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अवधेश कुमार

कानपुर: दर्जनों एफआईआर, पुलिस के निशाने पर पत्रकार?

उत्तर प्रदेश के कानपुर में इन दिनों पत्रकार पुलिस के निशाने पर हैं. दरअसल, कानपुर के अलग-अलग थानों में कुछ पत्रकारों के खिलाफ जमीनों पर कब्जा और वसूली करने समेत कई धाराओं में मामले दर्ज हुए हैं.

इस पूरे मामले की शुरुआत शहर के पॉश एरिया सिविल लाइंस की जमीन पर कब्जा करने को लेकर हुई. यहां कानपुर प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष और टीवी चैनल, भारत समाचार के पत्रकार अवनीश दीक्षित पर करीब एक हजार करोड़ रुपये कीमत की जमीन पर अपने साथियों के संग कब्जा करने का आरोप लगा. इसके बाद शहर में ‘वसूलीबाज’ पत्रकारों और यूट्यूबर्स की धर-पकड़ शुरू हो गई. 

पुलिस आयुक्त अखिल कुमार ने कहा कि जनमानस में खौफ पैदा करने वाले वसूलीबाज यूट्यूबर्स, फेसबुकिया, व्हाट्सएप पत्रकारों की अब खैर नहीं है. उन्होंने ऐसे तथाकथित वसूलीबाज पत्रकारों की शिकायत दर्ज कराने की अपील भी आम जनता से की है. यही नहीं इसके लिए पुलिस ने बकायदा नंबर जारी किए कि आप इन नंबरो पर शिकायत कर सकते हैं. इसका असर यह हुआ कि कानपुर के अलग-अलग थानों में ऐसे आरोपियों के खिलाफ दर्जनभर एफआईआर दर्ज हो गईं. एफआईआर दर्ज होने का सिलसिला अभी भी जारी है.

लेकिन मामला यहीं नहीं रुका अब इन आरोपियों समेत कई पत्रकारों के खिलाफ पुराने मामले में भी शिकायत दी जा रही है और पुलिस भी तुरंत ही सक्रिय होकर एफआईआर दर्ज कर रही है. 

आइए पत्रकारों के खिलाफ इस अभियान की वजह बने कानपुर के पत्रकार अवनीश दीक्षित और ये जमीन कब्जे का मामला समझते हैं. इस मामले में पुलिस ने बीते 28 जुलाई को ही दो एफआईआर दर्ज कर लीं.

पहली एफआईआर 

28 जुलाई को एक एफआईआर थाना- कोतवाली में दर्ज की गई. यह एफआईआर विपिन कुमार की शिकायत पर दर्ज हुई है. विपिन पेशे से कानपुर तहसील में लेखपाल हैं. 

विपिन की शिकायत के मुताबिक, नजूल भूखंडों (ब्लॉक-15, भूखंड संख्या-69, 69ए 69 बी) पर 28 जुलाई को हरेंद्र मसीह, राहुल वर्मा, मौरिस एरियल, कमला एरियल, अभिषेक एरियल व अर्पण एरियल के उकसाने पर अवनीश दीक्षित, जीतेश झां, मोहित बाजपेयी, संदीप, विक्की चार्ल्स, अब्बास, जितेंद्र समेत करीब 20 अज्ञात व्यक्ति कब्जा करने पहुंचे. इन्होंने बलपूर्वक अनाधिकृत कब्जा करने की कोशिश की. जबकि नजूल अभिलेखकों में भूखंड संख्या- 69ए दिनांक 1 अक्टूबर 1890 से पट्टे पर 96 वर्ष 6 माह और 1 जनवरी 1884 से पट्टे पर मियाद 99 वर्ष दर्ज अभिलेख है. इस प्रकार दोनों भूखंडों की पट्टाअवधि समाप्त हो जाने के कारण वर्तमान में नजूल संपत्ति है.

इसके बाद पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (2023) के तहत 329 (4), सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम (1984) की धारा 3 व 5 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. 

मामले के बारे में पूछे जाने पर विपिन कहते हैं, "हमने एफआईआर दर्ज कराई है लेकिन आप इस बारे में तहसीलदार से बात कीजिए. हमें इस बारे में कुछ भी बात करने के लिए मना किया गया है." 

