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अनमोल प्रितम

दिल्ली: टैंकर के पीछे भागते लोग, नेताओं का “ब्लेम गेम”, लेकिन जल संकट के लिए जिम्मेदार कौन?

एक तरफ जहां बेतहाशा गर्मी से दिल्ली वाले बेहाल हैं, वहीं पिछले दो सप्ताह से बढ़े जल संकट ने लोगों की मुश्किलें दोहरी कर दी हैं. आए दिन ऐसी तस्वीरें सामने आती हैं, जब लोग टैंकर आते ही उसके ऊपर पाइप लेकर चढ़ जाते हैं. देश की राजधानी में जहां पीने के पानी के लाले पड़े हुए हैं, वहीं इसके लिए जिम्मेदार नेता, अधिकारी आपस में ब्लेम गेम खेल रहे हैं. आखिर कौन इसके लिए जिम्मेदार है, न्यूज़लॉन्ड्री ने इसकी पड़ताल की है.

प्रदेश की आप सरकार के मुताबिक दिल्ली में प्रतिदिन 50 मिलियन गैलन पानी की कमी हो रही है. जिसका सीधा असर यहां के दक्षिणी हिस्से समेत कई अन्य क्षेत्रों में पानी की सप्लाई पर पड़ रहा है. लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर झुग्गी बस्तियों में दिख रहा है, जहां पर टैंकर से पानी जाता है. यहां अब तक पाइप के जरिए पानी पहुंचाने की व्यवस्था नहीं हुई है.

दिल्ली के सबसे पॉश इलाकों में से एक चाणक्यपुरी में विवेकानंद कैंप है. यहां के निवासी सुबह के  पांच बजे से लाइन लगकर टैंक का इंतजार करने लगते हैं. 7-8 बजे के दरम्यान टैंकर आता है तो लोगों के बीच पानी भरने के लिए होड़ मच जाती है. कुछ को पानी मिलता है, कुछ को नहीं. जिनको पानी नहीं मिलता वह अगले टैंकर का इंतजार करते हैं. यह प्रक्रिया सुबह से शाम तक चलती रहती है. कुछ ऐसी ही हालत संजय कैंप, कुसुमपुर पहाड़ी, गोपालपुर, लक्ष्मीनगर, गीता कालोनी और  दक्षिण दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में देखने को मिल रही है.

दिल्ली इकोनॉमिक सर्वे 2021-22 के मुताबिक दिल्ली पानी की आपूर्ति के लिए कुल चार श्रोतों पर निर्भर है. पहली,  गंगा नदी, जिससे अपर गंगा कनाल के जरिए दिल्ली को 26.5% पानी मिलता है. दूसरा,  भाखड़ा स्टोरेज जिससे दिल्ली को 23.1% पानी मिलता है. तीसरी, यमुना जिसके चैनलों मुनक कनाल और यमुना नदी के जरिए दिल्ली को 40.8% पानी मिलता है. और चौथा, दिल्ली के भूजल स्रोत जिनसे बाकी का पानी मिलता है. 

चूंकि गर्मी में यमुना का जलस्तर कम हो जाता है और हरियाणा सिंचाई के लिए यमुना का पानी हथिनीकुंड बैराज पर ही रोक लेता है. जिस कारण दिल्ली में यमुना का जलस्तर और कम हो जाता है. ऐसे में दिल्ली की निर्भरता मुनक कनाल पर बढ़ जाती है. समझौते के मुताबिक हरियाणा को मुनक कनाल के जरिए प्रतिदिन 1050 क्यूसेक पानी छोड़ना होता है.

बीते हफ्ते दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने प्रेस कांफ्रेंस कर आरोप लगाया की हरियाणा की भाजपा सरकार दिल्ली के लिए 1050 क्यूसेक कम पानी छोड़ रही है,  जिसकी वजह से दिल्ली में जल संकट आया. उन्होंने  इसको लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा.

आतिशी के इस बयान के बाद  दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी, विपक्षी भाजपा और दिल्ली सरकार में केन्द्र सरकार के नुमाइंदे उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के बीच “राजनीतिक ब्लेम” शुरू हो गया. 

दिल्ली भाजपा ने आतिशी के आरोप पर पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि केजरीवाल सरकार  द्वारा संसाधनों के मिस मैनेजमेंट की वजह से जल संकट आया. वहीं बीते सोमवार को उपराज्यपाल वीके सक्सेन ने सौरभ भारद्वाज और आतिशि सिंह के साथ एक हाई लेवल मीटिंग की और समस्या के समाधान के लिए हरियाणा मुख्यमंत्री नायाब सैनी से बात करने का आश्वासन दिया. 

अगले ही दिन वीके सक्सेना ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि उनकी बात हरियाणा के मुख्यमंत्री से हुई. सैनी ने बताया कि हरियाणा सरकार समझौते के मुताबिक दिल्ली को उसके हिस्से का पानी दे रही है. जिसका मतलब यह निकलता है कि दिल्ली सरकार के आरोप झूठे हैं. वहीं आम आदमी पार्टी ने उपराज्यपाल के इस पोस्ट को झूठ पर आधारित बताया. लेकिन इस राजनीतिक ब्लेम गेम से इतर एक सवाल सबके मन में है कि आखिर दिल्ली के जल संकट का असली कारण क्या है? इसी सवाल का जवाब जानने के लिए हमने दिल्ली से हरियाणा तक मूनक कनाल की स्थिति का जायजा लिया.

देखिए हमारी यह वीडियो रिपोर्ट- 

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