Get all your news in one place.
100’s of premium titles.
One app.
Start reading
Newslaundry
Newslaundry
अवधेश कुमार

दागी अतीत वाली कंपनियों को बार-बार मिला परीक्षा और पेपर का ठेका

मान लीजिए आपने सालों तक नौकरी के लिए परीक्षा की तैयारी में बिताई हो और आखिरकार आपको पता चलता है कि परीक्षा की प्रकिया में ही कुछ गड़बड़ है.

भारत ने पिछले कुछ सालों में ऐसे कई मामले देखे हैं, जिसमें परीक्षाओं में मूल्यांकन करने वाली दागी एजेंसियां निशाने पर आने से बचती रहीं और एक के बाद एक कॉन्ट्रैक्ट हासिल करती रही हैं.

न्यूज़लॉन्ड्री ने पहले बताया था कि कैसे एडुटेस्ट को यूपी सरकार की ओर से पुलिस परीक्षा को लेकर ब्लैकलिस्ट किए जाने के बावजूद एक के बाद एक कॉन्ट्रैक्ट मिला. एडुटेस्ट को ये कॉन्ट्रैक्ट ऐसे वक्त में मिला जब उसका अतीत संदिग्ध स्थिति में था. 

लेकिन सिर्फ ये एजेंसी ही नहीं थी बल्कि इसके पीछे और भी कई एजेंसियां हैं. असल में ऐसी ही दो और फर्म को पहले नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ओर से कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था. 

एडुक्विटी टेक्नोलॉजीज़

साल 2000 में रामचंद्र धीरेंद्र और विश्वेश्वर अकेला द्वारा स्थापित फर्म भारत में ऑनलाइन परीक्षा और मूल्यांकन शुरू करने का दावा करता है. इस फर्म की मुंबई, कोलकाता, नोएडा, चेन्नई और हैदराबाद में शाखाएं हैं.

एडुक्विटी का नाम अब तक कई पेपर लीक और धोखाधड़ी के मामलों में सामने आया है. 2020 में इसे केंद्रीय प्रशिक्षण महानिदेशालय द्वारा किसी भी परीक्षा को आयोजित करने से ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था. लेकिन इसके बावजूद उसे अलग-अलग राज्यों में परीक्षा कराने का ठेका मिलता रहा. 

मार्च 2022 में मध्य प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित करने के लिए एडुक्विटी को कॉन्ट्रैक्ट मिला था. हालांकि, एडुक्विटी ने इस कॉन्ट्रैक्ट को कमीशन पर लिया और इसका काम राजस्थान स्थित साई एजुकेयर प्राइवेट लिमिटेड को सुपुर्द कर दिया. इसके बाद परीक्षा का पेपर लीक हो गया और सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. यह लीक कथित तौर पर तत्कालीन भाजपा मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के कॉलेज में हुआ था. एक साल बाद एडुक्विटी फर्म को राज्य में पटवारी परीक्षा आयोजित करने के लिए एक और कॉन्ट्रैक्ट मिला. इस परीक्षा में भी धांधली हुई. 

इसके बाद मध्य प्रदेश के तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी और हाईकोर्ट के रिटायर जज को इसकी जांच करने का आदेश दिया था. दिलचस्प बात यह है कि छह महीने बाद, दिसंबर 2023 में मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन बोर्ड ने फिर से एडुक्विटी को अपनी परीक्षा आयोजित करने का कॉन्ट्रैक्ट दिया.

एडुक्विटी को अपने खराब रिकॉर्ड के बावजूद नेशनल टेस्टिंग एजेंसी से भी कॉन्ट्रैक्ट मिला. मार्च 2022 में एनटीए ने अपनी परीक्षाओं के लिए कंप्यूटर-आधारित परीक्षण आयोजित करने के लिए एडुक्विटी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए.

