
अंकिता राठौर की उम्र 27 साल है, लेकिन हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा उनकी सलामती को लेकर दी गई धमकियों के बाद अदालत ने उन्हें जबलपुर के बाल आश्रय गृह में भेज दिया था, जहां वो 22 अक्टूबर 2024 से रह रही हैं.
मध्य प्रदेश में दक्षिणपंथियों की नाराजगी की वजह, अंकिता का 29 वर्षीय हसनैन अंसारी से शादी करने का निर्णय है. अंकिता और हसनैन ऐसे कई अंतर्धार्मिक जोड़ों में से एक हैं, जो एक ऐसे राज्य में जहां सरकारी तंत्र हिंदू दक्षिणपंथियों के खिलाफ जाने को तैयार नहीं दिखता, वहां खुद को ‘लव जिहाद’ के प्रचार के सामने खड़ा पाते हैं.
आश्रय गृह में अंकिता की हरकतों और उठने-बैठने पर कड़ी नज़र रखी जाती है, वहां से न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वह आमने-सामने जवाब देने के बजाय अपने जवाब लिखना पसंद करेंगी. शायद अंकिता की सुरक्षा के लिए लगाई गई महिला कॉन्स्टेबल की मौजूदगी ने उसे सतर्क कर दिया होगा. पिछले साल अक्टूबर में जब से उसने और हसनैन ने शादी के लाइसेंस के लिए अर्ज़ी डाली है, तब से राज्य के अधिकारी कुछ ख़ास मददगार साबित नहीं हुए हैं. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा उनकी शादी को मंज़ूरी दिए जाने के बावजूद राठौर और अंसारी शादी नहीं कर पाए हैं.
अंकिता ने राज्य प्रशासन को लेकर कहा कि प्रशासन ने मध्य प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश द्वारा उन्हें शादी करने की साफ़ अनुमति दिए जाने के आदेश को दरकिनार कर दिया, उन्होंने कहा, “मैं पूरी तरह ठगा हुआ महसूस कर रही हूं. राज्य प्रशासन के पास हमें नकार देने की कोई वजह नहीं थी. ऐसा लगा मानो हर मोड़ पर हमारे अधिकारों की अनदेखी की जा रही थी, और हमारी सारी कोशिशें बेकार रहीं."
घटनाओं की समयरेखा
7 अक्टूबर, 2024 को अंकिता और हसनैन ने विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी के लाइसेंस के लिए अर्ज़ी दाखिल की और 12 नवंबर, 2024 को उनकी शादी होनी थी. विवाह रजिस्ट्रार के कार्यालय में उनके जाने के दस दिन बाद 17 अक्टूबर, 2024 को, उनके पिता हीरालाल राठौर ने इंदौर में अंकिता की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई.
20 अक्टूबर तक दक्षिणपंथी संगठनों को अंकिता और हसनैन के बारे में पता चल गया था. कई हिंदुत्ववादी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन शुरू किए, साथ ही हिंदू सेवा परिषद और हिंदू धर्म सेना जैसे संगठनों ने अतिरिक्त कलेक्टर और विवाह रजिस्ट्रार के कार्यालय में औपचारिक आपत्तियां दाखिल करीं, जिनमें दावा किया गया कि यह मिलन गैरकानूनी है और इसे रोका जाना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि यह विवाह ‘लव जिहाद’ का एक उदाहरण है. ‘लव जिहाद’ हिंदुत्ववादियों द्वारा अंतरधार्मिक जोड़ों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है, जिसमें पुरुष मुस्लिम होता है और महिला हिंदू होती है.
जैसे-जैसे तनाव बढ़ता गया, उनके वकील अमानुल्ला उस्मानी ने अपना वकालतनामा वापस ले लिया. उन्होंने पुलिस से मिल रही धमकियों को अपने इस फैसले की वजह बताया, और अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई. उस्मानी ने अदालत से अनुरोध किया कि याचिकाकर्ताओं को सूचित किया जाए कि उन्हें अपना मामला जारी रखने के लिए किसी दूसरे वकील की मदद लेनी होगी.
