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निकिता सिंह

आया राम गया राम, भाग 13: महाराष्ट्र में 7 दलबदलू उम्मीदवार

लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में 50 दलबदलू उम्मीदवार भाग ले रहे हैं. इनमें से 7 महाराष्ट्र से हैं. महाराष्ट्र में एनसीपी और शिवसेना के बीच दो फाड़ होने से दलबदलू नेताओं की बाढ़-सी आ गई है. 

इस 7 उम्मीदवारों मे से 4 एनडीए घटक का हिस्सा हैं. इनमें से 3 शिवसेना के शिंदे गुट और एक अजित पवार की एनसीपी में हैं. वहीं, इंडिया घटक में शरद पवार की एनसीपी ने एक दलबदलू नेता को उतारा है जबकि उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने दो दलबदलू नेताओं को मैदान में उतारा है. 

पांच चरणों में शिवसेना के दोनों गुट कम से कम 13 सीटों पर एक-दूसरे के आमने-सामने हैं. वहीं, एनसीपी के दोनों धड़े दो सीटों पर एक-दूसरे से लड़ रहे हैं. ये दोनों धड़े दो अलग-अलग घटक में शामिल हैं. शिवसेना का शिंदे गुट और एनसीपी का अजित पवार गुट भाजपा के साथ महायुति गठबंधन बनाए हुए है. वहीं, महाविकास अघाड़ी में शरद पवार की एनसीपी, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना और कांग्रेस हैं. 

आइए इन गुटों की राजनीतिक प्रतिस्पर्धा पर एक नजर डालते हैं. 

संदीपनराव भूमरे: रोजगार मंत्री, भ्रष्टाचार के आरोप

संदीपनराव महाराष्ट्र के औरंगाबाद से शिवसेना (शिंदे) के उम्मीदवार हैं. 4 बार विधायक रह चुके 62 वर्षीय पूर्व राज्य मंत्री भूमरे का राजनीतिक जीवन 1995 में शिवसेना से शुरू हुआ. वे 27 साल तक पार्टी में बने रहे. फिर 2022 में बाग़ी नेता एकनाथ शिंदे के साथ चले गए. 

वित्तवर्ष 2023 में कृषि और किराए से भूमरे की 59.67 लाख रुपये की आय हुई, वहीं उनकी पत्नी के नाम पर चल रहे आबकारी व्यवसाय से 14.86 लाख की आय हुई. 

पिछले साल वायरल हुए एक वीडियो में कथित तौर पर भूमरे को एक शख्स को गाली और धमकी देते हुए सुना गया था. वे शिंदे सरकार में रोजगार गारंटी और अल्पसंख्यक मंत्री हैं. वे औरंगाबाद जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं. औरंगाबाद जिला अब तक शिवसेना का गढ़ रहा है पर 2019 के लोकसभा चुनाव में इसके उम्मीदवार चंदन खैरे एआईएमआईएम के ऐजाज पटेल से हार गए थे. अब भूमरे वहां से खैरे और ऐजाज दोनों के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. 

भूमरे ने सिर्फ कक्षा 11 वीं तक पढ़ाई की है और उनपर 3 आपराधिक मुकदमे हैं. इसमें लोक सेवक का काम बाधित करने के लिए हमला या आपराधिक प्रयोग और धोखाधड़ी व जालसाजी के मुकदमे शामिल हैं. एक मुकदमा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत और एक महामारी अधिनियम के तहत भी दर्ज है. उन्हें लोक सेवक के खिलाफ आपराधिक बल का प्रयोग करने के 2016 के एक मामले में दोषी भी पाया गया है. 

हलफनामे के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष 2023 में भूमरे ने कृषि और किराए के माध्यम से 59.67 करोड़ रुपयों की आय अर्जित की. वहीं उनकी पत्नी के नाम पर आबकारी व्यवसाय है, जिससे 14.86 करोड़ रुपयों की आय अर्जित की. वहीं, वित्त वर्ष 2021 में उनकी कोई आय नहीं हुई. दम्पत्ति की अप्रैल 2024 में कुल संपत्ति 10.29 करोड़ रुपये है. जिसमें से भूमरे की संपत्ति पिछले एक दशक में 71% बढ़ी है. 

दलबदलुओं का गढ़ बना मावल

मावल में दलबदलू नेताओं की लड़ाई है. यहां शिवसेना (शिंदे) के श्रीरंग बारणे की लड़ाई शिवसेना (उद्धव) के संजोग वाघेरे पाटिल से हैं. पाटिल पिछले साल दिसंबर में अजित पवार की एनसीपी को छोड़कर उद्धव की पार्टी में आ गए थे. 