मार्च 2023 में एडुक्विटी को महाराष्ट्र के कॉमन एंट्रेंस टेस्ट सेल द्वारा एमबीए परीक्षा आयोजित करने का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था. इस परीक्षा में छात्रों ने नकल और पेपर लीक सहित कई अनियमितताओं का आरोप लगाया था. हालांकि बाद में 150 से ज्यादा छात्रों ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसमें परीक्षा फिर से आयोजित करने की मांग की गई.

सातवत इन्फोसोल प्राइवेट लिमिटेड

चेन्नई स्थित इस कंपनी को सीबीआई की प्राथमिकी दर्ज होने और खराब ट्रैक रिकॉर्ड के बावजूद भी कई ठेके यानी कॉन्ट्रैक्ट मिले हैं.

इस आईटी सॉल्यूशंस कंपनी की शुरुआत रमेश जनार्दनन और सुनीति एस रमेश ने 1999 में की थी. ये दंपति अब नलंग प्राइवेट लिमिटेड, बीजा इनोवेटिव वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड, वायलेट फ्लेम इंफो सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड और प्रोव एचआर सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड जैसी कंपनियों के मालिक हैं. वे सातवत होलिस्टिक्स के नाम से एक वेलनेस सेंटर भी चलाते हैं. 

मई 2016 में सातवत को दरबान, लोअर डिवीजन क्लर्क और मल्टीटास्किंग स्टाफ के पदों की परीक्षा के लिए रक्षा मंत्रालय के तहत तिरुचिरापल्ली आयुध कारखाने के लिए प्रश्न पत्र तैयार करने और ओएमआर शीट का आकलन करने का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था. लेकिन इसके अगले साल ही सीबीआई ने परीक्षा में शामिल होने वाले कैंडिडेट्स के रिकॉर्ड में बेमेल और धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए एक मामला दर्ज किया, जिसमें आयुध कारखाने के अधिकारियों के नेटवर्क की कथित भूमिका थी और फर्म (सातवत इन्फोसोल प्राइवेट लिमिटेड) को भी मामले में शामिल किया गया जिसे परीक्षा कराने का ठेका मिला था. 

2019 में जूनियर इंजीनियर, केमिकल और मेटलअर्जिकल असिसटेंट और डिपो मटेरियल अधीक्षक के पदों के लिए ठाणे में आयोजित रेलवे भर्ती बोर्ड परीक्षा में एक पेपर लीक की वजह से सातवत इन्फोसोल प्राइवेट लिमिटेड ने सुर्खियों में आया था.

साल 2019 में ही कंपनी को ओएनजीसी और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने क्रमश: दो और तीन साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया था.

ओएनजीसी ने अपनी छात्रवृत्ति योजना के कार्यान्वयन के लिए 2016 में सातवत को एक कॉन्ट्रैक्ट दिया था, लेकिन ब्लैकलिस्ट होने से पहले "अनुचित निष्पादन" को लेकर 2018 में कॉन्ट्रैक्ट को रद्द कर दिया गया था. दूसरी ओर, एनटीए की ओर से ब्लैकलिस्ट किए जाने की वजह सातवत इन्फोसोल प्राइवेट लिमिटेड की ओर से एक फर्जी डिक्लेरेशन थी.

लेकिन तमाम विवादों के बावजूद सातवत को ठेके मिलते रहे. 

इस साल सातवत इन्फोसोल प्राइवेट लिमिटेड ने यूपी पुलिस में रेडियो ऑपरेटर पदों के लिए परीक्षा आयोजित की. इस परीक्षा में कथित तौर पर रिमोट एक्सेस तकनीकों का इस्तेमाल कर परीक्षा में धांधली के आरोप लगे. कथित मास्टरमाइंड रचित चौधरी, सीआरपीएफ जवान बृजेंद्र सिंह, उसके दोस्त कर्मवीर और हरियाणा के एक हैकर राम चौहान सहित आरोपियों ने कथित तौर पर गाजियाबाद के विधान पब्लिक स्कूल में 250 कंप्यूटरों के साथ एक लैब  स्थापित की थी, जिसे परीक्षा केंद्र के तौर पर नामित किया गया था. हालांकि बाद में 16 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था. 