22 अक्टूबर को अंकिता और हसनैन ने जबलपुर हाईकोर्ट में अंतरिम सुरक्षा की मांग करते हुए याचिका दायर की. हसनैन के चाचा एहसान अंसारी, जो खुद भी एक पत्रकार हैं, ने बताया, "जबलपुर का कोई भी वकील अंतरिम सुरक्षा के लिए केस लेने को तैयार नहीं था, जिसके बाद दिल्ली में हमारे कुछ दोस्तों ने हमें ज्वलंत सिंह चौहान के बारे में बताया, जो इंदौर आए, हमारे लिए लड़ाई लड़ी और सुरक्षा दिलाई."
जस्टिस विशाल धगत की सिंगल बेंच ने अंकिता और हसनैन के पक्ष में फैसला सुनाया. कोर्ट ने अंकिता को श्री राजकुमारी बाई बाल निकेतन में रखने का निर्देश दिया और पुलिस को आदेश दिया कि वह हसनैन को किसी अज्ञात स्थान पर ले जाकर उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करे.
मुख्य न्यायाधीश का अवरोधन
अदालत से अंतरिम संरक्षण मिलने के बाद भी इस जोड़े की मुश्किलें जारी रहीं. हीरालाल राठौर ने अपनी बेटी और हसनैन के बीच तय विवाह को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में अपील दायर की.
हीरालाल की अपील साम्प्रदायिक कट्टरता से भरी थी, जिसमें इस तरह के कुछ बयान दिए गए थे: “यह साफ़ है कि यदि यह विवाह संपन्न होता है, तो इसका परिणाम मुसलमान बच्चों का जन्म होगा. मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या के हर बार बढ़ने का नतीजा भारत की धार्मिक जनसांख्यिकी में बदलाव होता है.”
इसके बाद विलंब होता रहा, लेकिन आखिरकार 18 दिसंबर, 2024 को, मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की बेंच ने हीरालाल की अपील का निपटारा करते हुए अंकिता और हसनैन की शादी की अर्ज़ी को सुगम बनाने वाला आदेश दिया.
मुख्य न्यायाधीश कैत ने कहा, “मौजूदा मामले में, मुस्लिम कानून के तहत पर्सनल लॉ में यह निषेध है कि, एक मुस्लिम लड़का हिंदू लड़की से विवाह नहीं कर सकता है. लेकिन, अगर शादी विशेष विवाह अधिनियम, 1954 की धारा 4 के तहत होती है तो कोई रोक नहीं है.”
उन्होंने राज्य के अधिकारियों को हसनैन और अंकिता को शादी करने के लिए विवाह अधिकारी के सामने उपस्थित होने में मदद करने का निर्देश दिया. आदेश में यह भी कहा गया है कि अगर “किसी के द्वारा कोई अड़चन पैदा की जाती है”, तो संबंधित अधिकारी कानूनन उक्त व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करेंगे.
अदालत ने आदेश दिया कि शादी के बाद कम से कम एक महीने के लिए पुलिस सुरक्षा बढ़ाई जाए, और अगर उस अवधि से आगे भी धमकियां बनी रहती हैं, तो सुरक्षा तब तक जारी रहनी चाहिए जब तक कि खतरा बना रहे.
मुख्य न्यायाधीश के आदेश के बाद, इस जोड़े ने इस साल 27 जनवरी को अपनी शादी का पंजीकरण करवाने का फैसला किया.
अंकिता ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “उच्च न्यायालय के स्पष्ट आदेश में अधिकारियों को हमारी शादी सुगमता से करवाने का निर्देश देने के बाद, हमने 7 जनवरी, 2025 को फिर से अपना आवेदन प्रस्तुत किया. हमने अतिरिक्त जिला कलेक्टर, विवाह अधिकारी, जबलपुर में पुलिस अधीक्षक, पुलिस महानिदेशक और प्रमुख सचिव को एक पत्र भी भेजा, जिसमें उनसे अदालत के निर्देश का पालन करने का आग्रह किया.”
अंकिता और हसनैन को 27 जनवरी को विवाह रजिस्ट्रार के सामने हाजिर होने के लिए कहा गया था.
