशिश की. हमने पाया कि ज्यादातर एफआईआर भाजपा से जुड़े कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों द्वारा कराई गई हैं. न्यूज़लॉन्ड्री के पास आठ एफआईआर मौजूद हैं. इस पड़ताल में कई हैरान करने वाली बातें भी सामने आईं.
एफआईआर नंबर- 1
पत्रकार जालम सिंह किरार के खिलाफ पहला मामला सात सिंतबर को जिला गुना के गुना कोतवाली में दर्ज हुआ. भारतीय जनता पार्टी की महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष राजेश सिंह राजपूत ने पत्रकार के खिलाफ भ्रामक अफवाह फैलाने के बाद छवि धूमिल करने और ब्लैकमेलिंग की एफआईआर दर्ज कराई है. रात 11:50 बजे दर्ज हुई इस एफआईआर में 153, 384, 385 और 469 की धाराओं में मामला दर्ज हुआ है.
राजेश सिंह राजपूत ने हमारा सवाल सुनते ही कुछ भी बताने से इंकार कर दिया और फोन काट दिया.
एफआईआर नंबर- 2
दूसरी एफआईआर गुना जिले के थाना फतेहगढ़ में दर्ज हुई. शिकायतकर्ता प्रभुदयाल नागर का आरोप है कि उनके साथ पत्रकार जालम सिंह और दिनेश यादव, चंचल एक्सप्रेस ने ब्लैकमेलिंग की है. नागर से पत्रकार जालम सिंह ने 15 हजार रुपए लिए हैं. यह एफआईआर 8 सितंबर को शाम 7:23 बजे धारा 384 के तहत दर्ज की गई है. एफआईआर के मुताबिक, नागर ग्राम रोजगार सहायक पद पर ग्राम पंचायत कपासी में कार्यरत हैं.
हमने एफआईआर पर लिखे नंबर पर संपर्क करने की कोशिश की. लेकिन यह नंबर मान्य नहीं है.
एफआईआर नंबर- 3
पत्रकार के खिलाफ तीसरा मामला नौ सिंतबर को गुना जिले के ही म्याना थाने में धारा 384 के तहत दर्ज हुआ है. यह एफआईआर ग्यारसी बाई आदिवासी ने दर्ज कराई. एफआईआर के मुताबिक, ग्यारसी बाई, बांस खेड़ी के शासकीय स्कूल में भोजन बनाने का काम करती हैं. जालम सिंह पर इनसे नौ सिंतबर 2022 से प्रति माह दो हजार रुपए वसूलने का आरोप है.
ग्यारसी बाई ने हमें जो बताया वो हैरत में डालने वाला है. वह कहती हैं, “जालम सिंह कौन है मुझे नहीं पता. हमारे लाडली बहना योजना के पैसे नहीं आ रहे थे, मुझे फोन करके बोला था कि आप थाने चलो वहां दस्तखत करने हैं. आपके पैसे मिलने लगेंगे. मैं तो अपने बच्चे पाल रही हूं. मुझे किसी से क्या मतलब. जालम सिंह से हमारी कोई दुश्मनी नहीं है, न ही हम उसे जानते हैं.”
ग्यारसी बाई की बेटी रुक्मणी कहती हैं, “हमें नहीं पता जालम सिंह कौन हैं, मम्मी को ये कहकर थाने ले गए थे कि तुम्हारे योजना के पैसे नहीं आ रहे हैं. तुम थाने में चलकर दस्तखत कर देना तो आने लगेंगे. हमें म्याना से फोन आता था, हमें नहीं पता वो कौन था.”
इस पर म्याना थाना अध्यक्ष कहते हैं कि फरियादी की शिकायत के आधार पर हमारे यहां प्रतिदिन एफआईआर दर्ज होती हैं. मामला दर्ज होने के बाद कौन क्या बोलता है, इसमें मैं क्या कर सकता हूं.
एफआईआर नंबर- 4
यह एफआईआर नौ सिंतबर को ही जिला गुना के थाना सिरसी में शाम 06:12 बजे दर्ज हुई. शिकायतकर्ता भगवत सिंह भदौरिया एक प्राइवेट ठेकेदार हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, जालम सिंह से उनकी मुलाकात सिरसी बस स्टैंड पर हुई थी. जहां उन्होंने 20 हजार रुपए की मांग की, पैसे नहीं देने पर खबर के रूप में बदनाम करने की धमकी दी. बदनामी के डर के चलते उन्होंने 5 हजार रुपए जालम सिंह को दिए थे. इसके बाद पत्रकार ने घर आकर और रुपयों की मांग की. भदौरिया ने धारा 384 के तहत मामला दर्ज कराया है.