सातवत इन्फोसोल प्राइवेट लिमिटेड ने झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के लिए संयुक्त स्नातक स्तर की परीक्षा भी आयोजित की. इस पेपर के लीक होने के बाद आयोग ने कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा था कि उसे ब्लैकलिस्ट क्यों न कर दिया जाए. न्यूज़लॉन्ड्री इस मामले में बाद के अपडेट को सत्यापित नहीं कर सका है.

एप्टेक

एप्टेक को अतुल निशार द्वारा 1986 में कंप्यूटर प्रशिक्षण संस्थान के रूप में शुरू किया गया था. एप्टेक को 2003 में चेन्नई स्थित आईटी प्रशिक्षण कंपनी एसएसआई के मालिक कल्पथी सुरेश को बेच दिया गया था. दो साल बाद निवेशक राकेश झुनझुनवाला ने फर्म का अधिग्रहण किया और अप्रैल 2021 तक इसके मालिक रहे. अब इसके मालिक विजय अग्रवाल हैं. 

जबकि एप्टेक की शुरुआत एक कंप्यूटर ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट के तौर पर हुआ था लेकिन साल-दर- साल इस कंपनी ने खुद में कई बदलाव किए. बाद के सालों में कंपनी ने एनीमेशन, मल्टीमीडिया और अंग्रेजी ट्रेनिंग पाठ्यक्रम शुरू कर दिया. इसने केतन मेहता और दीपा साही की माया एकेडमी ऑफ एडवांस्ड सिनेमैटिक्स का भी अधिग्रहण किया. इसके लगभग 1,300 केंद्र हैं, उनमें से कई रूस, नाइजीरिया, मैक्सिको और फिलीपींस जैसे देशों में हैं. 

कंपनी ने 2000 के दशक के अंत तक परीक्षा आयोजित करना शुरू कर दिया. इसने 2012 में 15.5 लाख ऑनलाइन परीक्षण और 2013 में 18.1 लाख परीक्षण करने का दावा किया है. 

2013 में एप्टेक ने 62 शहरों में 124 केंद्रों पर सीएमएटी परीक्षा आयोजित की. इसकी विश्वसनीयता पर संदेह के बावजूद इसे ठेके मिलते रहे. 

उत्तर प्रदेश जल निगम भर्ती परीक्षा में 2016 में अनियमितताओं को लेकर फर्म के खिलाफ एसआईटी जांच के बाद कुल 1300 कैंडिडेट्स में से 1188 की नियुक्तियां 2020 में रद्द कर दी गई थीं. ये कैंडिडेट्स नियमित ग्रेड क्लर्क, जूनियर इंजीनियर और सहायक अभियंता के तौर पर चयनित थे.

जांच के बावजूद कंपनी को 2018 में उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के लिए जूनियर इलेक्ट्रिकल इंजीनियर की भर्ती परीक्षा आयोजित करने का एक और ठेका मिला था. लेकिन परीक्षा रिमोट एक्सेस तकनीकों के जरिए कथित नकल से प्रभावित हुई थी और यूपी सरकार ने मई, 2019 में एप्टेक को ब्लैकलिस्ट कर दिया.

2021 में, राजस्थान सरकार द्वारा राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती आयोजित करने के लिए इसे काम पर रखा गया था, लेकिन जयपुर के एक केंद्र पर धोखाधड़ी के आरोप में छह को गिरफ्तार किया गया था. 

एप्टेक की ओर से दिल्ली विश्वविद्यालय के एलएलबी कोर्स के लिए आयोजित एक परीक्षा को भी सितंबर 2020 में एक कथित पेपर लीक की वजह से रद्द कर दिया गया था. लेकिन इस कथित बदनामी के बावजूद कंपनी को फरवरी 2020 में असम के सिंचाई विभाग के लिए परीक्षा आयोजित करने का ठेका मिल गया. हालांकि गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने इस प्रक्रिया पर रोक लगा दी क्योंकि उसे बताया गया कि कंपनी को पहले ही दूसरे राज्य में ब्लैकलिस्ट कर दिया.