अंकिता ने कहा, "लेकिन जब हम पहुंचे, तो हमारी शादी इस आधार पर रद्द कर दी गई कि हम आवेदन जमा करने से पहले 30 दिनों तक जबलपुर में नहीं रहे थे." उन्होंने इस बात पर ध्यान दिलाया कि वो और हसनैन 22 अक्टूबर, 2024 से पुलिस सुरक्षा में जबलपुर में हैं.
इस दंपति की तरफ से पेश हो रहे वकील ज्वलंत सिंह चौहान ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि यह "साफ तौर पर मुख्य न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ अवमानना का कार्य" है.
उन्होंने कहा, "उनकी शादी 27 जनवरी, 2024 को होनी थी और उनके गवाह सुबह 10 बजे विवाह रजिस्ट्रार के कार्यालय में पहुंच गए थे. लेकिन प्रशासन और पुलिस दोनों ने जानबूझकर कार्यालय में दोपहर तक उनकी उपस्थिति में देरी की. बार-बार कॉल करने और लगातार कोशिशों के बावजूद अंकिता और हसनैन को शाम 5 बजे रजिस्ट्रार के कार्यालय में लाया गया. हमें यह जानकर हैरानी हुई कि अपर कलेक्टर, जिनके पास उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द करने का कोई अधिकार नहीं है, ने उनके विवाह आवेदन को रद्द कर दिया. कारण यह दिया गया कि दंपति आवेदन दाखिल करने से कम से कम 30 दिन पहले से जबलपुर में नहीं रह रहे थे. यह साफ़ तौर पर मुख्य न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ अवमानना का एक काम है. हम इसके जवाब में उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर कर चुके हैं.”
अतिरिक्त कलेक्टर स्तर का अधिकारी मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के सीधे आदेश को कैसे रद्द और प्रभावी रूप से निरस्त कर सकता है? अतिरिक्त जिला कलेक्टर नाथूराम गोंड ने अपने आदेश में दावा किया है कि अंकिता और हसनैन कार्यालय में मौजूद नहीं थे, और उन्होंने इसके लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की. इससे यह सवाल उठता है कि क्या अंकिता और हसनैन के आने में देरी और उनके आवेदन को रद्द करने का काम जानबूझकर किया गया था, जिसका उद्देश्य उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना करना और उनके विवाह करने के अधिकार को हानि पहुंचाना था.
न्यूज़लॉन्ड्री ने गोंड को फोन करके पूछा कि हाईकोर्ट के आदेश को किस आधार पर खारिज किया गया. उन्होंने कहा, "कृपया मेरे आदेश की कॉपी मंगवाएं, और उसे पढ़ें." इसके बाद उन्होंने फोन काट दिया.
मानवाधिकार वकील दीपक बुंदेले ने कहा कि मध्य प्रदेश में "दक्षिणपंथी हिंदू संगठन", "पूरे राज्य में अंतरधार्मिक शादियों को सुनियोजित तरीके से निशाना बना रहे हैं".
इस बीच अंकिता ने अपनी बेबसी व्यक्त की. उन्होंने कहा, "यह दर्द की बात है कि हमारे पास मुख्य न्यायाधीश से मिलने और बात करने की अनुमति के बावजूद भी हम आपस में संपर्क नहीं कर पा रहे हैं. कोर्ट ने हम दोनों को बातचीत करने की अनुमति दी है, लेकिन पुलिस हसनैन को फोन तक नहीं रखने देती. ऐसा लगता है जैसे हमने कोई अपराध किया है. हम बस साथ रहना और शादी करना चाहते हैं."
'लव जिहाद' की तलाश
2000 के दशक की शुरुआत में गढ़ा गया "लव जिहाद" शब्द, एक दक्षिणपंथी षड्यंत्र के सिद्धांत को बताता है, जिसके अनुसार मुस्लिम पुरुष शादी का इस्तेमाल करके हिंदू महिलाओं को इस्लाम में धर्मांतरण के लिए लुभाते या मजबूर करते हैं. पिछले कुछ सालों में इस विचार को साम्प्रदायिक रूढ़िवादियों के बीच समर्थन मिला है, साथ ही मध्य प्रदेश में लव जिहाद प्रदेश के राजनीतिक और सार्वजनिक मामलों में बार-बार उभर कर आया है. मसलन, मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2021, एक धर्मांतरण विरोधी कानून है, जिसे आम तौर पर "लव जिहाद विरोधी कानून" के रूप में जाना जाता है.
