द ट्रिब्यून से मुख्य संपादक राजेश रामचंद्रन की विदाई होने वाली है. सूत्रों के मुताबिक, 13 मई उनका आखिरी दिन होगा. उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
रामचंद्रन दो दशक से पत्रकार रहे हैं. उन्होंने 2018 में द ट्रिब्यून के मुख्य संपादक का पदभार ग्रहण किया था. उनके पहले हरीश खरे मुख्य संपादक थे. रामचंद्रन आउटलुक के भी मुख्य संपादक रह चुके हैं. वहां पर उन्होंने पत्रकार के रूप में शुरुआत की थी. ट्रिब्यून अखबार में रहते हुए उनकी यूनियन से कई मुद्दों पर खींचतान भी हुई थी. मालूम हो कि अख़बार का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है.
गौरतलब है कि एक फ़ेसबुक पेज रामचंद्रन की आलोचना करने में सक्रिय है. पेज द्वारा उनपर “किसान आंदोलन बदनाम करने का”, “दिल्ली में भाजपा नेताओं को खुश करने” समेत कई अन्य आरोप लगाए गए हैं. कुछ आरोप “उत्पीड़न” से संबंधित भी हैं.
न्यूजलॉन्ड्री ने इस बात की पुष्टि के लिए द ट्रिब्यून ट्र्स्ट से संपर्क किया है. साथ ही रामचंद्रन से भी उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही है. जैसे ही कोई जवाब आता है तो उसे ख़बर में जोड़ दिया जाएगा.
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