इन सब के बावजूद साल 2021 में एप्टेक ने महाराष्ट्र इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन में भर्ती के लिए क्लास सी और डी की परिक्षा आयोजित करवाई. जब छात्रों ने कंपनी के रिकॉर्ड के संबंध में आपत्ति जतानी शुरू की तो एमआईडीसी ने परीक्षा रद्द कर दी और राज्य स्तरीय परीक्षा के लिए जिम्मेदार नोडल एजेंसी महाराष्ट्र इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी कॉर्पोरेशन लिमिटेड से जवाब मांगा.

साल 2022 में जम्मू और कश्मीर सेवा चयन बोर्ड ने कंप्यूटर टेस्ट आयोजित कराने के लिए एप्टेक को कॉन्ट्रैक्ट दिया. इस फैसले के विरोध में जम्मू और कश्मीर के कई क्षेत्र में प्रदर्शन हुए. वह टेंडर नोटिस जिसमें साफ तौर पर लिखा है कि कॉन्ट्रैक्ट उन फर्म को नहीं दिया जाना चाहिए जो या तो ब्लैकलिस्ट हैं या उनके खिलाफ कोई मामला लंबित है. यह नोटिस मिलने के बावजूद बावजूद कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट मिला. जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर हुई और आठ महीने के विरोध के बाद, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पिछले साल अगस्त में घोषणा की कि कंपनी को बदल दिया जाएगा. परिक्षा अयोजित कराने के लिए नया कॉन्ट्रैक्ट टीसीएस को दिया गया.

एप्टेक ने फरवरी 2023 में केंद्रीय विद्यालय के लिए तीन परीक्षाएं भी आयोजित कीं और तीनों पेपर वाराणसी, अंबाला, पानीपत, लेह और बिहार में लीक हो गए. 

दिसंबर 2023 में सीबीआई ने रेलवे भर्ती केंद्र की सामान्य विभागीय परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक करने के आरोप में एप्टेक और कुछ रेलवे अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. इंदौर, मुंबई, सूरत, राजकोट, अहमदाबाद आदि के अलग-अलग केंद्रों पर 8,603 कैंडिडेट परीक्षा में शामिल हुए थे.

एफआईआर में कहा गया, "यह आरोप लगाया गया है कि एप्टेक लिमिटेड को परीक्षा आयोजित करने वाली एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया था. जीडीसी परीक्षा में उपस्थित होने वाले कैंडिडेट्स को परीक्षा शुरू होने से पहले और प्रीमियम राशि के भुगतान के बाद उत्तरों के साथ प्रश्न पत्र मुहैया किए गए थे. इसके अलावा, परीक्षा के कुछ दिनों बाद उन्हें अनवेरिफाइड व्हाट्सएप लिंक के जरिए परीक्षा के नतीजे भी बता दिए गए थे, जबकि आरआरसी-बीसीटी पश्चिम रेलवे ने आधिकारिक तौर पर इस परीक्षा के नतीजे घोषित नहीं किए थे."

एफआईआर में दावा किया गया है कि 'कंसल्टेंसी फर्म एप्टेक कंसल्टेंसी लिमिटेड की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि फॉरेंसिक विश्लेषण रिपोर्ट के अनुसार कई कर्मचारियों ने अपने कार्यालय में पेपर का मूल्यांकन किया था.'

इन मामलों, विरोधों और याचिकाओं के बावजूद, एप्टेक को पिछले महीने केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के लिए ऑनलाइन परीक्षा आयोजित करने का कॉन्ट्रैक्ट मिला.

एनएसईआईटी लिमिटेड

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया की एक सहायक कंपनी, मुंबई स्थित फर्म डिजिटल टेक्नोलॉजी में काम करती है और इसकी अध्यक्षता रामकृष्णन चंद्रशेखर और अनंतरामन श्रीनिवासन करते हैं.