मध्य प्रदेश में एक मानवाधिकार वकील दीपक बुंदेले ने कहा, "मध्य प्रदेश में कानून और व्यवस्था गड़बड़ा गई है क्योंकि हिंदू दक्षिणपंथी संगठन अब लोगों के निजी जीवन में घुसपैठ कर रहे हैं, उनके मौलिक अधिकारों का शोषण कर रहे हैं."
उन्होंने कहा कि अगर कोई मुस्लिम पुरुष हिंदू महिला से शादी करना चाहता है, तो हिंदू दक्षिणपंथी संगठन महिला को संपत्ति के रूप में देखते हैं जबकि पुरुष पर निराधार आरोप लगाए जाते हैं. स्थिति तब बदल जाती है जब कोई हिंदू पुरुष मुस्लिम महिला से शादी करना चाहता है. ऐसे मामलों में दक्षिणपंथी समूह उन जोड़ों को मदद देते हैं, और कभी-कभी आधिकारिक तौर पर लड़की का हिंदू धर्म में धर्मांतरण कर देते हैं और इसे "घर वापसी" कहते हैं.
बुंदेले ने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश में "दक्षिणपंथी हिंदू संगठन", "पूरे राज्य में अंतरधार्मिक शादियों को सुनियोजित तरीके से निशाना बना रहे हैं".
"इसके अलावा, ये संगठन लोगों से उनकी धार्मिक स्वतंत्रता छीन रहे हैं. संविधान हर नागरिक को किसी भी धर्म का पालन करने, किसी भी व्यक्ति से उसके धर्म, जाति या भाषा के बावजूद शादी करने, दूसरे पंथ को अपनाने, यहां तक कि आस्था को अस्वीकार करने और नास्तिक बनने का अधिकार देता है. हालांकि, मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2021, या जैसा कि कुछ लोग कहते हैं, 'लव जिहाद विरोधी विधेयक', नागरिकों की धार्मिक स्वतंत्रता को बाधित कर रहा है. और सबसे आसान निशाना मुसलमान और ईसाई समुदाय हैं."
अप्रैल 2022 में, राज्य के एक अंतरधार्मिक जोड़े साक्षी साहू और आसिफ खान ने डिंडोरी में शादी करने की कोशिश की. वे बचपन के दोस्त थे. बुंदेले ने बताया कि वहां दक्षिणपंथी समूहों ने "तबाही मचाई".
इस मामले का जिक्र करते हुए बुंदेले ने कहा, "पुलिस ने आसिफ के पिता को हिरासत में लिया और उनसे तीन दिनों तक पूछताछ की, जिसके बाद उन्होंने उसके खिलाफ अपहरण और लव जिहाद का मामला दर्ज किया. इस दौरान उसके पिता के घर और दुकान पर बुलडोजर चला दिया गया. ऐसा लगता है कि मध्य प्रदेश में दक्षिणपंथी हिंदू समूहों का रौब, पुलिस और प्रशासन से ज्यादा है."
‘उन्होंने मुझ पर हमला करना शुरू कर दिया’
अंतरधार्मिक जोड़े, खास तौर पर वे जिनमें पुरुष मुस्लिम और महिला हिंदू है, को हमेशा लव जिहाद में शामिल बताया जाता है और वे वकीलों से लेकर राजनेताओं तक सभी के निशाने पर आ जाते हैं.
मध्य प्रदेश में अंकिता और हसनैन का मामला कोई अपवाद नहीं है. पिछले दो सप्ताहों में ही राज्य में कम से कम दो ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें एक मुस्लिम व्यक्ति पर हिंदू महिला से शादी करने के इरादे से कोर्ट परिसर में हमला किया गया.
7 फरवरी को, 26 वर्षीय सैयद खान और 24 वर्षीय वैष्णवी दुबे अपनी शादी को कोर्ट में पंजीकृत कराने के लिए भोपाल गए, लेकिन खान पर दक्षिणपंथी ‘कार्यकर्ताओं’ ने हमला कर दिया. इस घटना से पहले ही उनके वकील ने संदिग्ध व्यवहार किया था, लेकिन दंपति ने ध्यान नहीं दिया और उसके कहे मुताबिक किया क्योंकि क्योंकि यह वकील वैष्णवी के भाई की जान-पहचान का था, जो कि उनके रिश्ते को समर्थन करता था.