कानपुर पुलिस का प्रेस नोट

28 जुलाई को दर्ज दूसरी एफआईआर

28 जुलाई को थाना कोतवाली में ही एक और एफआईआर दर्ज हुई. इसे सैमुअल गुरुदेव सिंह ने दर्ज कराया है. एफआईआर के मुताबिक, वह परिवार सहित बाहर गए हुए थे तभी पीछे से हरेंद्र कुमार मसीह के लोगों ने गार्ड को बंधक बना लिया और उनकी प्रॉपर्टी पर कब्जा कर लिया. इस वारदात को 20-25 लोगों ने अंजाम दिया. शिकायत में रितेश झां, राहुल वर्मा, अब्बास, विक्की चार्ल्स, अवनीश दीक्षित, मोहित बाजपेयी, नौरिस एरियल, अमला एरियल, अभिषेक एरियल और अपर्ण एरियल के नाम हैं. 

एफआईआर में लिखा है कि संदीप एवं अवनीश दीक्षित, हरेंद्र के गुंडे हैं. ये घर से कई महत्वपूर्ण कागज भी ले गए. इस दौरान आरोपियों ने परिवार से 5 लाख रुपये  ‘गुंडा टैक्स’ के रूप में भी मांगे.

पुलिस का कहना है कि सैमुअल गुरुदेव सिंह नजूल की जमीन के केयर टेकर हैं. हमने गुरुदेव सिंह से बात करने की कोशिश की. हालांकि, उन्होंने हमें कोई जवाब नहीं दिया. उनकी पत्नी इस बात को स्वीकारती हैं कि वे नजूल की जमीन के केयर टेकर हैं, लेकिन और किसी सवाल का उत्तर देने से मना कर देती हैं.

इन दोनों एफआईआर के बाद पुलिस ने आरोपियों पर छापेमारी शुरू कर दी. गिरफ्तारी में 11 थानों की पुलिस और तीन एसीपी शामिल रहे. छापेमारी में मंगलवार देर रात आरोपी पत्रकार अवनीश दीक्षित को गिरफ्तार कर लिया. इन दोनों ही एफआईआर में कई पत्रकारों के नाम शामिल हैं.

बता दें कि इसी तरह से आरोपियों के खिलाफ अलग-अलग थानों में कई एफआईआर दर्ज हुई हैं. 

पुलिस ने क्या कहा 

इस पूरे प्रकरण पर अपर पुलिस उप आयुक्त (एडीसीपी) लखन यादव न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं कि पत्रकारिता के चलते किसी पर एफआईआर दर्ज नहीं की है. जो लोग अपने आप को पत्रकार कहकर वसूली वगैरह करते हैं, उनपर एफआईआर दर्ज की गई हैं. 

वे कहते हैं, “नजूल की जमीन की 2010 में ही ज्वाइंट मैजिस्ट्रेट ने जांच की थी और फिर डीएम रैंक के अधिकारी ने इसे नजूल में डालकर ये आदेश दिया था कि इसमें कुछ भी डीएम की अनुमति के बिना नहीं होगा.”

वह विस्तार से बताते हुए कहते हैं, “जिन पत्रकारों पर एफआईआर दर्ज की गई है, वे 28 जुलाई रविवार की सुबह को अपनी मर्जी से जमीन पर कब्जा करने पहुंचे थे. इस दौरान जो लोग वहां रह रहे थे या कह सकते हैं कि केयर टेकर थे, उनके साथ मारपीट हुई. इस मामले में 28 जुलाई को ही दो एफआईआर दर्ज की गई हैं. एक लेखपाल की ओर से और दूसरी जो वहां रह रहे थे उनकी ओर से. इसमें करीब 20 लोग नामजद हैं और बाकी अज्ञात हैं.”  

लखन यादव कहते हैं कि इस पूरे घटनाक्रम में भारत समाचार के पत्रकार अवनीश दीक्षित अगुवाई कर रहे थे. 

हरेंद्र मसीह कौन? 

हरेंद्र मसीह के बारे में पूछे जाने पर लखन यादव कहते हैं, “झांसी निवासी हरेंद्र मसीह नाम के एक व्यक्ति ने इस जमीन को षडयंत्र के तहत एक फर्म दर्शाकर अपने नाम करने की कोशिश की थी. इसके बाद उसने अवनीश को पावर ऑफ अटॉर्नी दी. मसीह अभी फरार है, गिरफ्तारी की कोशिश जारी है.” 

