10 अक्टूबर को भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी को संसद की विशेषाधिकार समिति के सामने हाजिर होना था. उनके ऊपर साथी बसपा सांसद दानिश अली के लिए लोकसभा में अपशब्द इस्तेमाल करने का आरोप है. लेकिन बिधूड़ी समिति के सामने पेश नहीं हुए. उन्होंने अपनी व्यस्तता का हवाला देते हुए पेश होने से परहेज किया. उन्हें विशेषाधिकार समिति के सामने दोबारा कब बुलाया जाएगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है.
मालूम हो कि दक्षिणी दिल्ली से सांसद रमेश बिधूड़ी ने 22 सितंबर को लोकसभा के विशेष सत्र के दौरान बसपा सांसद दानिश अली को खुलेआम गालियां दी थीं. उन्होंने अली को आतंकवादी, उग्रवादी, मुल्ला, कटुवा जैसे अपमानजनक शब्द कहे थे. इसे लेकर पूरे देश में हंगामा हुआ. बाद में बिधूड़ी के शब्दों को लोकसभा की कार्यवाही से हटा दिया गया.
जब मामला ज्यादा गरमाया तो सूत्रों के हवाले से ख़बर आई कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बिधूड़ी को ‘सख्त हिदायत’ दी है. इसके बाद दानिश अली ने लोकसभा अध्यक्ष को बिधूड़ी के खिलाफ शिकायत दी. भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने भी अली के खिलाफ एक जवाबी शिकायत दर्ज कराई. इसके बाद बिरला ने दोनों से जुड़ी सभी शिकायतों को विशेषाधिकार समिति को भेज दिया.
लोसकभा की विशेषाधिकार समिति ने इस मामले में बिधूड़ी को हाजिर होकर अपना पक्ष रखने का नोटिस दिया. उन्हें 10 अक्टूबर का समय दिया गया था लेकिन वे नहीं आए.
हमने यह जानने की कोशिश की कि आखिर रमेश बिधूड़ी कितने व्यस्त हैं और क्यों विशेषाधिकार कमेटी के सामने पेश नहीं हो सकते?
क्या कर रहे हैं बिधूड़ी?
चार अक्टूबर को संसद की विशेषाधिकार समिति ने बिधूड़ी को नोटिस भेजा था, उन्हें 10 अक्टूबर को पेश होना था. लेकिन वो व्यस्तता का हवाला देकर पेश नहीं हुए. हमने उनकी 4 अक्टूबर से लेकर 18 अक्टूबर तक की गतिविधियों को सोशल मीडिया के जरिए खंगाला. हमने पाया कि इस दौरान बिधूड़ी कभी टोंक में प्रचार कर रहे थे, कभी नवरात्रि में राम लीला का मंचन देख रहे थे. तो कभी विपक्षी दलों पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे थे.
10 अक्टूबर को बिधूड़ी को विशेषाधिकार समिति के सामने पेश होना था लेकिन नौ अक्टूबर की शाम को वे राजस्थान के लिए निकल गए.
नौ अक्टूबर को बिधूड़ी दक्षिण दिल्ली में थे. दोपहर में उनका एक ट्वीट आया जिसके मुताबिक वे साकेत के ब्लॉक E, D, J, K, L व H के आवासीय समिति के पदाधिकारियों के साथ उपायुक्त निगम एंजेल भाटी समेत अन्य लोगों के साथ हुई बैठक में शामिल हुए.
इसके बाद शाम सात बजे ट्वीट करके उन्होंने जानकारी दी कि वो टोंक जा रहे हैं. यानी विशेषाधिकार समिति के सामने पेश होने से पहले वे राजस्थान निकल गए.
हमने पाया कि चार अक्टूबर से लेकर 18 अक्टूबर के बीच बिधूड़ी, पांच, 10, 11, 17 और 18 अक्टूबर को टोंक में थे. इसके अलावा बाकी समय वो दिल्ली में ही रहे.
चार अक्टूबर को आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को ईडी ने कथित शराब घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया था. इस मामले पर बिधूड़ी ने मीडिया से बातचीत की और अरविंद केजरीवाल पर हमला बोला.
पांच अक्टूबर को टोंक में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की. वहीं देर शाम को न्यूज़ 18 के एंकर अमिश देवगन को संजय सिंह के मामले में इंटरव्यू दिया. छह अक्टूबर को बिधूड़ी कहां थे, इसकी जानकारी उनके एक्स अकाउंट से नहीं मिलती है.
सात अक्टूबर को बिधूड़ी दिल्ली में थे. दक्षिणी दिल्ली में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक कीं. आठ तारीख को भी अपने संसदीय क्षेत्र घिटोरनी में भाजपा विस्तार योजना को लेकर बैठक की. इस दिन भी वे आम आदमी पार्टी सरकार पर हमलवार थे. उन्होंने मुख्यमंत्री केजरीवाल को ‘बौना दुर्योधन’ कहकर संबोधित किया.
