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लंबे अंतराल के बाद धृतराष्ट्र का दरबार सजा था. इस बीच हस्तिनापुर में बाढ़ आकर जा चुकी थी. डंकापति के खिलाफ संसद में अविश्वास का प्रस्ताव गिर चुका था. पहाड़ों में कुदरत ने जमकर तबाही मचाई थी. और इस सबके बीच डंकापति ने एक हजार साल का अपना अमरत्व वाला विज़न देश के सामने रख दिया था.
इस हफ्ते टिप्पणी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है भाजपा के एक घोषित और दूसरे अघोषित प्रवक्ता के बीच हुई मुठभेड़. दोनों ने तय किया था कि समय बिताने के लिए दोनों इंटरव्यू- इंटरव्यू खेलेंगे. लेकिन दोनों का ईगो आपस में टकरा गया. इसके बाद जो हुआ, उसे दोनों किसी दु:स्वप्न की तरह भूल जाना चाहते हैं.
लगे हाथ हम इस टिप्पणी में प्रधानमंत्री मोदी की उस दीए की आग जैसी पवित्र नीयत और घनघोर तपस्या की पड़ताल भी करेंगे, जो उन्होंने इस देश के किसानों की किस्मत बदलने के लिए की थी. जिसे पूरा देश तीन कृषि कानूनों के नाम से जानता है.
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