तो क्या इस जमीन पर पहले से हरेंद्र मसीह का कब्जा था? इस सवाल के जवाब में लखन यादव कहते हैं, “नहीं, यह सब खेल कागजों पर चल रहा था. हरेंद्र मसीह इसी तरह की जमीनों पर ऐसा काम करते हैं. आरोपियो में पत्रकार कम यूट्यूबर ज्यादा हैं. अभी तक सिर्फ दो गिरफ्तारियां हुई हैं. बाकी लोग फरार हैं. जिस दिन अवनीश दीक्षित को गिरफ्तार किया गया था, उस दिन पुलिस टीम का एक बड़ा जत्था शामिल था. जिनमें 11 थानों की पुलिस और 3 एसीपी शामिल थे.” 

क्या अवनीश इतने पावरफुल हैं कि उन्हें इतनी भारी तादात में पुलिस के लोग पकड़ने पहुंचे? इस पर वे कहते हैं कि पावरफुल तो नहीं कहेंगे लेकिन बेहतर मैनेजमेंट के लिए ऐसा किया गया. कई बार सुरक्षा के लिए ऐसा किया जाता है. बिकरू कांड से सबक लेना चाहिए.

वे आगे जोड़ते हैं कि अवनीश पर पहले भी कई एफआईआर दर्ज हैं. उनका पुराना आपराधिक रिकॉर्ड रहा है.

अवनीश दीक्षित पर पहले से दर्ज एफआईआर

बता दें कि पुलिस कि आरोपियों को पकड़ने के लिए धरपकड़ जारी है. अवनीश दीक्षित पर अभी तक नौ दिनों में नौ मामले दर्ज हो चुके हैं. कोतवाली व बर्रा थाने में रंगदारी, हनुमंत विहार में एससी/एसटी एक्ट व अन्य धाराओं में भी एफआईआर दर्ज हुई हैं.

पत्रकार अवनीश दीक्षित पर जनवरी में भी कोतवाली थाने में एक एफआईआर दर्ज की गई थी. इसे डिजिटल अखबार, दीनार टाइम्स के संपादक आलोक अग्रवाल ने दर्ज कराया था. दर्ज एफआईआर के मुताबिक कमिश्नरेट दफ्तर के बाहर दीक्षित ने अग्रवाल के साथ मारपीट की थी. इस मामले में पुलिस ने भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 323, 504 और 506 के तहत एफआईआर दर्ज की.

आलोक अग्रवाल न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं, “अवनीश दीक्षित के खिलाफ अलग-अलग थानों में पहले से भी कई मामले दर्ज हैं. दीक्षित मोपेड पर चलने वाला एक पत्रकार था लेकिन आज इसके पास अपार संपत्ति और कई लग्जरी गाड़ियां हैं. इसका पूरे शहर में मकड़जाल था, पत्रकारिता की आड़ में जमीनों पर कब्जा करना, लोगों को धमकाना, वसूली करना इसका धंधा था. इसने मेरे साथ भी मारपीट की, जिसके चलते मैंने इस पर एफआईआर दर्ज कराई. इसका पूरा एक गैंग है जो अन्य पत्रकारों के साथ मिलकर घटनाओं को अंजाम देते हैं. इसके गैंग में खासतौर पर यूट्यूबर्स शामिल हैं.” 

इन पत्रकारों में सोनू पांडेय उर्फ विवेक, अजीत यादव, अभिनव शुक्ला, मनोज यादव (प्रेस क्लब उपाध्यक्ष), रमन गुप्ता, राहुल बाजपेई (इंडिया टीवी), अभिषेक शर्मा शामिल हैं. इनमें ज्यादातर पत्रकार यूट्यूबर्स हैं. 