सैयद ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, "वकील अक्षय करण ने शुरू में वैष्णवी से गूगल पे के ज़रिए 5,000 रुपये भेजने को कहा और हमें 7 फरवरी को भोपाल की अदालत में बुलाया." इसके बाद करण ने उनसे 35,000 रुपये और मांगे, जो सैयद ने चुका दिए.
सैयद और वैष्णवी को इस बात का बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था कि करण ने उनसे तो पैसे लिए ही थे, साथ ही दक्षिणपंथी समूह ‘संस्कृति बचाओ मंच’ के सदस्य चंद्रशेखर तिवारी से भी संपर्क साधा था.
सैयद ने कहा, "वह [करण] अपने साथ पांच-छह वकील लेकर आया था, जिनके साथ कुछ दक्षिणपंथी चरमपंथी भी थे. बिना कुछ पूछे ही उन्होंने मुझ पर हमला करना शुरू कर दिया."
सौभाग्य से पुलिस ने हस्तक्षेप किया और सैयद को अदालत परिसर में पुलिस चौकी ले गई, लेकिन सैयद के हमलावरों ने उसे वहां ढूंढ लिया. सैयद ने कहा, "मुझे उन्हीं लोगों ने फिर से पीटा," सैयद ने आगे बताया कि उन लोगों ने उसका फोन और 10,000 रुपये भी छीन लिए. न्यूज़लॉन्ड्री ने पुष्टि की कि पुलिस के सामने सैयद पर हमला किया गया था.
‘संस्कृति बचाओ मंच’ ने पुलिस से सैयद पर लव जिहाद का आरोप लगाते हुए उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को कहा. लेकिन वैष्णवी ने बयान दिया कि कोई जबरदस्ती नहीं की गई और उसने अपनी मर्जी से सैयद से शादी करने का फैसला किया. इस जोड़े को रिहा कर दिया गया. कुछ दिनों बाद सैयद को पिपरिया पुलिस स्टेशन बुलाया गया और जेल भेज दिया गया, क्योंकि जीरो एफआईआर, एक कामकाज का तरीका जो नागरिकों को कहीं भी हुए अपराध की रिपोर्ट करने की अनुमति देता है, को सैयद के हमलावरों द्वारा की गई शिकायत के बाद दर्ज किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि वह वैष्णवी का "धर्मांतरण" करने की कोशिश कर रहा था.
जब सैयद को अदालत में पेश किया गया तो वैष्णवी ने एक बार फिर अपना बयान दोहराया कि उसे शादी करने के लिए उसे मजबूर नहीं किया गया था. तीन दिन जेल में बिताने के बाद सैयद को रिहा कर दिया गया. पुलिस ने अभी तक उसके हमलावरों के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं की है.
ऐसे ही एक मामले में 21 फरवरी को रकीब खान पर कोर्ट में हमला किया गया, जब वह अपनी हिंदू साथी के साथ शादी करने के लिए अदालत आया था. घटना की गवाह वकील बीके माला ने कहा कि मामला तब बिगड़ा, जब कोर्ट परिसर में वकीलों को एहसास हुआ कि यह जोड़ा अंतरधार्मिक है. माला ने कहा, "कुछ लोगों ने इसे लव जिहाद कहना शुरू कर दिया. जल्द ही बजरंग दल के कुछ सदस्य आ गए और वकीलों और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने मुस्लिम आदमी पर हमला करना शुरू कर दिया." ये युगल अब पुलिस सुरक्षा में है और मामले की जांच चल रही है.
अंकिता ने कहा “हमारे बीच धर्म कभी कोई मुद्दा नहीं रहा. हसनैन ने एक बार भी मुझसे अपने धर्म के बारे में बात नहीं की या शादी के बाद मुझसे धर्म परिवर्तन करने के लिए नहीं कहा. हमारे बीच हमेशा प्यार, दोस्ती और प्रतिबद्धता की भावना रही है.”
