पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संभल में भारी पुलिस बल की तैनाती के बीच अब धीरे-धीरे माहौल सामान्य हो रहा है. दुकानें खुलने लगी हैं और बाजारों में चहलकदमी देखी जा सकती है.
इस बीच संभल हिंसा में घायल दो युवकों- अजीम और हसन को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. गौरतलब है कि ये दोनों वही नौजवान हैं, जिन्होंने न्यूज़लॉन्ड्री के कैमरे पर बयान दिया था कि पुलिस उन पर झूठी गवाही के लिए दबाव बना रही है. उन्होंने पुलिस और हिंसा वाले दिन को लेकर क्या कुछ बताता था, जानने के लिए हमारी ये विस्तृत रिपोर्ट देखिए.
दरअसल, संभल की शाही जामा मस्जिद में 24 नवंबर को हुए सर्वे के दौरान हुई हिंसा में पांच लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि कई घायल हैं. घायलों में शामिल अजीम और हसन का इलाज पहले संभल के सरकारी अस्पताल में चल रहा था. उसके बाद 26 नवंबर की शाम को उन्हें मुरादाबाद के तीर्थंकर महावीर हॉस्पिटल (टीएमयू) में रेफर कर दिया गया. जहां दो दिसंबर की देर शाम तक उनका इलाज जारी था. इसके बाद उन्हें वहां से बिना परिजनों को जानकारी दिए अस्पताल के पिछले गेट से जेल भेज दिया गया.
परिवार का आरोप है कि वे रातभर हसन की तलाश में भटकते रहे. हसन की बहन आसिया कहती हैं, “देर शाम हसन को अस्पताल से गायब कर दिया गया. वे रातभर भटकते रहे लेकिन हसन का पता नहीं चला. हम अस्पताल के गेट पर थे लेकिन इस गेट से उन्हें बाहर नहीं निकाला गया. अस्पताल के पिछले गेट से निकाला गया है. हमने डॉक्टरों से पूछा तो उन्होंने कहा कि बच्चों को तो यहां से पुलिस वाले ले गए हैं.”
परिजनों को नहीं थी जेल भेजे जाने की जानकारी!
3 दिसंबर की दोपहर करीब 12 बजे परिजनों को पता चला कि हसन को मुरादाबाद जेल भेज दिया गया है. हसन की बहन ने जेल पहुंचकर अपने भाई से मुलाकात की. वे रोते हुए कहती हैं, “मेरी हसन से करीब 1:30 बजे मुरादाबाद जेल में मुलाकात हुई है. उसकी तबीयत ठीक नहीं है. उसकी बाजुएं काम नहीं कर रही हैं. दोनों हाथों में पट्टी बंधी है, काफी तकलीफ है. वो खाना भी नहीं खा पा रहा है.”
वे कहती हैं कि मुलाकात के दौरान हसन ने बताया कि देर शाम करीब 7:30 बजे उसे और अजीम को अस्पताल के पिछले गेट से निकालकर पहले संभल कोतवाली ले जाया गया और उसके बाद दोनों को रात के करीब 2:30 बजे मुरादाबाद की जेल ले आए.
वे रोते हुए पूछती हैं कि ऐसे कैसे चलेगा, उसकी तबीयत ठीक नहीं है. “आप कुछ कीजिए उसका ऑपरेशन होना बहुत जरूरी है.”
हसन की मां मुजायरा को न्यूज़लॉन्ड्री से जानकारी मिली कि उनका बेटा जेल भेज दिया गया है. वे फोन पर बातचीत के दौरान ही रोने लगती हैं. कहती हैं, “मुझे कुछ खबर नहीं है, जिंदा है कि मार दिया. 15 घंटे से ज्यादा हो गए हैं उसकी कोई खबर नहीं है. मेरा बेटा जख्मी है, उसे भूखा प्यासा रख रहे हैं, नहीं मरता होगा तो वैसे मर जाएगा. ठंड पड़ रही है और उसके पास कपड़े तक नहीं है. हमें मिलने भी नहीं दिया जा रहा है. पहले पुलिस ने उसे गोली मारकर घायल किया और अब उसे यातनाएं दी जा रही हैं.”
वहीं, अजीम के पिता खलील अहमद को भी 3 दिंसबर की दोपहर यह जानकारी हमसे ही मिली कि उनके बेटे को जेल भेज दिया गया है. वे भी अपने बेटे की तलाश में रात भर भटकते रहे और अजीम का पता लगाने की कोशिश में रहे.