इस बारे में हमने भदौरिया से बात की. वह सवाल सुनते ही बाद में बात करने को कहते हैं, हालांकि, उन्होंने बाद में भी हमसे इस बारे में कोई बात नहीं की.
एफआईआर नंबर- 5
पांचवी एफआईआर गुना जिले के थाना गुना में नौ सिंतबर को शाम 07:56 बजे दर्ज की गई. शिकायतकर्ता शिशुपाल यादव ने फेसबुक पर गलत पोस्ट करने के संबंध में, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री का कार्यकर्ता होने के नाते अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. एफआईआर के मुताबिक, अर्थशास्त्र और रानीतिक शास्त्र नाम से फेसबुक पर पोस्ट किया गया. मंत्रीजी का कार्यकर्ता हूं. यह पोस्ट इस उद्देयश्य से डाली गई ताकि मुझे ब्लैकमेल किया जा सके. इस मामले में धारा 384 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
हमने शिकायतकर्ता शिशुपाल यादव से बात की. यादव कहते हैं, “मैं बीजेपी में हूं और पूर्व में पार्षद रहा हूं. मैं मंत्री जी का कार्यकर्ता हूं. मैं इससे आहत हुआ. इसलिए मैंने यह एफआईआर दर्ज कराई है. जालम सिंह के खिलाफ तो यहां हर थाने में एफआईआर दर्ज हुई है."
एफआईआर नंबर- 6
अगली एफआईआर शिवपुरी जिले के दिनारा थाने में 9 सितंबर को रात 09:01 बजे दर्ज की गई. इसके शिकायतकर्ता रणबीर यादव, पिछड़ा वर्ग मोर्चा भारतीय जनता पार्टी के मंडल अध्यक्ष और विपिन गुप्ता भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा मंडल अध्यक्ष हैं. इन्होंने भाजपा के राजनीतिक लोगों, कार्यकर्ताओं को बदनाम करने के उद्देश्य और अवैध रूप से वसूली करने के चलते पत्रकार किरार के खिलाफ यह एफआईआर दर्ज कराई है. पत्रकार किरार पर धारा 153, 384, 385 और 469 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
हमने दोनों शिकायतकर्ताओं से संपर्क करने की कोशिश की. रणबीर यादव ने हमें विचित्र बात बताई. उनके मुताबिक उन्होंने एफआईआर तो दर्ज कराई है, लेकिन क्या मामला था यह उन्हें याद नहीं. वो कहते हैं, “मेरी याददाश्त बहुत कमजोर है मुझे कुछ भी याद नहीं रहता है. जो एफआईआर में लिखा है वही होगा.”
जालम सिंह के नाम पर वह कहते हैं, “मैं किसी जालम सिंह को नहीं जानता हूं. मैं भारतीय जनता पार्टी का मंडल अध्यक्ष हूं.”
दूसरे शिकायतकर्ता विपिन गुप्ता ने हमें कोई जवाब नहीं दिया.
एफआईआर नंबर- 7
पत्रकार जालम सिंह पर सातवीं एफआईआर गुना जिले के आरोन थाने में 10 सिंतबर को शाम 06:26 बजे दर्ज हुई. शिकायतकर्ता अनिल कुमार ओझा ने पत्रकारिता का दुरुपयोग कर गणमान्य नागरिक की छवि को धूमिल करने और ब्लैकमेल कर पैसे लेने का आरोप लगाया है. पुलिस ने इस मामले में धारा 384, 385 के तहत मामला दर्ज किया. शिकायतकर्ता का कहना है कि मुझे व्हाट्सएप पर दो फोटो भेजे गए और अख़बार में फोटो छापने की धमकी दी गई. ख़बर न प्रकाशित करने के लिए मुझसे 30 हजार रुपए लिए. 18 तारीख को पैसे लेने के बावजूद 19 तारीख को मेरे बारे में झूठी ख़बर चला दी.
इस बारे में हमने ओझा से बात की. ओझा कहते हैं, वह मुझे ब्लैकमेल कर रहा था. उन्होंने इस तरह से कई लोगों को ब्लैकमेल किया है. वह कहते हैं कि जालम सिंह सिसोदिया मंत्री जी को भी ब्लैकमेल कर रहा था. ओझा अपने को वर्तमान में बंदी खेड़ी गांव का सरपंच बताते हैं.
