इसी साल प्रकाशित हुई किताब 'प्रोफेसर की डायरी' अभी तक बेस्ट सेलर बनी हुई है. किताब की अब तक 50 हजार कॉपियां छप चुकी हैं. कई भाषाओं में इसका अनुवाद हो चुका है. इस किताब को प्रोफेसर लक्ष्मण यादव ने लिखा है. यादव दिल्ली यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर रहे हैं. 14 वर्षों तक दिल्ली के जाकिर हुसैन कॉलेज में पढ़ाने के बाद बीते दिनों यूनिवर्सिटी प्रशासन ने उनकी सेवाएं समाप्त कर दीं.
यह किताब उनके 14 वर्षों के जीवन और कॉलेज अनुभवों पर केंद्रित है. यह पुस्तक शिक्षा व्यवस्था पर भी कई सवाल खड़े करती है. हमने इस किताब के लेखक से विस्तार से बातचीत की है.
एक सवाल पर लक्ष्मण यादव कहते हैं कि उन्हें कॉलेज से साजिश के तहत निकाला गया है. वे कहते हैं, "मैंने 14 साल तक जहां पढ़ाया वहां मुझे सेलेक्शन कमेटी ने सिर्फ 14 मिनट के एक इंटरव्यू में बाहर का रास्ता दिखा दिया. वो भी बिना कोई कारण बताए. जबकि मेरे उस इंटरव्यू में 100 में से 96 नंबर थे. वहीं उन सभी छह लोगों का सलेक्शन हो गया, जिनके मेरे से नंबर कम थे और मेरे साथ ही इंटरव्यू में बैठे थे."
वे कहते हैं, "आज प्रोफेसर बनने के लिए एक ही परिवार के लोगों को मौका दिया जा रहा है, आरएसएस से जुड़े और कुछ खास लोगों को मौका दिया जा रहा है."
बता दें कि प्रोफेसर यादव सोशल मीडिया पर बेबाक अपनी राय रखते हैं. वह आंदोलनों में हिस्सा लेते हैं. मंच शेयर करते हैं और साथ ही सामाजिक मुद्दों को अकसर सोशल मीडिया और अपने यूट्यूब चैनल के जरिए उठाते रहते हैं. न्यूजलॉन्ड्री से यादव कहते हैं कि 14 साल तक कोई असिस्टेंट प्रोफेसर रहा हो और फिर अचानक से एक दिन उसकी नौकरी छीन ली जाए वो सब हमने क्यों, कब और कैसे हुआ इस किताब में लिखा है.
देखिए पूरा इंटरव्यू-
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