उन्होंने हमें फोन पर बताया, “हम 2 दिसंबर की शाम को बेटे से मिलना चाहते थे लेकिन अस्पताल में हमें यह कहकर रोक दिया गया कि आवाज लगेगी तब आपको बुलाया जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. फिर करीब 7:30 बजे जब मैं अंदर गया तो वहां पर दोनों ही लड़के नहीं थे. मैंने डॉक्टरों से पूछा कि बच्चे कहां हैं तो उन्होंने कहा कि पुलिस ले गई है. लेकिन अभी तक बच्चों का पता नहीं है.”
वे आगे कहते हैं कि उन दोनों की तबीयत ठीक नहीं है. उनके जिस्म में काफी दर्द है. दोनों के शरीर में गोली फंसी है. बावजूद इसके उन्हें जेल भेज दिया गया.
रिमांड शीट और एफआईआर
न्यूज़लॉन्ड्री के पास मौजूद रिमांड शीट और एफआईआर के मुताबिक, हसन और मोहम्मद अजीम पर कई धाराओं में केस दर्ज किया गया है. इनपर बीएनएस यानी भारतीय न्याय संहिता की धारा 191(2), 191(3), 190, 109(1), 125(a), 125(b), 121, 132, 121(1), 121(2), 324(4), 223(b), 326(f), 317(3) के अलावा आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 1932 की धारा 7, सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम 1984 की धारा 3 और 4 में मामला दर्ज किया गया है. इन्हें 16 दिसंबर तक के लिए रिमांड पर भेजा गया है.
इस मामले में पीड़ितों के वकील कमर हुसैन कहते हैं, “फिलहाल दोनों लड़कों को जेल भेज दिया गया है. मैने सीजेएम कोर्ट में रिमांड चेक किया है, उसके बाद हमें पता चला कि इन्हें जेल भेजा गया है. इनका कल 6 बजे के बाद रिमांड हुआ है. इससे पहले भी जितने रिमांड हुए हैं, वो भी कोर्ट टाइम के बाद हुए हैं.”
वे कहते हैं कि इस पूरे विवाद में इन दोनों को मिलाकर अभी तक कुल 32 लोगों को जेल भेजा गया है. वे आगे कहते हैं, “मुझे हसन और अजीम के परिजनों ने बताया है कि दोनों ही बच्चे गोली से घायल हैं और इनका अस्पाताल में इलाज होना बेहद जरूरी है. सर्जरी की जरूरत है. बावजूद इसके इन्हें जेल भेज दिया गया है.”
वे कहते हैं कि सेशन कोर्ट संभल में बेल के लिए आवेदन करेंगे.
क्या कहते हैं संभल के एसपी
दोनों युवकों को अस्पताल से सीधा जेल भेजे जाने को लेकर हमने संभल के पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार बिश्नोई से भी बात की.
बिश्नोई कहते हैं, “अगर उनका पूरा इलाज हो चुका है तो फिर उन्हें पुलिस की कस्टडी में लिया जाएगा. अगर उन्हें रेगुलर पट्टी की जरूरत है या इसके अलावा कोई जरूरत नहीं है तो फिर उन्हें जेल भेजा जाएगा और जेल के अस्पताल में ही उनका इलाज होगा.”
26 नवंबर को संभल से मुरादाबाद किया गया रेफर
हसन और अजीम को 26 नवंबर की शाम को संभल के सरकारी अस्पताल से मुरादाबाद के टीएमयू हॉस्पिटल में रेफर किया गया था. मालूम हो कि मुरादाबाद, संभल का पड़ोसी जिला है.
तब अजीम के पिता खलील अहमद ने न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए बताया था, “अजीम और हसन के पैरों में बेड़ियां पड़ी हैं और उन्हें पुलिस ने निगरानी में रखा हुआ है. हमें भी दिन में एक--दो बार ही मिलने दिया जा रहा है.
अजीम तीन भाइयों में सबसे बड़े हैं. उनके पिता कहते हैं, “बेटा हिंसा वाले दिन अपनी बुआ के पास जा रहा था लेकिन वहां तक पहुंच ही नहीं पाया. पता चला कि उसे गोली लग गई है. इसके बाद मैं काफी परेशान हो गया. सभी जगहों पर उसे ढूंढता रहा, फिर शाम को वह सरकारी अस्पताल में उसका पता चला. लेकिन पुलिस ने मिलने नहीं दिया.”
वह आखिर में जोड़ते हैं कि अस्पताल में 24 घंटे चार से पांच पुलिसवाले लगातार निगरानी कर रहे हैं.
