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निकिता सिंह

आया राम गया राम, भाग 16: बंगाल के राजनीतिक मौसम विज्ञानी और बिहार में एक सीट पर दो पाला बदलने वाले

लोकसभा चुनावों में पांचवें चरण के 15 दलबदलू उम्मीदवारों में से आठ भाजपा की एनडीए में हैं तो 6 इंडिया गठबंधन में हैं. 

इस कड़ी के पिछले भाग में, न्यूजलॉन्ड्री ने एनडीए के चार पाला बदलने वाले उम्मीदवारों पर नजर डाली. इनमें से दो ईडी की कार्रवाई के बाद, एकनाथ शिंदे के गुट में चले गए. 

इस भाग में हम पांच और पाला बदलने वाले उम्मीदवारों पर नज़र डालेंगे. उनमें से दो शिंदे गुट में हैं, एक बार-बार पाला बदलने वाले उम्मीदवार को भाजपा ने पश्चिम बंगाल में टिकट दिया है और बिहार की हॉट सीट मुजफ्फरपुर से भी दो पाला बदलने वाले उम्मीदवार हैं. 

अर्जुन सिंह: राजनीतिक मौसम विज्ञानी, 93 आपराधिक मामले

अर्जुन सिंह पश्चिम बंगाल की बैरकपुर से भाजपा के उम्मीदवार हैं. 62 वर्षीय सिंह अक्सर पार्टी बदलते रहते हैं. अपने 3 दशक के राजनीतिक जीवन में उन्होंने कम से कम 4 बार पार्टी बदली है. 

वे कांग्रेस से भाटपारा के 3 बार विधायक रह चुके सत्यनारायण सिंह के बेटे हैं. अर्जुन सिंह ने भी अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत 1995 में कांग्रेस से की थी. लेकिन 2 साल बाद ही वे टीएमसी में चले गए. वे अगले 22 साल ममता बनर्जी के साथ रहे. 2019 लोकसभा चुनावों के ठीक पहले टीएमसी से टिकट नहीं मिलने पर वे भाजपा में चले गए. 

2019 में भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीतने से पहले, वे भाटपारा सीट से चार बार विधायक रह चुके थे और 2004 का लोकसभा चुनाव हार चुके थे. 

उनके पाला बदलने के बाद, उन्हें टीएमसी कार्यकर्ताओं का रोष भी झेलना पड़ा था. उन्होंने यह भी दावा किया था कि उन्हें “प्रताड़ित” करने के लिए राज्य पुलिस ने उनपर कई सारे झूठे मुकदमे दर्ज किए. 2019 में मतगणना के कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें गिरफ़्तारी से संरक्षण प्रदान किया था. उसके बाद टीएमसी कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर उन के घर पर पत्थर और पेट्रोल बम से हमला किया था. 

इसके महीनों बाद, भाजपा और टीएमसी के कार्यकर्ताओं की एक कथित झड़प में सिंह को सिर में चोट आई थी. अगले साल उन्होंने फिर से दावा किया कि टीएमसी कार्यकर्ताओं ने उनपर हमला किया. लेकिन 2022 में भाजपा की प्रदेश इकाई से मतभेद के चलते वे फिर से टीएमसी में चले गए. 

भाजपा से नाता तोड़ने के 20 महीने बाद वे एक बार फिर भाजपा में आ गए हैं. उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर नाम के आगे ‘मोदी का परिवार’ जोड़ रखा है. वे 'टीएमसी के गुंडों' के बारे में भी पोस्ट करते रहते हैं. लेकिन ज्यादा दिन नहीं बीते जब वे ममता बनर्जी के मोदी पर किसानों को मारने के आरोपों वाले ट्वीट्स को लगातार रिट्वीट कर रहे थे. 

हाल ही में, टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने यह भी कहा कि टीएमसी ने उनके साथ विश्वासघात किया. अब उन्होंने राज्य पुलिस के खिलाफ उनपर “निगरानी रखने” का मुकदमा भी किया है. 

उद्यमी-राजनेता सिंह कक्षा 12वीं तक पढ़े हैं. उनके पास 2.74 करोड़ रुपये की संपत्ति है. यह 2016 में 46 लाख रुपये की थी. उनपर कुल 93 मुकदमे हैं. इनमें धोखाधड़ी, आपराधिक धमकी और हत्या के प्रयास के मुकदमे शामिल हैं. 

हेमंत गोडसे : वायरल वीडियो, चुनाव आयोग की नोटिस, सेना बनाम सेना

हेमंत गोडसे महाराष्ट्र के नासिक से शिवसेना (शिंदे) धड़े के उम्मीदवार हैं. 53 वर्षीय गोडसे ने 2007 में नासिक जिला परिषद से अपनी चुनावी राजनीति की शुरुआत की थी. उन्होंने 2 साल बाद 2009 में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की टिकट पर लोकसभा चुनाव भी लड़ा, जो वे हार गए. मनसे का गठन उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई और शिवसेना के बागी नेता राज ठाकरे ने किया था. 