साल 2017 में, एनएसईआईटी ने यूपी पुलिस सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा आयोजित की थी, लेकिन उस वक्त आगरा के एक परीक्षा केंद्र पर रिमोट एक्सेस के जरिए नकल कराने के आरोप सामने आए थे. इस मामले में तीन उम्मीदवारों सहित सात लोगों को गिरफ्तार किया गया और पुलिस जांच में कंपनी की नीति में 138 सुरक्षा खामियों का पता चला. तत्कालीन एडिशनल एसपी और साइबर विंग के प्रमुख त्रिवेणी सिंह ने आरोप लगाया था कि एनएसईआईटी ने लापरवाही से काम किया था.

अक्टूबर 2020 में तत्कालीन मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा बोर्ड ने परीक्षा केंद्रों के चयन और परीक्षा के संचालन के लिए कंपनी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. 

सितंबर 2021 में इसने फर्म की कथित संदिग्ध गतिविधियों और लापरवाही भरे रवैये की वजह से कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दिया. कृषि विभाग, नर्सिंग स्टाफ और पैरा मेडिकल स्टाफ की भर्ती सहित तीन परीक्षाएं रद्द कर दी गई. टर्मिनेशन नोटिस में कृषि स्टाफ पेपर का हवाला दिया गया था.

यह फैसला उस वक्त आया जब एक बोर्ड जांच के दौरान पता चला कि एनएसईआईटी द्वारा नियुक्त दो व्यक्तियों ने आधिकारिक पहुंच का दुरुपयोग किया था और वीपीएन का इस्तेमाल करके प्रश्न पत्र डाउनलोड किए थे. यह मामला पहली बार तब सामने आया जब कुछ कैंडिडेट्स ने खराब अकादमिक रिकॉर्ड के बावजूद परीक्षा में कही ज्यादा अंक हासिल किए.

उसी महीने, एनएसईआईटी द्वारा आयोजित उत्तराखंड वन रक्षक भर्ती परीक्षा भी नकल करवाए जाने के आरोपों से  घिर गई थी.  पुलिस जांच के एक साल बाद मामले में कंपनी की भूमिका होने का संदेह जाहिर किया गया.

इस घटना के कुछ साल बाद कंपनी द्वारा आयोजित यूपी पुलिस सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा को रिमोट एक्सेस के जरिए बड़े पैमाने पर पेपर लीक के आरोपों का सामना करना पड़ा. मामले में जांच के दौरान एनएसईआईटी के कर्मचारियों सहित लगभग 150 लोगों को गिरफ्तार किया गया लेकिन परीक्षा रद्द नहीं की गई.

MeritTrac सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड

मंजूनाथ केपी के नेतृत्व वाली बेंगलुरु स्थित कंपनी को कथित अनियमितताओं के लिए दो बार ब्लैकलिस्ट किया जा चुका है.

अप्रैल 2017 में, कंपनी ने  मुंबई विश्वविद्यालय की परीक्षा आयोजित कराई थी लेकिन ऑनलाइन मूल्यांकन में अनियमितताओं के कारण विश्वविद्यालय के कुछ कोर्स के रिजल्ट देरी से जारी किए गए. छात्रों का रिजल्ट नवंबर में घोषित हुआ जिसके वजह से पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में दाखिला लेने में उन्हें छह महीने की देरी हुई. इस घटना के बावजूद अगली परीक्षा का कॉन्ट्रैक्ट फिर से मेरिटट्रैक को सौंप दिया गया.

साल 2022 में पुलिस उप-निरीक्षक, जूनियर इंजीनियर और लेखा सहायक के पदों के लिए जम्मू-कश्मीर सेवा चयन बोर्ड भर्ती परीक्षा छात्रों द्वारा बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के बाद रद्द कर दी गई. यह विरोध प्रदर्शन परिक्षा में पेपर लीक के खबरों के बाद शुरू हुआ था. बोर्ड ने कंपनी को दो साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया और सीबीआई ने अपनी जांच में कंपनी को मुख्य आरोपी बनाया.

