सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तेलुगू अभिनेता एवं पूर्व राज्यसभा सांसद मोहन बाबू को पत्रकार पर हमला करने के आरोप से जुड़े मामले में अंतरिम राहत दे दी है.
बार एंड बेंच के मुताबिक, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने आदेश दिया, “अगली तारीख तक कोई भी दंडात्मक कदम नहीं उठाए जाएंगे.”
यह पीठ मोहन बाबू की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में तेलंगाना उच्च न्यायालय द्वारा उनकी अग्रिम जमानत खारिज किए जाने को चुनौती दी गई थी.
गौरतलब है कि बीते साल दिसंबर में दिग्गज अभिनेता मोहन बाबू ने TV9 के पत्रकार के साथ मारपीट कर दी थी. पत्रकार उनके घर कुछ संवाददाता और बाबू के बेटे के साथ गए थे. इसके बाद कथित तौर पर बाबू ने पत्रकार का माइक पकड़ लिया और पिटाई कर दी.
चोटों का ज़िक्र करते हुए पत्रकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि प्रार्थी का जबड़ा फ्रैक्चर हुआ है, जिसके कारण उन्हें खाना पाइप के द्वार खाना पड़ रहा है.
बाबू की तरफ से दलील पेश करने वाले वरिष्ठ एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कोर्ट से कहा कि उनके मुवक्किल सार्वजनिक तौर पर माफ़ी मांगने और पीड़ित को मुआवज़ा देने के लिए तैयार हैं.
बाबू ने कहा, “यह अचानक से आवेश में हो गया, जिसके लिए मैं सार्वजनिक तौर पर माफ़ी मांगने और मुआवज़ा प्रदान करने के लिए तैयार हूं. यह मामला चोट का था लेकिन अब उसे हत्या के प्रयास से जोड़ा जा रहा है.”
रोहतगी ने यह भी कहा कि इस केस में अभिनेता मोहन बाबू से हिरासत में पूछताछ की ज़रूरत नहीं है.
पिछले महीने जब बाबू की अग्रिम जमानत की याचिका को खारिज किया गया था, उस वक़्त तेलंगाना हाईकोर्ट ने कहा था कि अभिनेता के खिलाफ गंभीर आरोप हैं और वह शिकायतकर्ता को मामला वापस लेने के लिए कहकर जांच को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं.
हालांकि, अभिनेता ने आरोपों से इनकार किया और गिरफ्तारी से सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. बाबू को अंतरिम राहत देते हुए कोर्ट ने पत्रकार के वकील से पूछा कि क्या वह मुआवजा चाहते हैं.
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