2014 लोकसभा चुनावों में गोडसे ने एनसीपी के कद्दावर नेता और उप-मुख्यमंत्री छगन भुजबल को मात देकर नासिक से जीत दर्ज की. 2019 में भुजबल के भतीजे समीर भुजबल को हराकर उन्होंने एक बार फिर से जीत दर्ज की. 2022 में पार्टी में दरार पड़ने के बाद उन्होंने एकनाथ शिंदे के साथ जाना चुना. अब दोनों भुजबल और गोडसे, तीनों महायुति गठबंधन में हैं. उनका मुकाबला शिवसेना (उद्धव) के राजा भाऊ वाजे के साथ है. गोडसे और वाजे दोनों ही राजनीतिक तौर पर रसूखदार समुदायों से आते हैं. हालांकि, एनडीए की नीतियों की वजह से व्याकुल प्याज और अंगूर के किसानों के गुस्से की आंच गोडसे पर पड़ी है. 

चुनाव के दो महीने पहले, गोडसे का एक महिला के साथ वीडियो वायरल हो गया था. उसके बाद उन्होंने मानहानि का मुकदमा दायर किया था. अब, चुनाव के कुछ दिन पहले, चुनाव आयोग ने चुनाव खर्च में हेराफेरी के मामले में उनको नोटिस भी भेजा. 

वे पेशे से बिल्डर और किसान हैं. उनकी संपत्ति पिछले पांच सालों में दोगुनी हो गई है. 2019 में उनके पास 8 करोड़ रुपयों की संपत्ति थी, जो अप्रैल 2024 में 16 करोड़ की हो गई है. उनपर कोई भी लंबित मुकदमा नहीं है. 

श्रीकांत शिंदे: चिकित्सक, सांसद, एकनाथ शिंदे के बेटे

डॉ श्रीकांत शिंदे, एकनाथ शिंदे के बेटे और महाराष्ट्र के कल्याण से शिंदे गुट के लोकसभा उम्मीदवार हैं. 37 वर्षीय श्रीकांत ने एमबीबीएस किया है और हड्डी रोग विशेषज्ञ हैं. 2014 के लोकसभा चुनावों में जब वे अपने मेडिकल कॉलेज के आखिरी साल में थे, तब उन्होंने चुनावी राजनीति में कदम रखा था. उन्होंने 2014 और 2019 दोनों लोकसभा चुनाव जीता था.

वे अपने पिता एकनाथ शिंदे के साथ ही शिवसेना से अलग हो गए थे. वे अब उद्धव ठाकरे गुट की वैशाली दाबेकर राणे के खिलाफ मैदान में हैं. एक दशक के राजनीतिक जीवन के दौरान श्रीकांत सड़क के लिए “राशि मुहैया” करवाने, सरकारी हस्पतालों की मरम्मत करवाने और कोविड के दौरान कल्याण में “एक रुपया क्लिनिक” खोलने के लिए चर्चा में रहते हैं. 

शिवसेना के टूटने के बाद से ही श्रीकांत शिंदे पर विपक्ष हमलावर हो रहा है. वहीं उन्होंने भी अपने पूर्व सहयोगी आदित्य ठाकरे को “भविष्यवक्ता” होने का ताना कसा और एकनाथ शिंदे पर दिए आदित्य के बयान पर उनकी “परवरिश” पर सवाल उठाया. 

चिकित्सक से उद्यमी बने राजनेता शिंदे के पास 2014 में 9 लाख रुपये की संपत्ति थी जो 2024 में बढ़कर 14.92 करोड़ रुपये की हो गई. उनपर कोई भी मुकदमा लंबित नहीं है. 

मुजफ्फरपुर: निषाद बनाम निषाद, दोनों ही पाला बदलने वाले

बिहार के मुजफ्फरपुर में भाजपा ने राज भूषण चौधरी को मैदान में उतारा है. वे राज भूषण निषाद के नाम से भी जाने जाते हैं. वहीं कांग्रेस ने अजय कुमार निषाद को टिकट दिया है. राज भूषण 2022 में विकासशील इंसान पार्टी से भाजपा में आए थे तो वर्तमान सांसद अजय कुमार भाजपा से अप्रैल 2024 में टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस में आ गए. 

46 वर्षीय राज भूषण की पिछली पार्टी वीआईपी को निषादों का समर्थन प्राप्त था. हालांकि, 2019 के चुनाव में उन्हें 57 वर्षीय अजय निषाद से 4.10 लाख वोटों से मात खानी पड़ी थी. 

पूर्व मंत्री जय प्रसाद निषाद के पुत्र अजय पहले आरजेडी की टिकट पर कुढ़नी और साहेबगंज से दो बार विधानसभा चुनाव हार चुके थे. भाजपा में आने के बाद, मुजफ्फरपुर से वे 2014 और 2019 दोनों बार जीते. पर टिकट न मिलने पर उन्होंने कहा कि उनके साथ विश्वासघात हुआ और वे तुरंत कांग्रेस में चले गए. इंडिया गठबंधन इस इलाके के सबसे पिछड़े वोट पर इस बार भरोसा कर रही है. 

राज भूषण पेशे से एक चिकित्सक हैं. अप्रैल 2024 में उनके पास कुल 16.68 करोड़ रुपयों की संपत्ति है. 2019 में यह 8 करोड़ रुपयों की थी. उनपर कोई भी मुकदमा नहीं है. जबकि, अजय कुमार के पास अप्रैल 2024 में 29 करोड़ रुपये की संपत्ति है जो 2014 में 14 करोड़ रुपये की थी. उनपर हत्या के प्रयास का एक मुकदमा है. 

अनुवाद- अनुपम तिवारी

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