इसके अलावा पत्रकार अभिषेक शर्मा पर भी दो एफआईआर दर्ज हुई हैं. ये दोनों एफआईआर 5 अगस्त को हनुमंत थाने और बर्रा थाने में दर्ज हुई हैं. बर्रा थाने में दर्ज हुई एफआईआर में अवनीश दीक्षित समेत कई अन्य के नाम भी शामिल हैं. अभिषेक पर पहली एफआईआर दिन में 12:15 बजे तो दूसरी 12:27 बजे दर्ज हुई है. अभिषेक बीबीसी के लिए फ्रीलांस काम भी करते हैं, साथ ही वर्तमान में स्थानीय अखबार दैनिक लोक भारती में काम करते हैं.

अभिषेक पर पप्पू गौतम नाम के एक व्यक्ति ने एफआईआर दर्ज कराई है. आरोप है कि अभिषेक ने पप्पू के प्लॉट के बाहर अपने नाम का बोर्ड टांग दिया और इस पर कब्जा करने का प्रयास किया. साथ ही पप्पू के साथ मारपीट की और जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया. 5 जुलाई को हनुमंत थाने में दर्ज एफआईआर के मुताबिक, अभिषेक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 323, 504, 506, 447, 452 और एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(1)(द), 3(1)(घ), 3(2)(va) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.

अभिषेक न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं, “कानपुर में अवनीश दीक्षित एक पत्रकार हैं, जिन्होंने नजूल की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की. इसके बाद कानपुर पुलिस ने एक अभियान छेड़ दिया कि कभी भी आपको किसी भी पत्रकार ने परेशान किया हो, रुपये मांगे हो या अन्य किसी तरह से प्रताड़ित किया हो तो आप शिकायत कर सकते हैं. इसके बाद तमाम पत्रकारों के खिलाफ शिकायतें आनी शुरू हो गईं.

अब किसी ने मेरे खिलाफ ऐसे ही एक शिकायत दी कि जमीन पर कोई बोर्ड लगाया था और कब्जा करने की कोशिश की थी. जबकि मैं उस आदमी को जानता तक नहीं हूं. न ही पुलिस कोई पूछताछ कर रही है कि क्या शिकायतकर्ता का अभिषेक से कोई कनेक्शन है भी या नहीं. बस सीधे मुकदमा दर्ज कर रेड कर रही है. कुल मिलाकर टॉर्चर कर रही है.”

अभिषेक का दावा है कि उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने वाले पप्पू को वह जानते तक नहीं हैं. न ही पुलिस ने अभी तक उनका बयान दर्ज किया है.  

वह बताते हैं, “मेरे ऊपर दूसरा मुकदमा लिखा गया कि मैंने किसी शराब ठेकेदार से पैसे मांगे हैं. जबकि उस एफआईआर में जिन बाकी लोगों के नाम हैं, मैं उन्हें जानता तक नहीं हूं. बस ये बताया गया है कि मैं वहां खड़ा हूं. जिस दीपू द्विवेदी ने एफआईआर दर्ज कराई है, मैं उसे भी नहीं जानता हूं.” 

अभिषेक का दावा है कि यह सब कार्रवाई इसलिए हो रही हैं क्योंकि वे पुलिस और सरकार के खिलाफ खबरें कर रहे थे. 

अभिषेक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने वाले पप्पू गौतम कहते हैं, “हमने तो कोई बोर्ड देखा नहीं था. बच्चे थे घर पर उन्होंने देखा होगा.” 

क्या आप अभिषेक को जानते हैं? इस सवाल पर वह कहते हैं कि वो तो हमारे पास कभी नहीं आए थे. फिर एफआईआर दर्ज कैसे हुई? इसमें तो आपका नाम है? इस सवाल पर वह कहते हैं कि हमसे जो पुलिस ने कागज मांगा था, वो दे दिया. जो बोला वो कर दिया. बोर्ड जो लगा था, उसकी फोटो खींची गई थी. कागज मांगने घर पर पुलिस वाले खुद ही आए थे.

इन सवालों के बाद वह फिर बात करने की कहकर फोन काट देते हैं. 

कुल मिलाकर पप्पू से बात करने पर लगता है कि अभिषेक ने जो बाते कहीं हैं, उनमें कुछ सच्चाई है. 

हमने इस बारे में जब हनुमंत थाने के एसएचओ से बात की तो उन्होंने इस बारे में कुछ भी बात करने से इनकार कर दिया. 