एफआईआर नंबर- 8
यह एफआईआर जिला शिवपुरी के बदरबास थाने में 10 सितंबर को 06:58 बजे दर्ज की गई. शिकायतकर्ता मोनू यादव जिला शिवपुरी भाजपा युवा मोर्चा के सदस्य हैं. इनकी शिकायत पर धारा 153, 384, 385 और 469 के तहत मामला दर्ज हुआ है.
दर्ज रिपोर्ट के मुताबिक, यादव ने आरोप लगाया कि पत्रकार ने भारतीय जनता पार्टी की छवि खराब की है. उसका मकसद बदनाम करने और धमकी देकर अवैध रूप से रुपए वसूलने का था.
मोनू यादव न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, “पत्रकार जालम सिंह ने मंत्री जी के खिलाफ खबर छापी थी और उन्हें ब्लैकमेल करना चाहते थे इसलिए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है.”
कुल मिलाकर यह सभी एफआईआर कई सवाल खड़े करती हैं. कई शिकायतकर्ताओं को तो यही नहीं पता है कि जालम सिंह कौन है, तो वहीं कई इस बारे में बात ही नहीं करना चाहते हैं.
क्या कहती है पुलिस
गुना जिले के एसपी राकेश सगर कहते हैं, “सभी मामलों की तो मैंने समीक्षा नहीं की है लेकिन हां एक अवधि में कुछ एफआईआर दर्ज हुई हैं. हम इन्हें डिटेल्स में देखेंगे.”
एसपी सगर इस बात को भी स्वीकार करते हैं कि मंत्री सिसोदिया के खिलाफ ख़बर छपने के बाद ही यह एफआईआर दर्ज हुई हैं.
वे आगे कहते हैं, “ये सभी कार्रवाई थाना स्तर पर हुई हैं. पूर्व में भी उन पर 4-5 मामले दर्ज हैं. मेरा गुना से ट्रांसफर हो गया है.”
जालम सिंह के वकील संजीव कहते हैं, “तीन दिन के भीतर नौ मुकदमें दर्ज किए गए हैं. ज्यादातर बीजेपी कार्यकर्ता हैं. एफआईआर में किसी ने कहा कि हमसे दो साल पहले पैसे मांगे थे, किसी ने कहा कि हमसे आठ महीने पहले पैसे मांगे थे. लग रहा है जैसे थाने वाले बिल्कुल हाथ पर हाथ रखकर बैठे थे कि कब शिकायत हो और वो एफआईआर दर्ज करें.”
अखबार के संपादक ने क्या कहा
दैनिक खुलासा के संपादक सुरेश आचार्य कहते हैं कि जालम सिंह ने जो भी खबर प्रकाशित की है वह किसी व्यक्ति विशेष का नाम लेकर नहीं की है. ये ख़बर वायरल वीडियो के आधार पर लिखी गई है.
वो गुस्से में कहते हैं, “इन्होंने (मंत्री ने) खुद शिकायत नहीं की, बल्कि करवाई है. उन्होंने एक भाजपा महिला नेत्री से झूठी शिकायत करवा दी. भाजपा का शासन है और ये ज्योतिरादित्य सिंधिया के खेमे के मंत्री हैं. ये इन्होंने प्रशासन पर दबाव बनवाकर कार्रवाई करवाई है. बिना किसी जांच पड़ताल के ही सभी एफआईआर दर्ज की गई हैं. कोई बात नहीं, कोर्ट तो सबूत मांगता है.”
वह आगे कहते हैं, “खबर छपने के बाद जालम सिंह को धमकियां दी गई थीं. उसके बाद उन पर कार्रवाई की गई. जालम सिंह करीब एक साल से गुना जिले के क्राइम रिपोर्टर हैं. एफआईआर होने से कोई अपराधी नहीं हो जाता है. हमारे यहां पर कोई भी ख़बर बिना सबूत के प्रकाशित नहीं होती है.”
मंत्री सिसोदिया के सचिव सुरेंद्र श्रीवास्तव ने हमें बताया कि राज्य में दो तीन दिन में आचार संहिता लगने वाली है, इसलिए वो व्यस्त हैं. मंत्रीजी से बात नहीं हो सकती. हमने उन्हें कुछ सवाल भेजे हैं. अगर उनका जवाब आता है तो इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.
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