सूचना तंत्र
अंकिता और हसनैन के मामले में, विरोध पक्ष का नेतृत्व ‘हिंदू सेवा परिषद’ ने किया है. संगठन के मध्य प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष अतुल जैसवानी ने न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए इस्लामोफोबिक प्रचार करने में संकोच नहीं किया.
उन्होंने कहा, “भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जहां हम हिंदू बहुसंख्यक हैं. वर्तमान में हमारा देश खंडित है. यह अखंड भारत नहीं है. ऐसी स्थिति में अगर हिंदू लड़कियां मुस्लिम लड़कों से शादी करने जा रही हैं, तो इसे लव जिहाद कहा जाएगा क्योंकि मुसलमान गज़वा-ए-हिंद के अनुसार ऐसा कर रहे हैं, क्योंकि वे अपनी आबादी बढ़ाना चाहते हैं ताकि वे इस देश पर शासन कर सकें.”
गज़वा-ए-हिंद एक विवादास्पद कथन है, जिसका इस्तेमाल अतीत में कट्टरपंथी इस्लामवादियों द्वारा किया गया है, जो ये झूठा प्रचार करते हैं कि भारत के खिलाफ जिहाद को इस्लाम में पवित्र माना जाता है.
भले ही जैसवानी के भारतीय आबादी को लेकर सिद्धांत उन्मादी लग सकते हैं, लेकिन दक्षिणपंथी समूहों के यह बीच जमीनी स्तर पर समन्वय, सूचना एकत्र करने और फैलाने के एक कुशल तंत्र की ओर इशारा करते हैं.
जैसवानी ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, "मध्य प्रदेश के अंदर हम हर जिले में अन्य हिंदू संगठनों के साथ लगातार संपर्क में हैं. हमारा नेटवर्क नियमित रूप से रजिस्ट्रार के कार्यालय में नोटिस बोर्ड पर नज़र रखता है, ताकि ऐसे लव जिहाद के मामलों पर नजर रखी जा सके. एक बार जब हम इन मामलों की पहचान कर लेते हैं, तो कानूनी आपत्तियां दर्ज कराते हैं और उन्हें होने से रोकने के लिए विरोध प्रदर्शन आयोजित करते हैं."
अंकिता और हसनैन के मामले ने ‘हिंदू सेवा परिषद’ का ध्यान खींचा, क्योंकि विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी के लाइसेंस के लिए आवेदन करते समय उन्हें एक नोटिस लगाना पड़ा था. 1954 के कानून के अनुसार, किसी जोड़े को शादी करने से पहले 30 दिन का नोटिस देना होता है और यह नोटिस, जिसमें उनके नाम, पते, उम्र, व्यवसाय और तस्वीरें शामिल होती हैं, को सार्वजनिक रूप से देखने के लिए विवाह रजिस्ट्रार के कार्यालय में रखा जाता है.
जैसवानी ने बताया, "किसी ने सोशल मीडिया पर विवाह का नोटिस पोस्ट किया, जिसके बाद टी. राजा भाई ने उसकी प्रामाणिकता सत्यापित करने के लिए मुझसे संपर्क किया. मैंने पुष्टि की कि यह सच था, और फिर उन्होंने [राजा] एक वीडियो भेजा, जिसे हमने कई व्हाट्सएप ग्रुप और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर किया. वीडियो तेजी से वायरल हो गया, जिसके बाद जबलपुर में इस लव जिहाद विवाह के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए.”
टी राजा सिंह तेलंगाना से भारतीय जनता पार्टी के विधायक हैं. 20 अक्टूबर, 2024 को उन्होंने एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने जबलपुर में हिंदू चरमपंथी समूहों से दखल देने व अंकिता और हसनैन की शादी को रोकने का आह्वान किया. राजा ने वीडियो में कहा, “हमें इस शादी को रोकना चाहिए, या कम से कम उन्हें सबक सिखाना चाहिए. अंकिता के परिवार को बताएं कि उनकी बेटी जिहाद में फंसने वाली है. इस शादी को रोकने की जरूरत है.”