60 वर्षीय बारणे ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कॉर्पोरेटर के तौर पर 1997 में की थी. 2014 में चुनाव होने के हफ्ते भर पहले तक वे कांग्रेस के साथ थे. चुनाव में वे शिवसेना में चले गए और अपनी पहली लोकसभा जीत दर्ज की. 2019 चुनाव में बारणे ने अजित पवार के बेटे पार्थ पवार को मावल सीट से हराया था. वे इस सीट से तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं. उनपर 3 मुकदमे चल रहे हैं. उनपर एक मामला अपने बारे में झूठा हलफ़नामा देने का है और मतदान केंद्र से मतपत्र ले जाने या ले जाने का प्रयास करने के 2 मामले दर्ज हैं. 

बारणे 10 वीं फेल हैं और उनका अपना व्यवसाय है. उनके पास एक ईंट भट्ठा और रियल एस्टेट कंपनी है. उनके पास 105.56 करोड़ रुपयों की संपत्ति है. 2014 में यह संपत्ति 66 करोड़ रुपये थी. वर्तमान में, उनके पास 90 करोड़ रुपयों के कीमत की जमीन-जायदाद है. 

बारणे व्यवसायी हैं और उनके पास एक ईंट भट्ठा और रियल एस्टेट कंपनी है
अजित पवार गुट को छोड़ने के पीछे उन्होंने एनडीए सरकार के ‘गलत फैसलों’ को वजह बताया.

बारणे की लड़ाई वाघेरे से है. 59 वर्षीय वाघेरे इलाके में श्रम अधिकार के नामी वकील हैं. गांव वाला के नाम से मावल और पिंपरी-चिंचवाड़ में काफी लोकप्रिय वाघेरे समुदाय से आने वाले संजोग वाघेरे, व्यापार संघ और महाविकासअघाड़ी के सदस्यों से चुनाव में समर्थन के लिए मुलाकात कर रहे हैं. 

अजित पवार गुट को छोड़ने के पीछे उन्होंने एनडीए सरकार के ‘गलत फैसलों’ को वजह बताया. हालांकि, वाघेरे पहले भी कई बार दलबदल कर चुके हैं.  

वह तीन बार कॉर्पोरेटर और पिंपरी-चिंचवाड़ के पूर्व महापौर रह चुके हैं. वे 2018 तक भाजपा के साथ थे. उन्होंने एनसीपी को हराया और अजित पवार गुट में जाने से पहले वह भाजपा के जिलाध्यक्ष भी रहे हैं. वह कुछ महीने तक शांत रहे फिर पिछले साल दिसंबर में शिवसेना (उद्धव) में शामिल हो गए. उनपर 3 मुकदमे लंबित हैं. सभी मामले विरोध प्रदर्शन करने के हैं जिसमें एक रेलवे ट्रैक पर व्यवधान डालने का भी है.  

10वीं तक पढ़े संजोग पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. उनके हलफनामे के मुताबिक, अप्रैल 2024 में उनके पास 11 करोड़ रुपये की संपत्ति है. 

मावल सीट के इस कड़े मुकाबले में दोनों ही गठबंधनों ने अपने स्टार प्रचारक भेज कर एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा दिया है.  मुख्यमंत्री शिंदे के साथ-साथ उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस और अजित पवार बारणे के समर्थन में लगे हुए हैं. जबकि इंडिया गठबंधन के नेताओं में शरद पवार, उद्धव ठाकरे आदि ने वाघेरे के लिए प्रचार किया है.  

शिरडी में मिस्टर इंडिया की तरह गायब रहने वाले लोखण्डे बनाम वाकचौरे

सदाशिव लोखण्डे शिरडी से शिव सेना (शिंदे) के उम्मीदवार हैं. 61 वर्षीय लोखण्डे 3 बार भाजपा विधायक रह चुके हैं और शिवसेना से शिरडी के वर्तमान सांसद हैं. वे 2022 में एकनाथ शिंदे के साथ चले गए थे.  

वे भाजपा में लगभग दो दशक तक रहे थे. वे कर्जत की जामखेड़ विधानसभा की राजनीति में सक्रिय रहे. 2014 में अविभाजित शिवसेना में शामिल होकर उन्होंने अपना पहला लोकसभा चुनाव शिरडी से लड़ा और जीते. हालांकि, क्षेत्र से हमेशा गायब रहने के कारण कथित तौर पर स्थानीय लोग उनको ‘मिस्टर इंडिया’ के नाम से बुलाते हैं.   