‘न्यू नॉर्मल’

दिल्ली में सरकारी नौकरी के इच्छुक 29 वर्षीय संचित शर्मा ने कहा कि पेपर लीक "न्यू नॉर्मल" है. संचित ने साल 2017 में एसएससी सीजीएल परीक्षा और अक्टूबर 2021 में एफएसएसएआई परीक्षा सहित दो परीक्षाएं दी जो सामान्य तौर पर देरी से आयोजित कराई गईं.

संचित ने कहा, ''पिछले सात साल में 70 पेपर लीक हुए हैं और इस घटना ने हमें वैश्विक कतार में सबसे आगे खड़ा कर दिया है... यह अयोग्य लोग, खासकर आरएसएस से जुड़े लोगों को परीक्षा आयोजन प्रणाली में नियुक्त करने का नतीजा है.''

लखनऊ के 28 बरस के निशांत सिंह ने कहा, ''मैं सीएसआईआर की परीक्षा में शामिल हुआ था लेकिन उसमें भी नकल हुआ. आज आखिरी सीएसआईआर वैकेंसी निकले 10 साल हो गए और उस वक्त भी सरकार परीक्षा को ठीक से आयोजित नहीं कर सकी. मुझे समझ में नहीं आता कि एक ब्लैकलिस्टेड कंपनी को फिर से कॉन्ट्रैक्ट क्यों मिलता है. ये कॉन्ट्रैक्ट देने वाले लोग कौन हैं? एक ब्लैकलिस्टेड कंपनी को कुछ अनियमितता के बिना कॉन्ट्रैक्ट मिलना असंभव है.''

न्यूज़लॉन्ड्री ने रिपोर्ट में आरोपित सभी कंपनियों से उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों पर उनकी टिप्पणी जानने के लिए संपर्क किया. एक ईमेल के जवाब में, एप्टेक ने कहा कि लंबे समय से हमारी कंपनी की "ईमानदारी और विश्वसनीयता रही है, और हमारे कर्मचारियों के शामिल होने वाले किसी भी पेपर में धोखाधड़ी या पेपर लीक की घटनाएं नहीं हुई हैं."

"कोरोना काल के दौरान आयोजित की गई संदर्भित परीक्षा के मामले में, कंपनी ने जांच अधिकारियों के साथ पूरी तरह से सहयोग किया था और संबंधित परीक्षा के बारे में सभी जानकारी दीं, कंपनी के खिलाफ किसी भी गलत काम के बारे में कोई और सूचना प्राप्त नहीं हुई."

कंपनी ने कहा, "अपने सख्त सुरक्षा प्रोटोकॉल और पारदर्शी प्रक्रियाओं से हमनें सरकारी संगठनों और शैक्षणिक संस्थानों का विश्वास अर्जित किया है, हमारी उत्कृष्टता और ट्रैक रिकॉर्ड ने हमें परीक्षा अनुबंध सुरक्षित करने में लगातार सफलता दिलाई है. विभिन्न सरकारी अधिकारियों द्वारा समय-समय पर प्राप्त होती सराहना के माध्यम से इसे सही ठहराया गया है."

न्यूज़लॉन्ड्री ने रिपोर्ट में शामिल सभी कंपनियों से संपर्क किया. जवाब मिलने पर कॉपी को अपडेट कर दिया जाएगा.

अनुवाद- चंदन राजपूत

मीडिया को कॉरपोरेट या सत्ता के हितों से अप्रभावित, आजाद और निष्पक्ष होना चाहिए. इसीलिए आपको, हमारी जनता को, पत्रकारिता को आजाद रखने के लिए खर्च करने की आवश्यकता है. आज ही सब्सक्राइब करें.

Newslaundry is a reader-supported, ad-free, independent news outlet based out of New Delhi. Support their journalism, here.

Sign up to read this article
Read news from 100’s of titles, curated specifically for you.
Already a member? Sign in here
Related Stories
Top stories on inkl right now
One subscription that gives you access to news from hundreds of sites
Already a member? Sign in here
Our Picks
Fourteen days free
Download the app
One app. One membership.
100+ trusted global sources.