वहीं, इस बाबत हमने कानपुर के पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार और हरीश कुमार चंद्र, एडिशनल सीपी (लॉ एंड ऑर्डर) से भी संपर्क किया. उनके पीआरओ ने समय दिया है. अगर उनसे बात होती है तो उनकी प्रतिक्रिया को खबर में अपडेट कर दिया जाएगा.

इस पूरे मसले पर स्थानीय पत्रकार, मनीष दुबे कहते हैं, “यह मामला 1000 करोड़ रुपये की जमीन पर कब्जा करने से शुरू हुआ. कुछ पत्रकारों ने अन्य लोगों के साथ मिलकर सरकारी जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की. इसके बाद वहां जो लोग रह रहे थे, उनसे मारपीट हो गई. फिर मामले में तत्काल दो एफआईआर दर्ज कराई गईं. उसके बाद से ये एफआईआर दर्ज होने का सिलसिला चल पड़ा.”

वह बताते हैं, “इसमें अवनीश दीक्षित मुख्य आरोपी हैं. इसके अलावा पत्रकार भूपेंद्र सिंह (कैमरामैन, न्यूज़ नेशन), अभिषेक शर्मा उर्फ युवा (दैनिक लोक भारती), मनोज यादव उर्फ वसूली बंदर (कानपुर प्रेस क्लब कार्यकारिणी सदस्य), पत्रकार शलभ जायसवाल, पत्रकार अभिनव शुक्ला, पत्रकार अजित यादव उर्फ जितेश, पत्रकार विपिन गुप्ता, पत्रकार विवेक पांडे उर्फ सोनू, पत्रकार राहुल बाजपेई, पत्रकार अमन तिवारी, हिस्ट्रीशीटर पत्रकार मनोज यादव, पत्रकार अभिनव शुक्ला, पत्रकार रमन गुप्ता, पत्रकार इखलाक अहमद और 5-7 अन्य के खिलाफ बलवा, कार्य में बाधा डालने और रंगदारी के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई हैं.” 

वे आखिर में कहते हैं कि इस लिस्ट में कई और नाम भी जुड़ सकते हैं. 

वहीं, अमर उजाला में क्राइम रिपोर्टर वाचसपति पांडेय कहते हैं, “पुलिस ने वसूली करने वाले पत्रकारों के खिलाफ शहर में मुहिम छेड़ी हुई है. इसकी शुरुआत 28 जुलाई को हुई थी. जिसमें पत्रकार अवनीश दीक्षित को एक सरकारी जमीन पर कब्जा करने के चलते गिरफ्तार किया गया. उसके बाद से अभी तक पुलिस के अभियान के चलते कुल 12 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं.”

पत्रकारों के खिलाफ हुई एफआईआर में ज्यादातर यूट्यूबर शामिल हैं. उनका कहना है कि यहां पर यूट्यूबर पत्रकारों से सब परेशान हैं. ये लोग पत्रकारिता के नाम पर वसूली करते हैं. इनका मुख्य काम वसूली करना, जमीनों पर कब्जा करना, जबरन ठेका आदि है. वह कहते हैं कि इस गिरोह में सिर्फ पत्रकार ही शामिल नहीं हैं. इनमें शहर के कुछ वकील और पुलिसकर्मी भी शामिल हैं. पुलिस पर भी कार्रवाई शुरू हो रही है.   

वह कहते हैं कि कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो कि बहती गंगा में हाथ धो रहे हैं. लेकिन ऐसे मामलों में पुलिस जांच कर रही है. अभी तक तीन पत्रकार गिरफ्तार किए गए हैं. इनमें भारत समाचार के अवनीश दीक्षित, के न्यूज़ के रिपोर्टर शुभम मिश्रा और शाश्वत टाइम्स के रिपोर्टर नितिन सिंह शामिल हैं. बाकी गिरफ्तारियों के लिए पुलिस छापेमारी कर रही है.

बता दें कि फिलहाल पुलिस अवनीश दीक्षित और उसके साथियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है. पुलिस ने अब तक इन अपराधों में शामिल 36 लोगों को चिन्हित किया है. अकेले अवनीश पर सब नए पुराने मिलाकर 14 मामले दर्ज हो चुके हैं. पुराने मामलों में भी पुलिस ने नए सिरे से जांच शुरू कर दी है. 

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