गोली लगी है: दोनों के परिजनों का दावा
हसन की बहन आसिया ने बताया, “हसन अस्पताल में है. उसके पैरों को बांध रखा है. पैरों में काफी दर्द है, उसे रात को नींद भी नहीं आती है. हमें बात तक नहीं करने दी जा रही है. सिर्फ खाना खिलाने के दौरान वहां जाने देते हैं लेकिन फिर भी बात नहीं करने देते हैं.”
इससे पहले आसिया ने हमें बताया था कि कई पुलिसकर्मी 24 घंटें निगरानी कर रहे हैं. उसने कहा था, “डॉक्टर पहले भाई के ऑपरेशन के लिए बोल रहे थे. लेकिन अब डॉक्टर ऑपरेशन के लिए मना कर रहे हैं. डॉक्टरों का कहना था कि ऑपरेशन होगा, नहीं तो उसकी बांह खराब हो जाएगी. उसकी नस कट गई हैं, उन्हें जोड़ना होगा, ऐसा नहीं हुआ तो हाथ काम करना बंद कर देगा. फिर अचानक से उन्होंने अब ऑपरेशन के लिए क्यों मना कर दिया मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा है.”
आसिया ने हमें बताया कि अस्पताल के बाहर मीडिया का जमावड़ा होने लगा था. शायद इसीलिए अजीम और हसन को आईसीयू में भर्ती कर दिया ताकि कोई उन दोनों से मिल न सके.
आसिया बताती हैं कि हसन के ऑपरेशन के लिए डॉक्टरों ने कागज भी तैयार कर लिए थे, कुछ कागजों पर मुझसे अंगुठे भी लगवाए थे. लेकिन फिर डॉक्टरों ने कह दिया कि ऑपेशन नहीं होगा. एक बार डॉक्टरों ने यह भी कहा कि ऑपरेशन यहां नहीं दिल्ली में होगा.
हसन के पिता की 1 नवंबर को हुई है मौत
हसन की मां मुजायरा कहती हैं कि उनके पति इरफान की 1 नवंबर को हार्ट अटैक से मौत हो गई. अपने पापा को देखने के लिए ही वह घर पर आया हुआ था. इस बीच यह घटना हो गई. मुज़ायरा कहती हैं, “पुलिस बार-बार बेटे को टॉर्चर कर रही थी कि जैसा हम बोलें वैसा बयान दो. मैं बहुत मजबूर हूं 40 दिन तक कहीं जा भी नहीं सकती हूं. मैं किसी से मिल भी नहीं सकती हूं.”
चार भाई बहनों में हसन दूसरे नंबर के हैं. 10 हजार रुपये महीने पर वह दिल्ली में काम करते हैं.
24 तारीख को क्या हुआ था? इस पर मुजायरा बताती, “हसन का छोटा भाई हाशिम अपने पिता की कब्र पर रोजाना की तरह कुरान पढ़ने गया था. हसन घर पर ही था. इस बीच गली में काफी शोरगुल होने लगा, तो मैंने हसन से कहा कि देखना बहुत आवाज आ रही है, कहीं छोटा वाला भाई तो नहीं है. इस बीच हसन बाहर गया. करीब 1 घंटे बाद पता चला कि उसके हाथ में गोली लग गई और वह संभल के सरकारी अस्पताल में भर्ती है.”
फिलहाल हसन और अजीम को मुरादाबाद की जेल में बद कर दिया गया है.
बता दें कि संभल की शाही जामा मस्जिद को लेकर ये नया विवाद 19 नवंबर को तब शुरू हुआ, जब संभल से करीब 21-22 किलोमीटर दूर स्थित कैला देवी मंदिर के महंत ऋषिराज गिरी और कुछ लोगों ने एक याचिका संभल की अदालत में दाखिल की. महंत ने मस्जिद की जगह हरिहर मंदिर होने का दावा किया. अदालत ने कुछ ही घंटे के भीतर मस्जिद परिसर के सर्वे का आदेश पारित कर दिया और उसी दिन अदालत के आदेश पर मस्जिद परिसर का सर्वे भी हुआ.
19 नवंबर को हुए इस सर्वे के दौरान भी भीड़ जुटी थी लेकिन कोई तनाव नहीं हुआ. हालात तब बिगड़े तब जब रविवार यानी 24 नवंबर को सर्वे के दौरान भीड़ और पुलिस बल आमने-सामने आ गए. कई घंटों तक पत्थरबाजी होती रही. इसमें पांच युवकों की मौत तो भीड़ समेत कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए.
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