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दिल्ली पुलिस ने न्यूज़ पोर्टल न्यूज़क्लिक से जुड़े कई पत्रकारों और लोगों के यहां पर छापेमारी की है. साथ ही कुछ लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लेने की जानकारी भी सामने आई है. जिसके बारे में आप यहां विस्तार से पढ़ सकते हैं.
एनडीटीवी की रिपोर्ट मुताबिक, चीन से फंडिंग मिलने के आरोपों के सिलसिले में एक मामला दर्ज किया गया है. जिसके चलते ये छापेमारी और पूछताछ हो रही है.
एक समाचार संस्थान पर हुई इस कार्रवाई के बाद कई पत्रकार संगठनों और पत्रकारों ने इस कार्रवाई की आलोचना की. साथ ही इसका विरोध दर्ज कराते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट भी किए.
हालांकि, इस दौरान पत्रकारों को दो धड़ों में बंटा हुआ पाया गया. कुछ लोगों ने पुलिस के इस कदम को ‘प्रेस की स्वतंत्रता के लिए ख़तरा’ बताया. वहीं, दूसरी तरफ एक धड़े ने ‘देश की संप्रभुता’ का नाम लेते हुए पुलिस की इस कार्रवाई को जायज़ ठहराया.
पुलिस कार्रवाई का समर्थन
भारत24 से जुड़ी पत्रकार रूबिका लियाकत ने ट्वीट किया, “और ये निकला इनका सबसे पसंदीदा विक्टिम कार्ड ‘पत्रकारिता पर हमला’. देश की संप्रभुता का सवाल है, इसपर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का लबादा न ओढ़ना. चीन से पैसा लेकर देश के ख़िलाफ़ एजेंडा चलाने का गंभीर आरोप लगा है और एजेंडाधारियों की जांच भी न हो? न्यूयॉर्क टाइम्स में भी ख़ुलासा हुआ है. कैसे नॉवल रॉय सिंघम-न्यूज़क्लिक को चीनी प्रोपोगेंडा के लिए मोटी रक़म दे रहा था!”
टाइम्स नाउ से जुड़े पत्रकार सुशांत सिन्हा ने ट्वीट किया, “चिंदी मीडिया के कुछ लोगों के यहां छापे पड़े हैं. जांच हो रही है कि चीन की गोद में बैठी “गोदी मीडिया” होने के आरोप के क्या क्या सबूत मिलते हैं. न्यूज़क्लिक पर तो खुद न्यूयार्क टाइम्स सारा खुलासा कर चुका. इसलिए प्रेस की आज़ादी नहीं देश की संप्रभुता का मामला है ये. जांच हो जाने दीजिए, क्या दिक्कत है. और वैसे भी ऐसे लोग जिन्होंने सवाल पूछने पर 14 पत्रकार बैन कर दिए हों वो तो प्रेस की आज़ादी की बात ना हीं करें तो ज्यादा अच्छा है.”
कार्रवाई की आलोचना
एक तरफ जहां पुलिस की इस कार्रवाई का देश के नाम पर समर्थन किया जा रहा था. वहीं, दूसरी तरफ पत्रकारों से जुड़ी संस्थाएं और पत्रकार इसकी कड़ी आलोचना कर रहे थे.
The Press Club of India is deeply concerned about the multiple raids conducted on the houses of journalists and writers associated with #Newsclick.
— Press Club of India (@PCITweets) October 3, 2023
We are monitoring the developments and will be releasing a detailed statement.
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने ट्वीट करते हुए लिखा“ न्यूज़क्लिक से जुड़े पत्रकारों के खिलाफ छापेमारी को लेकर प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई) चिंतित है. पीसीआई इन पत्रकारों के साथ खड़ा है और मांग करता है कि सरकार मामले की पूरी जानकारी पेश करे.”
वहीं, डिजिपब ने ट्वीट किया, “न्यूज़क्लिक से जुड़े कई पत्रकारों को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिया है. उनके फोन और लैपटॉप भी जब्त किये गए हैं. यह सरकार की मनमानी और आक्रामक व्यवहार का एक अन्य उदाहरण है.”
मुंबई प्रेस क्लब ने ट्वीट किया, “क्लब न्यूज़क्लिक के पत्रकारों के खिलाफ दिल्ली पुलिस की कार्रवाई को लेकर चिंतित है. जिसमें दिल्ली पुलिस द्वारा संस्था के पत्रकारों के घरों पर छापेमारी कर मोबाइल और लैपटॉप जब्त किए गए हैं”
इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने कहा, “कुछ प्रसिद्ध पत्रकारों के घरों पर छापेमारी और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को जब्त करने को लेकर हम चिंतित हैं. इस तरह की मानमानी कार्रवाई व्यक्ति की निजता का उल्लंघन है और यह प्रेस की स्वतंत्रता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है.”
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने इस कार्रवाई की निंदा की और बयान जारी किया. गिल्ड ने कहा, “3 अक्टूबर को वरिष्ठ पत्रकारों के घरों पर छापेमारी और पत्रकारों को हिरासत में लेने को लेकर हम बहुत चिंतित है. संस्था सरकार से कानूनी प्रक्रिया का अनुसरण करने और पत्रकारों के खिलाफ कानून का गलत प्रयोग नहीं करने की मांग करती है.”
वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने ट्वीट किया, “दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने न्यूज़क्लिक से जुडे़ कई पत्रकारों/ लेखकों के घर पर छापेमारी की. मोबाइल और लैपटॉप जब्त कर लिए गए. पूछताछ जारी है. कोई भी वारंट अभी तक नहीं दिखाए गए हैं. पत्रकार लोकतांत्रिक देश में राज्य के दुश्मन कब बन गए?”
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