नौ की शाम वे राजस्थान रवाना हो गए. यहां 10 अक्टूबर को टोंक में मीडिया से बात करते हुए बिधूड़ी ने कांग्रेस पर हमला किया. उन्होंने कहा, “कल कांग्रेस ने अपनी राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में हमास के समर्थन करने का प्रस्ताव पास किया. इससे कांग्रेस की मानसिकता उजागर हुई है. कैसे वो एक समुदाय विशेष के वोट के लिए आतंकवाद का समर्थन कर रहे हैं.”
11 अक्टूबर तक बिधूड़ी टोंक में रहे. 13 को वो दिल्ली में भागवत कथा सुनने पहुंचे. 14 अक्टूबर को प्रह्लादपुर में श्री रामजी लीला मंचन देखने पहुंचे. 15 अक्टूबर को मधु विहार और ग्रेटर नोएडा में राम लीला का मंचन देखने पहुंचे. 16 अक्टूबर को भी तुगलकाबाद में राम लीला देखने पहुंचे.
17 और 18 अक्टूबर को बिधूड़ी फिर से टोंक पहुंचे और वहां पार्टी कार्यकर्ताओं से बैठक की.
इन तमाम गतिविधियों के बीच उन्होंने विशेषाधिकार समिति को कहा है कि वो फिलहाल बहुत व्यस्त हैं.
विशेषाधिकार समिति का प्रारूप
लोकसभा की विशेषाधिकार समिति में कुल 14 सदस्य हैं. भाजपा सांसद सुनील कुमार सिंह इसके अध्यक्ष हैं. वहीं 13 अन्य सदस्यों में से सात भारतीय जनता पार्टी के हैं. इसके अलावा बीजू जनता दल, युवाजना श्रामिका रैतु कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी), शिवसेना (उद्धव बाल ठाकरे), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस और द्रविड मुन्नेत्र कड़गम (डीएमके) से एक-एक सांसद सदस्य है.
सिंह के कार्यालय ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि समिति की 10 अक्टूबर की बैठक में राजनीतिक व्यस्तता की बात कहते हुए बिधूड़ी नहीं आए. अब उनको कब बुलाया जाएगा इसकी फिलहाल जानकारी नहीं है.
पार्टी ने भी जारी किया था बिधूड़ी को नोटिस
दानिश अली को अपशब्द कहने के मामले में सांसद रमेश बिधूड़ी को भारतीय जनता पार्टी ने भी 22 सितंबर को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. उन्हें 15 दिनों में जवाब देना था. इसका जवाब दिया है या नहीं इस बारे में अभी कोई जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन पार्टी ने उन्हें इसी बीच टोंक विधानसभा का प्रभारी जरूर बना दिया है.
नोटिस मिलने के तीन दिन बाद यानी 25 सितंबर को बिधूड़ी पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने भाजपा कार्यालय पहुंचे. इसके दो दिन बाद यानी 27 सितंबर को बिधूड़ी को राजस्थान के टोंक विधानसभा क्षेत्र का प्रभारी बना दिया गया. मालूम हो कि यहां से कांग्रेस नेता सचिन पायलट विधायक हैं और यह एक गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र है. बिधूड़ी भी गुर्जर समाज से ताल्लुक रखते हैं.
समय ले सकते हैं मेंबर
इस बीच रमेश बिधूड़ी सामान्य रूप से सक्रिय नज़र आए, लेकिन वो समिति के समक्ष पेश नहीं हुए.
विशेषाधिकार समिति के सदस्य और बिहार के महराजगंज से भाजपा सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, ‘‘संसद सदस्य अपनी सुविधा के हिसाब से समय ले सकते हैं. हालांकि, समिति में दोनों (बिधूड़ी और अली) को बुलाया जाएगा. उनका पक्ष सुना जाएगा और फिर कोई फैसला लिया जाएगा. अगली बैठक की अब तक कोई सूचना नहीं है.”
हमने विशेषाधिकार समिति के चैयरमैन और भाजपा सांसद सुनील कुमार सिंह से बात करने की कोशिश की. उन्होंने फोन नहीं उठाया. हमने उन्हें इस बारे में सवाल भेजे हैं. अगर उनका कोई जवाब आता है तो उसे खबर में जोड़ दिया जाएगा.
वहीं, समिति से जुड़े एक अहम सदस्य ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि अब बिधूड़ी को पूछताछ के लिए दशहरा के बाद बुलाया जा सकता है.
व्यस्तता का हवाला देकर कोई कितनी बार बैठक में आने से मना कर सकता है? इस सवाल पर ये सदस्य कहते हैं, “विशेषाधिकार समिति के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है कि किसी को आने के लिए बाध्य कर दे. हालांकि, लोग अपना पक्ष रखने के लिए आते हैं. जिस दिन (10 अक्टूबर को) रमेश बिधूड़ी को आना था, उसी दिन बिहार के अधिकारियों को सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल के साथ विरोध प्रदर्शन के दौरान दुर्व्यहार के मामले में बुलाया गया था. वे भी नवरात्रि और राष्ट्रपति महोदय के बिहार आगमन की तैयारियों में व्यस्त होने की बात कहकर नहीं आए. यह पहली बार नहीं हुआ कि किसी ने पेश होने से मना कर दिया हो.’’
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