शादी करने का अधिकार
राजा का वीडियो पहला मौका नहीं था, जब अंकिता और हसनैन के ऊपर लव जिहाद की आरोप लगाया गया. 2023 में जब अंकिता ने अपने परिवार को बताया कि वह और हसनैन शादी करना चाहते हैं, तो उसके रिश्तेदारों ने इसे लव जिहाद के मामले में बदलने की धमकी दी थी. इस प्रतिक्रिया ने अंकिता को चौंका दिया, क्योंकि उसने अपनी दोस्ती के शुरुआती दिनों में ही हसनैन को अपने परिवार से मिलवाया था.
हसनैन और अंकिता की मुलाकात 2020 में इंदौर में हुई थी, जब वे दोनों एक बहुराष्ट्रीय ई-कॉमर्स कंपनी के कस्टमर केयर विभाग में शामिल हुए थे. अंकिता ने याद करते हुए बताया, “हम दोनों की दोस्ती एकाएक हो गई. हम दोनों की सोच एक जैसी थी. हमने इंदौर के एक वृद्धाश्रम में एक साथ काम भी किया. मैंने उसे अपने परिवार से मिलवाया और बताया कि वह मेरा अच्छा दोस्त है और मेरी मां ने उसे कई मौकों पर दोपहर के खाने पर बुलाया.”
जल्द ही ये दोस्ती प्यार में बदल गई. अंकिता ने कहा “हमारे बीच धर्म कभी कोई मुद्दा नहीं रहा. हसनैन ने एक बार भी मुझसे अपने धर्म के बारे में बात नहीं की या शादी के बाद मुझसे धर्म परिवर्तन करने के लिए नहीं कहा. हमारे बीच हमेशा प्यार, दोस्ती और प्रतिबद्धता की भावना रही है.”
जब नई नौकरी के लिए अंकिता और हसनैन दोनों भोपाल गए, तो वे साथ रहने लगे. उसने कहा, “जब हम साथ रहने लगे, तो हमने तय किया कि अपने परिवारों को यह बात बता देनी चाहिए. हम शादी के लिए मन बना चुके थे और हमें लगा कि वे इसे समझेंगे.”
अक्टूबर, 2023 में अंकिता इंदौर अपने घर गई और अपने माता-पिता को हसनैन के साथ अपने रिश्ते के बारे में बताया. अंकिता बताती हैं, "मुझे लगा कि वे हमें अपना लेंगे, खासकर इसलिए क्योंकि वो हसनैन को जानते थे. लेकिन इसके विपरीत वे नाराज़ हो गए और मुझे जान से मारने की धमकी दी. उन्होंने हसनैन को भी फ़ोन करके धमकाया. उन्होंने कहा कि वे इसे लव जिहाद का मामला बना देंगे. जब हसनैन ने इससे इनकार किया, तो उन्होंने जोर देकर कहा कि वे ऐसे ही ये मामला बना देंगे.”
हसनैन के साथ कॉल खत्म करने के बाद अंकिता के माता-पिता ने उससे कहा कि वे इस स्थिति के "समाधान" के लिए कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी संगठनों का रुख करेंगे. अपने और हसनैन की चिंता में अंकिता ने अपने मां-बाप से कहा कि वह रिश्ता खत्म कर देगी और अपने करियर पर ध्यान देगी. उस वक्त वो अपने परिवार की आर्थिक रूप से मदद कर रही थी, यही वजह है कि उसके मां-बाप ने बेमन से उसे भोपाल लौटने दिया.
भोपाल वापस आकर अंकिता और हसनैन ने फैसला किया कि वे साथ रहना चाहते हैं. लगभग एक साल बाद सितंबर 2024 में, उन्होंने भोपाल छोड़ने और शादी करने के लिए हसनैन के पैदाइशी शहर जबलपुर जाने का फैसला किया. हसनैन का परिवार उनके रिश्ते के लिए अंकिता के परिवार से ज़्यादा रज़ामंद रहा था.
हसनैन के पिता इरफ़ान अंसारी ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, "जब मेरे बेटे ने पहली बार मुझे अंकिता से शादी करने के अपने फैसले के बारे में बताया, तो मैं राज़ी नहीं था. मैंने उसे कई बार समझाने की कोशिश की, लेकिन उसने पहले ही अपना मन बना लिया था."