हलफनामे के मुताबिक, वे किसान हैं और उनपर कोई मुकदमा नहीं दर्ज है. उनके पास 6.70 करोड़ रुपये की संपत्ति है. जबकि कृषि उद्योग संभालने वाली उनकी पत्नी के पास 14.61 करोड़ रुपये की संपत्ति है. 

क्षेत्र से हमेशा गायब रहने के कारण कथित तौर पर स्थानीय उनको मिस्टर इंडिया कहते हैं. 
वाकचौरे ने शिवसेना की टिकट पर 2009 में शिरडी से चुनाव लड़कर जीता था.

लोखण्डे, शिवसेना (उद्धव) के भाउसाहेब राजाराम वाकचौरे के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं. वाकचौरे ने शिवसेना की टिकट पर 2009 में शिरडी से चुनाव लड़कर जीता था. 69 वर्षीय सेवानिवृत सरकारी अधिकारी ने तब दिग्गज नेता रामदास आठवले को हराया था. हालांकि, 2014 में टिकट नहीं दिए जाने पर वे कांग्रेस में चले गए थे और चुनाव लड़कर हार गए थे. रिपोर्टों में उनके ‘दलबदलू होने की धारणा’ को उनकी हार की बड़ी वजह माना गया था. 2019 के चुनावों में, उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और हार गए. इसके बाद उन्होंने पिछले साल अगस्त में शिवसेना (उद्धव) का दामन थाम लिया. 

हलफनामे के मुताबिक, उन्होंने कानून की स्नातक तक पढ़ाई की है. उनके पास कुल 8 करोड़ रुपयों की संपत्ति है. 2009 में उनकी बताई संपत्ति 7.35 करोड़ से थोड़ी सी ही ज्यादा है. 

शिवाजीराव अढलराव : हथियार रखने और मतदान केंद्र पर भीड़ जुटाने का मुकदमा

शिवाजीराव अढलराव पाटील लोकसभा सीट शिरूर से एनसीपी (अजित) के उम्मीदवार है. 68 वर्षीय शिवाजीराव तीन बार सांसद रह चुके हैं. लोकसभा चुनावों के ठीक पहले उन्होंने शिवसेना (शिंदे) से पाला बदल लिया था. बाद में उन्होंने कहा कि एनसीपी के चिह्न पर चुनाव लड़ना महायुति गठबंधन की तीनों पार्टी के नेताओं का निर्णय था. 

2019 तक अलग-अलग मुकदमों में उनपर समुदायों के बीच “द्वेष भड़काने”, डकैती और “हत्या के प्रयास” के आरोप हैं. 

उनके पास रक्षा क्षेत्र की एक कंपनी है और पिछले वित्त वर्ष में कुल 80 लाख की कमाई हुई थी. उनके प्रतिद्वंद्वी और शिरुर के वर्तमान सांसद डॉ अमोल कोल्हे, शरद पवार के गुट के हैं. डॉ कोल्हे ने पाटील के बतौर सांसद कार्यकाल के दौरान पूछे गए सवालों में हितों के टकराव का दावा किया है. हालांकि, पाटील ने इन आरोपों को निराधार बताया है. 

पाटील की कुल संपत्ति की कीमत 27 करोड़ रुपये है. जबकि उनकी पत्नी के पास कुल 11.47 करोड़ रुपयों की संपत्ति है. दोनों की कुल संपत्ति 2014 में किये खुलासे में 12 करोड़ रुपयों से बढ़ी है. उनपर कुल 5 मामले लंबित हैं. इनमें हथियार रखने और मतदान क्षेत्र में भीड़ इकट्ठा करने का आरोप है. 2019 तक उनपर अलग-अलग मामलों में समुदायों के बीच “द्वेष भड़काने”, आपराधिक धमकी, डकैती और “हत्या के प्रयास” के आरोप हैं. 

बजरंग सोनावणे: डेयरी उद्योग, अजित पवार के ‘करीबी सहयोगी’

बजरंग सोनावणे लोकसभा सीट बीड से एनसीपी (शरद) के उम्मीदवार हैं. 53 वर्षीय सोनावणे अजित पवार के करीबी सहयोगी माने जाते हैं और पार्टी के दो फाड़ होने के बाद अजित पवार के साथ थे. लेकिन चुनाव होने के कुछ महीने पहले ही वापस शरद पवार के गुट में लौट आए. 

सोनावणे एनसीपी के बीड जिलापरिषद और जिलाध्यक्ष के पद पर रहे हैं. 2019 के चुनावों में उनको दिवंगत भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी प्रीतम मुंडे के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. इस बार वे प्रीतम की बहन पंकजा मुंडे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. 

