वायु प्रदूषण के असर से सिर्फ दम ही नहीं घुट रहा या केवल फेफड़े ही खराब नहीं हो रहे, बल्कि हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक और गर्भपात जैसी समस्याएं भी हो रही हैं. इसके अलावा बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास धीमा पड़ रहा है. ये सिर्फ राजधानी दिल्ली की ही नहीं बल्कि उत्तर भारत में गंगा के मैदानी क्षेत्र की समस्या बन चुका है. हर साल दीपावली और सर्दियों की शुरुआत से प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगता है. इस साल दिल्ली में कुछ जगहों पर एक्यूआई का स्तर 1000 से भी ऊपर रिकॉर्ड किया गया. हवा के इतने प्रदूषित होने का मानव स्वास्थ्य पर असर साफ देखा जा रहा है.
IQ एयर के मुताबिक, भारत की राजधानी दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल है और यह तीसरें नंबर पर है. लांसेट के मुताबिक, भारत में आउटडोर प्रदूषण 23 लाख लोगों की समय से पहले मौत का कारण बनता है. समस्या यह है कि भारत में वायु प्रदूषण अब केवल दिल्ली जैसे बड़े शहरों या भीड़भाड़ वाले इलाकों की समस्या नहीं रहा. देश के अपेक्षाकृत छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में प्रदूषण के स्तर खतरनाक हो रहा है. साल दर साल आ रही इस समस्या और इसके स्वास्थ्य पर कुप्रभाव को देखते हुए न्यूज़लॉन्ड्री ने एक मुहिम शुरू की है- फाइट टू ब्रीथ यानी हवा का हक़. साफ़ हवा का हक़.
इस एपिसोड में हृदयेश जोशी ने मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण मामलों पर काम करने वाले चार विशेषज्ञों से इस समस्या के कारण, प्रभाव और निदान पर व्यापक चर्चा की.
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