अंसारी परिवार ने इस जोड़े का साथ देने का फैसला किया. लेकिन जब उनके रिश्ते की खबर दक्षिणपंथी संगठनों तक पहुंची, तो सबके लिए स्थिति गंभीर हो गई. इरफान ने कहा, "राजनेताओं और दक्षिणपंथी हिंदू समूहों ने इसे एक बड़ा मुद्दा बना दिया. उन्होंने जबलपुर में विरोध प्रदर्शन किया और इतना ही नहीं, जहां हम रहते हैं उस पूरी सीहोरा तहसील को बंद कर दिया."
हसनैन के चाचा एहसान ने कहा, "चरमपंथी संगठनों ने हसनैन और अंकिता के प्यार को गलत तरीके से लव जिहाद करार दिया और शहर में अशांति भड़काने की कोशिश की. 21 अक्टूबर को शादी के बारे में जानने के बाद, उन्होंने अंकिता की सुरक्षा के बारे में झूठी अफवाहें फैलाईं, यहां तक कि यह भी सवाल उठाया कि क्या वो जिन्दा भी है? इन अफवाहों ने दंगे जैसे हालात पैदा कर दिये, लेकिन अंकिता ने खुद एक वीडियो के जरिए सब कुछ साफ़ किया और तनाव घटाया."
वे आगे कहते हैं, "हसनैन ने कभी भी अंकिता पर धर्म के बारे में दबाव नहीं डाला या उसे धर्म परिवर्तन करने के लिए नहीं कहा. सच्चाई तो ये है कि अंकिता ने सार्वजनिक रूप से पुष्टि की है कि वह हिंदू है और हिंदू ही रहेगी. इसके बावजूद ये गुट इसे हिंदू-मुस्लिम मुद्दे में बदलने पर आमादा हैं, जबकि ये दोनों युवा बच्चे बस शांतिपूर्ण और कानूनी तरीके से शादी करना चाहते हैं."
फिलहाल, अंकिता और हसनैन के लिए कानून अपेक्षाकृत कमजोर लगता है. इरफ़ान ने कहा, "बच्चे सुरक्षा की हिरासत में पीड़ित हैं. वे कहीं आ-जा नहीं सकते, वे एक-दूसरे से बात नहीं कर सकते और वे शादी करने के लिए इंतज़ार करने के अलावा कुछ नहीं कर सकते."
इरफान ने कहा कि पुलिस ने अंसारी से एक हलफनामे पर दस्तखत करवाए थे, जिसमें कहा गया था कि हसनैन जबलपुर में नहीं रहेगा. इरफान का मानना है कि राजनीतिक समूह अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए राठौर के माता-पिता का इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "पुलिस और प्रशासन दक्षिणपंथी गुटों से डरे हुए हैं और उनके निर्देशों पर काम करते हैं. इन राजनीतिक और धार्मिक संगठनों को अंकिता या उसकी शादी से कोई सच्चा सरोकार नहीं है. उन्हें उसकी बिल्कुल भी परवाह नहीं है. वे बस इस परिस्थिति का इस्तेमाल अपने राजनीतिक फायदे के लिए करना चाह रहे हैं."
हालांकि, भारत के संविधान के तहत अपनी पसंद से शादी करने के अधिकार को मौलिक नहीं माना जाता है, लेकिन अंकिता ने तर्क दिया कि वे और उनके जैसे अन्य लोग जिस विरोध का सामना कर रहे हैं, वो एक चिंताजनक व्यवस्थागत खंडन की ओर इशारा करता है.
उसने कहा, "लोग का व्यवस्था से भरोसा उठ रहा है क्योंकि वे उन अधिकारों का प्रयोग करने के लिए संघर्ष करते-करते तंग आ चुके हैं, जिनकी गारंटी इस देश के हर नागरिक को होनी चाहिए. हम किसी कानून का उल्लंघन नहीं कर रहे; जिसे हम चुनते हैं, उससे शादी करने का हमारा अधिकार संविधान द्वारा संरक्षित है. ये चरमपंथी संगठन और मेरा अपना परिवार ही है जो हमें प्रताड़ित कर रहा है. उन्होंने अराजकता पैदा की है और इस देश के संविधान, कानून और न्यायालय का मजाक उड़ाया है."
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