सोनावणे पर अजित पवार लगातार हमलावर रहे हैं. अजित पवार ने हाल ही में उनका मजाक उड़ाते हुए कहा था, “दो पैसे हाथ में क्या आ गए, मस्ती सूझने लगी है.” इसके अलावा उन्होंने कहा कि “बजरंग अगर अपनी छाती फाड़ेगा तो मर जाएगा”. इससे पहले सोनावणे ने एक बयान में कहा था कि अगर वो छाती फाड़ेंगे तो उसमें अजित पवार और धनंजय मुंडे दिखेंगे. 

हालांकि, सोनावणे ने अजित पवार पर सीधी कोई टिप्पणी नहीं की. उनके सोशल मीडिया अकाउंट शरद पवार के नए चुनाव चिह्न और बीड में चुनावी सभाओं की तस्वीरें हैं. 

शरद पवार गुट में शामिल होने के सवाल पर उन्होंने कहा, “कई पार्टी कार्यकर्ताओं ने मुझसे कहा कि वे दूसरी (अजित) तरफ घुटन महसूस करते हैं. इसलिए मैं अपने समर्थकों के लिए इस तरफ आया हूं. मैं यहां कोई उम्मीद लेकर नहीं आया. पवार साहेब जो भी जिम्मेदारी देंगे वह मैं सहर्ष निभाने के लिए तैयार हूं.”

सोनावणे पर कोई भी मुकदमा नहीं है. उनका डेयरी का उद्योग है. उनके पास कुल 11.68 करोड़ रुपये की संपत्ति है. 2019 में यह 4 करोड़ रुपये की थी. उनकी पत्नी प्राध्यापक हैं. उनके पास 3 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है. 

लोकसभा चुनाव लड़ने वालों के अलावा कम से कम 14 दलबदलू नेताओं पर ईडी की कार्रवाई 

महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले पांच सालों में महायुति गठबंधन में आने वाले कम से कम 14 नेताओं के खिलाफ ईडी के मामले लंबित हैं. 

एनसीपी में फूट करवाने वाले अजित पवार पर धन शोधन के मामले में ईडी ने मामला दर्ज किया था. इसी तरह अजित पवार के साथ जाने वाले प्रफुल पटेल, छगन भुजबल, धनंजय मुंडे और हसन मुशरीफ़; शिंदे के साथ जाने वाले प्रताप सरनायक, भावना गावली, यामिनी और यशवंत जाधव- ये सब ईडी की रडार में थे. 

साथ ही इस साल फरवरी में कांग्रेस से भाजपा में जाने वाले अशोक चह्वाण; फरवरी में ही कांग्रेस से अजित पवार गुट में जाने वाले बाबा सिद्दीकी; मार्च में शिंदे गुट में जाने वाले रवींद्र वायकर; इसी साल अप्रैल में भाजपा में जाने वाले एकनाथ खड़से और अक्टूबर 2019 में जाने वाले नारायण राणे; इन सब के खिलाफ ईडी में मुकदमे हैं. 

इनमें से कम से कम 9 के खिलाफ पीएमएलए अधिनियम के तहत मुकदमे चल रहे हैं. पीएमएलए अधिनियम के तहत वायकर पर भी मामला चल रहा है. अभी हाल ही में वे यह कहकर विवादों के घेरे में आ गए, “मेरे पास दो रास्ते थे पार्टी बदलता या जेल जाता…(मामले में) मेरी बीवी का नाम भी था, मेरे पास और कोई रास्ता नहीं बचा था. बाद में उन्होंने सफाई में कहा कि उद्धव ठाकरे ने उनका साथ नहीं दिया पर एकनाथ शिंदे ने “उनकी बात सुनी”. 

अजित पवार के साथ जाने वाली अदिति सुनील तटकरे पर कोई भी मामला लंबित नहीं है. हालांकि, एकनाथ शिंदे के खिलाफ मामले में भी कोई सुबूत नहीं मिला. पर आदित्य ठाकरे का दावा है कि शिंदे के घर से “नकद बरामद” हुई थी और 2022 में बगावत से पहले उनको अपनी गिरफ़्तारी की आशंका थी. 

महाविकास अघाड़ी के बहुत से नेता अभी भी केंद्रिय जांच एजेंसियों के दायरे में हैं. इनमें शिवसेना (उद्धव) के संजय राऊत, वर्षा राऊत, अनिल परब, आनंद राव अडसुल और किशोरी पेडनेकर हैं; एनसीपी (शरद) के रोहित पवार, अनिल देशमुख, शरद पवार, नवाब मालिक, दिलीपराव देशमुख, इशरलाल जैन, जयंत पाटील और राजेन्द्र शिंगणे हैं.

अनुवाद- अनुपम तिवारी

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 

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